रायपुर: पेट्रोल-डीजल के दामों में लगातार हो रही बढ़ोतरी से अब खेती करना मुश्किल हो गया (Effect of rising price of petrol and diesel on Raipur farmers) है. क्योंकि डीजल का दाम आसमान छू रहा है. वर्तमान में डीजल प्रति लीटर 103 रुपये तक पहुंच गया है. ऐसे में किसानों को ट्रैक्टर के जरिए जुताई और हार्वेस्टर से मिसाई महंगी हो गई है. किसानों को प्रति एकड़ अब 500 से 700 रुपये तक अतिरिक्त रुपये देने पड़ रहे है. जिसके कारण किसान काफी परेशान हैं. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम उन किसानों के बीच पहुंची और बढ़ते पेट्रोल-डीजल के दामों को लेकर किसानों से बातचीत की.
खेत जोतना पड़ रहा महंगा: ईटीवी भारत की टीम जब ग्रामीण क्षेत्रों की ओर आगे बढ़ी तो खेत में किसान राम कुमार कुम्हार काम करते दिखाई दिए. जब उनसे बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनका पेशा खेती करना है. उन्होंने बताया कि पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से खेती का बजट गड़बड़ा गया है. खेतों की जुताई से लेकर मिसाई महंगी हो गई है. इतना ही नहीं धान को ले जाने के लिए भी ट्रैक्टर मालिक भाड़ा बढ़ा दिए हैं. गाड़ियों के हिसाब से घंटे का भाड़ा लिया जा रहा है. पहले 900 से एक हजार रुपये लिया करते थे, लेकिन अब 1600 तक पहुंच गया है. किसानों को भी अब पेट्रोल-डीजल की मार झेलनी पड़ रही है.
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पहले कम खर्च में हो जाती थी खेत की जुताई: इसके बाद जहां अधिक संख्या में किसान थे, ईटीवी भारत की टीम ने वहां के किसानों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि हमारे गांव में ज्यादातर लोग खेती ही करते हैं. चूंकि हमें ट्रैक्टर से खेत की जुताई करनी होती है, जो अब हमारे लिए मुश्किल हो गया है. क्योंकि ट्रैक्टर मालिक एक हजार के बजाय दो हजार रुपये ले रहे हैं. डीजल के बढ़ते दामों ने किसानों के लिए मुश्किल पैदा कर दी है. हमें प्रति एकड़ 8 से 9 हजार रुपये जुताई का पड़ जा रहा है. पहले हमें जुताई के लिए ही 8 से 10 हजार रुपये लगते थे. आज की तारीख में 12 से 15 हजार रुपये का खर्च आ रहा है.
ब्लैक में खरीद रहे यूरिया: किसान पेट्रोल-डीजल की मार से परेशान तो हैं. लेकिन अब प्रशासनिक लापरवाही का भी शिकार हो रहे हैं. किसान मुन्ना लाल बांधे कहते हैं कि, सोसायटी से यूरिया नहीं मिल रहा है. ब्लैक में यूरिया खरीदना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि यूरिया नहीं मिलने की वजह से उन्हें ब्लैक में 900 रुपये में यूरिया की बोरी खरीदनी पड़ी है. वे कहते हैं कि किसानी करनी है तो खाद भी जरूरी है. इसलिए मजबूरन ब्लैक में यूरिया खरीदना पड़ रहा है.
आपको बता दें कि पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों ने किसानों की कमर तोड़कर रख दी है. किसान उम्मीद लगा रहे हैं कि किसी तरह डीजल के दामों में गिरावट आए, नहीं तो उनके लिए खेती किसी चुनौती से कम नहीं होगी.