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बस्तर के किसान राजाराम त्रिपाठी की अफ्रीका में गूंज, जैविक खेती की दे रहे ट्रेनिंग

जैविक और हर्बल खेती की ट्रेनिंग देने बस्तर के किसान राजाराम अफ्रीका के मोजाम्बिक पहुंचे. जहां उन्होंने किसानों को इस तरह की खेती के गुर और ट्रेनिंग सिखाए. किसान राजाराम अफ्रीका में जैविक खेती की दे रहे ट्रेनिंग

Farmer Rajaram
मोजाम्बिक में राजाराम त्रिपाठी
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Published : Jan 19, 2020, 7:36 PM IST

Updated : Jan 19, 2020, 9:06 PM IST

रायपुर: कोंडागांव के राजाराम त्रिपाठी बैंक की नौकरी छोड़कर जैविक और हर्बल खेती की रुख किया. इसमें कड़ी मेहनत के बाद राजाराम आज किसानों को इस तरह की खेती के टिप्स दे रहे हैं. खेती-किसानी की इनकी अलग पद्धति ने छत्तीसगढ़ का नाम देश में नहीं विदेश में भी ऊंचा किया है. राजाराम जैविक और हर्बल खेती करते हैं और दूसरे किसानों को भी इसके लिए प्रेरित करते हैं. ताकि हम रासायनिक खादों और जहरीले कीटनाशकों से पर्यावरण को बचा सकें और खुद भी स्वस्थ्य रह सकें.

बस्तर के किसान राजाराम की अफ्रीका में गूंज

बस्तर से मोजाम्बिक पहुंचे राजाराम
राजाराम त्रिपाठी ने जैविक और हर्बल खेती को लेकर कई तरह के प्रयोग किए हैं और देश विदेश में खूब नाम कमाया है. इन्ही खासियत की वजह से राजाराम त्रिपाठी को विश्व हैरिटेज अफ्रीकी देश मोजांबिक में बुलाया गया जहां उन्होंने किसानों को हर्बल और जैविक खेती के गुर सिखाए.

Africa people
मोजाम्बिक के लोगों के साथ राजाराम

मोजाम्बिक के किसानों को राजाराम ने दिए टिप्स
जैविक खेती को समझने के लिए इस अफ्रीकी देश के पुरुष किसानों के साथ-साथ महिला किसानों में खासा उत्साह नजर आया. मोजांबिक के निवाला प्रांत में ये आयोजन किया गया था. डॉ त्रिपाठी ने द्विभाषीय की मदद से यहां के किसानों को जैविक खेती की जानकारी दी.

Farmer Rajaram giving training
जैविक खेती के बारे में बताते राजाराम

मोजाम्बिक में राजाराम का हुआ भव्य स्वागत
मोजाम्बिक के इस इलाके में अफ्रीका की मूल आदिम जनजाति निवास करती है. उनका रहन-सहन और संस्कृति बस्तर की जनजातीय समुदायों से बहुत ज्यादा मिलता-जुलता है. बस्तर की तरह ही मोजांबिक में भी महिलाएं खेती के काम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं. डॉक्टर त्रिपाठी ने बताया कि अफ्रीका जनजाति के लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया और उन्हें ऐसा एहसास नहीं होने दिया की वह भारत से बाहर हैं.

organic farming in Africa
मोजाम्बिक के लोग

जैविक खेती की मुहिम को बढ़ा रहे राजाराम
एक तरफ जहां रासायनिक खेती से खेत की उर्वरा शक्ति खत्म होती है वहीं स्वास्थ्य को गंभीर खतरा पैदा होता है. ऐसे में हमें राजाराम त्रिपाठी की जैविक और हर्बल खेती की यह मुहिम काबिल ए तारीफ है.

Farmer Rajaram
जैविक खेती की ट्रेनिंग देते राजाराम

बढ़ती आबादी और ज्यादा से फसलों का उत्पादन करने की होड़ में लोग धड़ल्ले से रासायनिक खादों का इस्तेमाल कर रहे हैं. जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है और जमीन भी खराब हो रही है. इसलिए आज जरूरत है कि हम ज्यादा से ज्यादा जैविक खेती की ओर बढ़ें ताकि खेतों को रासायनिक खादों के प्रयोग से बचाया जा सके.

organic farming in Africa
जैविक खेती की ट्रेनिंग देते राजाराम

रायपुर: कोंडागांव के राजाराम त्रिपाठी बैंक की नौकरी छोड़कर जैविक और हर्बल खेती की रुख किया. इसमें कड़ी मेहनत के बाद राजाराम आज किसानों को इस तरह की खेती के टिप्स दे रहे हैं. खेती-किसानी की इनकी अलग पद्धति ने छत्तीसगढ़ का नाम देश में नहीं विदेश में भी ऊंचा किया है. राजाराम जैविक और हर्बल खेती करते हैं और दूसरे किसानों को भी इसके लिए प्रेरित करते हैं. ताकि हम रासायनिक खादों और जहरीले कीटनाशकों से पर्यावरण को बचा सकें और खुद भी स्वस्थ्य रह सकें.

बस्तर के किसान राजाराम की अफ्रीका में गूंज

बस्तर से मोजाम्बिक पहुंचे राजाराम
राजाराम त्रिपाठी ने जैविक और हर्बल खेती को लेकर कई तरह के प्रयोग किए हैं और देश विदेश में खूब नाम कमाया है. इन्ही खासियत की वजह से राजाराम त्रिपाठी को विश्व हैरिटेज अफ्रीकी देश मोजांबिक में बुलाया गया जहां उन्होंने किसानों को हर्बल और जैविक खेती के गुर सिखाए.

Africa people
मोजाम्बिक के लोगों के साथ राजाराम

मोजाम्बिक के किसानों को राजाराम ने दिए टिप्स
जैविक खेती को समझने के लिए इस अफ्रीकी देश के पुरुष किसानों के साथ-साथ महिला किसानों में खासा उत्साह नजर आया. मोजांबिक के निवाला प्रांत में ये आयोजन किया गया था. डॉ त्रिपाठी ने द्विभाषीय की मदद से यहां के किसानों को जैविक खेती की जानकारी दी.

Farmer Rajaram giving training
जैविक खेती के बारे में बताते राजाराम

मोजाम्बिक में राजाराम का हुआ भव्य स्वागत
मोजाम्बिक के इस इलाके में अफ्रीका की मूल आदिम जनजाति निवास करती है. उनका रहन-सहन और संस्कृति बस्तर की जनजातीय समुदायों से बहुत ज्यादा मिलता-जुलता है. बस्तर की तरह ही मोजांबिक में भी महिलाएं खेती के काम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं. डॉक्टर त्रिपाठी ने बताया कि अफ्रीका जनजाति के लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया और उन्हें ऐसा एहसास नहीं होने दिया की वह भारत से बाहर हैं.

organic farming in Africa
मोजाम्बिक के लोग

जैविक खेती की मुहिम को बढ़ा रहे राजाराम
एक तरफ जहां रासायनिक खेती से खेत की उर्वरा शक्ति खत्म होती है वहीं स्वास्थ्य को गंभीर खतरा पैदा होता है. ऐसे में हमें राजाराम त्रिपाठी की जैविक और हर्बल खेती की यह मुहिम काबिल ए तारीफ है.

Farmer Rajaram
जैविक खेती की ट्रेनिंग देते राजाराम

बढ़ती आबादी और ज्यादा से फसलों का उत्पादन करने की होड़ में लोग धड़ल्ले से रासायनिक खादों का इस्तेमाल कर रहे हैं. जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है और जमीन भी खराब हो रही है. इसलिए आज जरूरत है कि हम ज्यादा से ज्यादा जैविक खेती की ओर बढ़ें ताकि खेतों को रासायनिक खादों के प्रयोग से बचाया जा सके.

organic farming in Africa
जैविक खेती की ट्रेनिंग देते राजाराम
Intro:HEAD-         बस्तर का किसान जैविक और हर्बल की खेती का प्रशिक्षण देने पहुंचा अफ्रीकी देश मोजांबिक


बस्तर में जैविक खेती कर देश में बड़ा नाम कमाने वाले डॉ राजाराम त्रिपाठी ने हाल ही में विश्व हेरिटेज मोजांबिक अफ्रीका के प्रगतिशील किसानों को खेती के गुर सिखाया. मोजाम्बिक के किसानों के दल को उन्होंने जैविक खेती के बारे में जानकारी दी. जैविक खेती को समझने के लिए इस अफ्रीकी देश के महिला किसानों में खासा उत्साह नजर आया. मोजांबिक के निवाला प्रांत में ये आयोजन किया गया था. डॉ त्रिपाठी ने द्विभाषीये की मदद से यहां के किसानों को अपनी बात शेयर की.

Body:उल्लेखनीय है कि मोजाम्बिक के इस इलाके में अफ्रीका की मूल आदिम जनजाति निवास करती है तथा उनका रहन-सहन एवं संस्कृति बस्तर की जनजातीय समुदायों से आश्चर्यजनक रूप से बहुत ज्यादा साम्य रखता है। डॉक्टर त्रिपाठी ने बताया कि अफ्रीका जनजाति के लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया तथा उन्हें ऐसा एहसास होने ही नहीं दिया कि वह अपने घर बस्तर से कहीं बाहर हैं। बस्तर की तरह ही मोजांबिक में भी महिलाएं खेती के कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं। बस्तर की ही तरह अपने दूध पीते बच्चों को पीट से बांधकर खेतों में महिलाओं को काम करते होते हुए देखना यहां भी बेहद आम दृश्य है। मोजांबिक के पेड़ पौधे जलवायु काफी हद तक बस्तर की जलवायु से मिलती-जुलती है यहां पर काजू का घना वृक्षारोपण किया गया है साथ ही कसावा तथा मक्के की बड़े पैमाने पर खेती होती है।
Conclusion:राजाराम त्रिपाठी के मुताबिक दरअसल हमें "विश्व हेरिटेज" घोषित हो चुके देश मुताबिक के आदिम जनजातियों से भी उनके लाखों साल के संचित अनुभवजन्य, परंपरागत अनमोल ज्ञानकोष से बहुत कुछ सीखना बाकी है।
कोंडागांव में रहने वाले डॉ राजाराम त्रिपाठी जैविक खेती में कई तरह के प्रयोग कर रहे हैं. उनके फार्म में इसे देखने के लिए देश के कई बड़े अधिकारी और किसानों का दल पहुंचते रहता है. इस तरह अपने हुनर से इस किसान ने बस्तर का नाम दुनिया भर में स्थापित करने में सहायक रहा है.
Last Updated : Jan 19, 2020, 9:06 PM IST
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