रायपुर: कोंडागांव के राजाराम त्रिपाठी बैंक की नौकरी छोड़कर जैविक और हर्बल खेती की रुख किया. इसमें कड़ी मेहनत के बाद राजाराम आज किसानों को इस तरह की खेती के टिप्स दे रहे हैं. खेती-किसानी की इनकी अलग पद्धति ने छत्तीसगढ़ का नाम देश में नहीं विदेश में भी ऊंचा किया है. राजाराम जैविक और हर्बल खेती करते हैं और दूसरे किसानों को भी इसके लिए प्रेरित करते हैं. ताकि हम रासायनिक खादों और जहरीले कीटनाशकों से पर्यावरण को बचा सकें और खुद भी स्वस्थ्य रह सकें.
बस्तर से मोजाम्बिक पहुंचे राजाराम
राजाराम त्रिपाठी ने जैविक और हर्बल खेती को लेकर कई तरह के प्रयोग किए हैं और देश विदेश में खूब नाम कमाया है. इन्ही खासियत की वजह से राजाराम त्रिपाठी को विश्व हैरिटेज अफ्रीकी देश मोजांबिक में बुलाया गया जहां उन्होंने किसानों को हर्बल और जैविक खेती के गुर सिखाए.
मोजाम्बिक के किसानों को राजाराम ने दिए टिप्स
जैविक खेती को समझने के लिए इस अफ्रीकी देश के पुरुष किसानों के साथ-साथ महिला किसानों में खासा उत्साह नजर आया. मोजांबिक के निवाला प्रांत में ये आयोजन किया गया था. डॉ त्रिपाठी ने द्विभाषीय की मदद से यहां के किसानों को जैविक खेती की जानकारी दी.
मोजाम्बिक में राजाराम का हुआ भव्य स्वागत
मोजाम्बिक के इस इलाके में अफ्रीका की मूल आदिम जनजाति निवास करती है. उनका रहन-सहन और संस्कृति बस्तर की जनजातीय समुदायों से बहुत ज्यादा मिलता-जुलता है. बस्तर की तरह ही मोजांबिक में भी महिलाएं खेती के काम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं. डॉक्टर त्रिपाठी ने बताया कि अफ्रीका जनजाति के लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया और उन्हें ऐसा एहसास नहीं होने दिया की वह भारत से बाहर हैं.
जैविक खेती की मुहिम को बढ़ा रहे राजाराम
एक तरफ जहां रासायनिक खेती से खेत की उर्वरा शक्ति खत्म होती है वहीं स्वास्थ्य को गंभीर खतरा पैदा होता है. ऐसे में हमें राजाराम त्रिपाठी की जैविक और हर्बल खेती की यह मुहिम काबिल ए तारीफ है.
बढ़ती आबादी और ज्यादा से फसलों का उत्पादन करने की होड़ में लोग धड़ल्ले से रासायनिक खादों का इस्तेमाल कर रहे हैं. जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है और जमीन भी खराब हो रही है. इसलिए आज जरूरत है कि हम ज्यादा से ज्यादा जैविक खेती की ओर बढ़ें ताकि खेतों को रासायनिक खादों के प्रयोग से बचाया जा सके.