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बंद कृषि मंडियां शुरू कर समर्थन मूल्य पर धान बिक्री कब?

मंडी शुरू न होने की वजह से इन किसानों को औने-पौने दामों पर व्यापारियों को अपना धान बेचना पड़ता है. जिससे किसानों को काफी नुकसान भी उठाना पड़ता है. साथ ही देर से हो रही धान खरीदी में किसानों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है.

Demand to start agricultural markets in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में कृषि मंडियां शुरू करने की मांग
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Published : Nov 8, 2021, 9:57 PM IST

Updated : Nov 9, 2021, 8:15 AM IST

रायपुर : किसान संगठनों की ओर से लगातार कृषि मंडियों (Demand to start agriculture markets of state) को शुरू करने की मांग की जा रही है. किसान संगठन का कहना है कि केंद्र की तरफ से निर्धारित समर्थन (Fixed Support Price) मूल्य पर राज्य सरकार मंडियों में धान बेचने की घोषणा करें. ताकि किसानों को राहत मिल सके. मंडी शुरू न होने की वजह से इन किसानों को औने-पौने दामों पर व्यापारियों को अपना धान बेचना पड़ता है. जिससे उन्हें काफी नुकसान भी उठाना पड़ता है. साथ ही देर से हो रही धान खरीदी में किसानों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है.

समर्थन मूल्य पर धान बिक्री कब?

भाजपा शासनकाल में 1 नवंबर से धान खरीदी की जाती थी, लेकिन कांग्रेस सरकार 1 दिसंबर से धान खरीदी कर रही है. 1 महीने के अंतर के कारण किसान काफी परेशान है, क्योंकि इस बीच यदि पानी गिर जाता है इन किसानों के धान खराब हो जाते हैं. खलिहानों में रखा धान सड़ जाता है. जिससे इन्हें काफी आर्थिक क्षति होती है. यही वजह के किसान प्रदेश में संचालित मंडियों को शुरू करने की मांग कर रही है.

धान खरीदी की घोषणा बाद भी किसानों में क्यों है मायूसी?

प्रदेश में भाजपा के शासन काल में 230 में से 37 मंडल संचालित थीं : किसान संगठन

छत्तीसगढ़ किसान मजदूर संघ (Chhattisgarh Kisan Mazdoor Sangh) के सदस्य वैगेंद्र सोनबेर ने कहा कि छत्तीसगढ़ में भाजपा के शासन काल में 230 में से 37 मंडल संचालित थीं. आज कांग्रेस सरकार में 41 मंडियां संचालित हो रही है. जिसमें 4 उप मंडी भी शामिल हैं. भाजपा के शासनकाल में सौदा पत्रक कानून लाया गया था, जो व्यापारियों को लाभ पहुंचाने वाला कानून था. जिसका पालन आज भी किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ में इस कानून के तहत भूपेश सरकार भी व्यापारियों को लाभ पहुंचा रही है.

यदि समर्थन मूल्य पर मंडियों में धान बेचने की व्यवस्था कर दी जाए, उससे 25 सो रुपए की कोई दरकार नहीं है. यदि हम समर्थन मूल्य पर 12 महीने धान बेचेंगे तो भी खुशहाल रह सकते हैं. हम अपने रबी फसल का धान भी समर्थन मूल्य पर मंडी में बेच सकते हैं. हम अपने परिवार को खुश रख सकते हैं. यदि सौदा पत्र कानून चालू रहा तो आज हम जो 25 सो रुपए और समर्थन मूल्य की जगह महज 12 सौ रुपये में धान बेच रहे हैं. आने वाले समय में हमें ऐसे हजार पर भी बेचना पड़ेगा. इसलिए हमारी मांगे की मंडियों को फिर से शुरू किया जाए.

छत्तीसगढ़ के किसानों की सुध नहीं ले रही कांग्रेस : भाजपा

बीजेपी प्रवक्ता गौरी शंकर श्रीवास (BJP spokesperson Gauri Shankar Srivas) ने कहा कि कांग्रेस सिर्फ कृषि बिल का विरोध करती है, क्योंकि वो इसलिए विरोध कर रही है. कांग्रेस दिल्ली में धरने पर बैठे किसानों का समर्थन करती है. लेकिन छत्तीसगढ़ के किसानों की सुध नहीं ले रही है. आज मंडी या बंद हो चुकी है. लेकिन सरकार को इसकी जानकारी नहीं है. सरकार आज भी कहती है कि मंडिया संचालित हो रही हैं. बीजेपी प्रवक्ता का कहना है कि आज 200 से ज्यादा मंडियों में से 170 के लगभग मंडी आब बंद हो चुकी हैं, बाकी भी बंद होने की कगार पर हैं. ऐसे में किसानों की हितैषी बनने का दावा करने वाली कांग्रेस सरकार किसानों के खिलाफ काम कर रही है.

बेमेतरा में प्रशासन की लापरवाही से 20 करोड़ का धान सूखा! 29 केंद्रों का मिलान होना बाकी

सीएम ने सिरे से खारिज की प्रदेश की मंडियों के बंद होने की बात

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) की बात की जाए तो उन्होंने प्रदेश की मंडियों के बंद होने की बात को सिरे से खारिज कर दिया है. उनका कहना है कि प्रदेश में मंडियां बंद नहीं की गई हैं. भूपेश बघेल ने कहा कि कृषि बिल के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव लाया गया था और उसके बाद अनुमोदन कर राज्यपाल के पास भेज दिया गया है. लेकिन राज्यपाल के पास से अब तक कोई जवाब नहीं आया है. राज्यपाल के पास यह प्रस्ताव काफी लंबे समय से लटका हुआ है.

मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच सामंजस्य न होने को लेकर बघेल ने कहा कि इसमें कोई सामंजस्य न होने वाली बात ही नहीं है. अनेक बार ऐसे बिल आते हैं, जिसको राजभवन में अध्ययन के लिए रखा जाता है. अध्ययन के बाद उसे वापस किया जाता है. यदि असहमत है तो वापस कर दिया जाता है और यदि सहमत है तो अनुमोदन करके दे दिया जाता है.

देखने लायक है राज्य सरकार का रुख

अब देखने वाली बात है कि किसानों की मांगों को लेकर राज्य सरकार क्या रुख अपनाती है. क्या राज्य सरकार बंद पड़ी मंडियों को शुरू करने कोई ठोस कदम उठाती है. समर्थन मूल्य पर धान मंडियों में बेचा जा सके, इसे लेकर कोई फरमान जारी करती है. या फिर मंडियों के बंद होने और समर्थन मूल्य पर खुले बाजार में धान बेचने की व्यवस्था ना होने से किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.

रायपुर : किसान संगठनों की ओर से लगातार कृषि मंडियों (Demand to start agriculture markets of state) को शुरू करने की मांग की जा रही है. किसान संगठन का कहना है कि केंद्र की तरफ से निर्धारित समर्थन (Fixed Support Price) मूल्य पर राज्य सरकार मंडियों में धान बेचने की घोषणा करें. ताकि किसानों को राहत मिल सके. मंडी शुरू न होने की वजह से इन किसानों को औने-पौने दामों पर व्यापारियों को अपना धान बेचना पड़ता है. जिससे उन्हें काफी नुकसान भी उठाना पड़ता है. साथ ही देर से हो रही धान खरीदी में किसानों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है.

समर्थन मूल्य पर धान बिक्री कब?

भाजपा शासनकाल में 1 नवंबर से धान खरीदी की जाती थी, लेकिन कांग्रेस सरकार 1 दिसंबर से धान खरीदी कर रही है. 1 महीने के अंतर के कारण किसान काफी परेशान है, क्योंकि इस बीच यदि पानी गिर जाता है इन किसानों के धान खराब हो जाते हैं. खलिहानों में रखा धान सड़ जाता है. जिससे इन्हें काफी आर्थिक क्षति होती है. यही वजह के किसान प्रदेश में संचालित मंडियों को शुरू करने की मांग कर रही है.

धान खरीदी की घोषणा बाद भी किसानों में क्यों है मायूसी?

प्रदेश में भाजपा के शासन काल में 230 में से 37 मंडल संचालित थीं : किसान संगठन

छत्तीसगढ़ किसान मजदूर संघ (Chhattisgarh Kisan Mazdoor Sangh) के सदस्य वैगेंद्र सोनबेर ने कहा कि छत्तीसगढ़ में भाजपा के शासन काल में 230 में से 37 मंडल संचालित थीं. आज कांग्रेस सरकार में 41 मंडियां संचालित हो रही है. जिसमें 4 उप मंडी भी शामिल हैं. भाजपा के शासनकाल में सौदा पत्रक कानून लाया गया था, जो व्यापारियों को लाभ पहुंचाने वाला कानून था. जिसका पालन आज भी किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ में इस कानून के तहत भूपेश सरकार भी व्यापारियों को लाभ पहुंचा रही है.

यदि समर्थन मूल्य पर मंडियों में धान बेचने की व्यवस्था कर दी जाए, उससे 25 सो रुपए की कोई दरकार नहीं है. यदि हम समर्थन मूल्य पर 12 महीने धान बेचेंगे तो भी खुशहाल रह सकते हैं. हम अपने रबी फसल का धान भी समर्थन मूल्य पर मंडी में बेच सकते हैं. हम अपने परिवार को खुश रख सकते हैं. यदि सौदा पत्र कानून चालू रहा तो आज हम जो 25 सो रुपए और समर्थन मूल्य की जगह महज 12 सौ रुपये में धान बेच रहे हैं. आने वाले समय में हमें ऐसे हजार पर भी बेचना पड़ेगा. इसलिए हमारी मांगे की मंडियों को फिर से शुरू किया जाए.

छत्तीसगढ़ के किसानों की सुध नहीं ले रही कांग्रेस : भाजपा

बीजेपी प्रवक्ता गौरी शंकर श्रीवास (BJP spokesperson Gauri Shankar Srivas) ने कहा कि कांग्रेस सिर्फ कृषि बिल का विरोध करती है, क्योंकि वो इसलिए विरोध कर रही है. कांग्रेस दिल्ली में धरने पर बैठे किसानों का समर्थन करती है. लेकिन छत्तीसगढ़ के किसानों की सुध नहीं ले रही है. आज मंडी या बंद हो चुकी है. लेकिन सरकार को इसकी जानकारी नहीं है. सरकार आज भी कहती है कि मंडिया संचालित हो रही हैं. बीजेपी प्रवक्ता का कहना है कि आज 200 से ज्यादा मंडियों में से 170 के लगभग मंडी आब बंद हो चुकी हैं, बाकी भी बंद होने की कगार पर हैं. ऐसे में किसानों की हितैषी बनने का दावा करने वाली कांग्रेस सरकार किसानों के खिलाफ काम कर रही है.

बेमेतरा में प्रशासन की लापरवाही से 20 करोड़ का धान सूखा! 29 केंद्रों का मिलान होना बाकी

सीएम ने सिरे से खारिज की प्रदेश की मंडियों के बंद होने की बात

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) की बात की जाए तो उन्होंने प्रदेश की मंडियों के बंद होने की बात को सिरे से खारिज कर दिया है. उनका कहना है कि प्रदेश में मंडियां बंद नहीं की गई हैं. भूपेश बघेल ने कहा कि कृषि बिल के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव लाया गया था और उसके बाद अनुमोदन कर राज्यपाल के पास भेज दिया गया है. लेकिन राज्यपाल के पास से अब तक कोई जवाब नहीं आया है. राज्यपाल के पास यह प्रस्ताव काफी लंबे समय से लटका हुआ है.

मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच सामंजस्य न होने को लेकर बघेल ने कहा कि इसमें कोई सामंजस्य न होने वाली बात ही नहीं है. अनेक बार ऐसे बिल आते हैं, जिसको राजभवन में अध्ययन के लिए रखा जाता है. अध्ययन के बाद उसे वापस किया जाता है. यदि असहमत है तो वापस कर दिया जाता है और यदि सहमत है तो अनुमोदन करके दे दिया जाता है.

देखने लायक है राज्य सरकार का रुख

अब देखने वाली बात है कि किसानों की मांगों को लेकर राज्य सरकार क्या रुख अपनाती है. क्या राज्य सरकार बंद पड़ी मंडियों को शुरू करने कोई ठोस कदम उठाती है. समर्थन मूल्य पर धान मंडियों में बेचा जा सके, इसे लेकर कोई फरमान जारी करती है. या फिर मंडियों के बंद होने और समर्थन मूल्य पर खुले बाजार में धान बेचने की व्यवस्था ना होने से किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.

Last Updated : Nov 9, 2021, 8:15 AM IST
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