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जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन उत्पादन का दावा, फिर भी नहीं कम हो रही मौतें

छत्तीसगढ़ में कोरोना से हाहाकार मचा हुआ है. छत्तीसगढ़ से ऐसी तमाम खबरें सामने आई हैं, जिसमें मरीज और उनके परिजनों ने ऑक्सीजन बेड न मिलने की शिकायत की है. कहीं हालत खराब होने पर भी घंटों इंतजार करना पड़ा है. राज्य सरकार दावा कर रही है कि प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी नहीं है. ETV भारत ने जब इसकी पड़ताल की थी तो रायपुर और दुर्ग जिले में न सिर्फ ऑक्सीजन सिलेंडर के दाम बढ़ने की बात सामने आई बल्कि सप्लायरों ने डिमांड के हिसाब से कम सप्लाई की बात कही.

covid patients not getting oxygen
छत्तीसगढ़ में ऑक्सीजन का उत्पादन
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Published : Apr 21, 2021, 6:48 PM IST

Updated : Apr 21, 2021, 8:15 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण की वजह से भयावह मंजर देखने को मिल रहा है. कोरोना संक्रमितों के आंकड़े दिनों-दिन बढ़ रहे हैं. इलाज के लिए जरूरी दवाई रेमडेसिविर, ऑक्सीजन सहित वेंटिलेटर की कमी भी देखने को मिल रही है. इंजेक्शन से लेकर ऑक्सीजन तक की कालाबाजारी हो रही है. निर्धारित दर से कई गुना ज्यादा कीमत पर बाजार में ये जरूरी सामान मिल रहे हैं. मरीज की जान बचाने के लिए परिजन महंगे दामों पर भी ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदने को मजबूर हैं. इस कालाबाजारी को रोकने में राज्य सरकार अब तक नाकाम रही है.

सरकार की ओर से कोरोना से निपटने के लिए अपने स्तर पर व्यापक स्तर पर कार्य किए जाने के दावे किए जा रहे हैं. ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की आपूर्ति के लिए भी अधिकारियों को जवाबदारी दी गई है. बावजूद इसके यह सुविधाएं मरीजों तक नहीं पहुंच पा रही है. ऑक्सीजन की आपूर्ति को लेकर भी राज्य सरकार ने बड़े-बड़े दावे किए हैं.

ऑक्सीजन को लेकर सरकारी दावें

राज्य सरकार का दावा है कि छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन है, लेकिन इन दावों के बावजूद प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी बनी हुई है. जिसकी वजह से कोरोना संक्रमितों की मौत का सिलसिला लगातार जारी है. कई अस्पतालों में परिजनों का सीधे आरोप था कि ऑक्सीजन बेड न मिलने की वजह से कोरोना संक्रमित की मौत हो गई है.

हाय रे व्यवस्था ! वाहन नहीं मिला तो स्ट्रेचर पर शव लेकर गए परिजन

ऑक्सीजन स्टॉक करके नहीं रखा जा सकता

अस्पताल प्रबंधन भी मान रहे हैं कि जिस अनुपात में कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन बेड चाहिए वह उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. हालांकि ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की मौत से अस्पताल प्रबंधन साफ इनकार करता रहा है. ऑक्सीजन के स्टॉक को लेकर अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि वे आवश्यकता अनुसार समय-समय पर ऑक्सीजन की मांग करते हैं. जिस अनुपात में ऑक्सीजन प्लांट उन्हें ऑक्सीजन आपूर्ति करते हैं कई बार यह आपूर्ति मांग से कुछ कम होती है, लेकिन वे भी ऑक्सीजन स्टॉक करके नहीं रख सकते.

ऑक्सीजन सिलेंडर की खरीदी के लिए सीएम में किए 1 करोड़ रुपए स्वीकृत

लगातार ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए सरकार समय-समय पर कई महत्वपूर्ण निर्णय ले रही है. इसी कड़ी में अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर कलेक्टर को एक करोड़ रुपए की स्वीकृति दी है. जिससे ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदा जाएगा. यह भी देखा जा रहा था कि ऑक्सीजन का उत्पादन तो हो रहा है, लेकिन उसकी आपूर्ति के लिए सिलेंडर की संख्या काफी सीमित है. इससे भी ऑक्सीजन की आपूर्ति में दिक्कत हो रही थी. जिसे दूर करने के लिए यह निर्णय लिया गया है.

राज्य सरकार ने जारी किए ऑक्सीजन उत्पादन के आंकड़े

सरकार की ओर से जारी आंकड़े के अनुसार 15 अप्रैल की स्थिति में-

  • छत्तीसगढ़ में प्रतिदिन 386.92 मीट्रिक टन ऑक्सीजन गैस का उत्पादन
  • ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मरीजों के लिए हर रोज 110.30 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत


स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में बीते 14 मार्च से ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि होने से ऑक्सीजन की खपत बढ़ी है. 14 मार्च की स्थिति में राज्य में ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मात्र 197 मरीज के लिए 3.68 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आवश्यकता थी जो 15 अप्रैल की स्थिति में बढ़कर 110.30 मीट्रिक टन हो गई. 15 अप्रैल की स्थिति में ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मरीजों की संख्या 5898 थी.

छत्तीसगढ़ में 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को मुफ्त में लगेगी कोरोना वैक्सीन

राज्य में पीएसए ऑक्सीजन जनरेटर प्लांट की संख्या कुल 27 है. इनसे रोजाना 176.92 मीट्रिक टन ऑक्सीजन गैस का उत्पादन किया जा रहा है. इसके अलावा राज्य में दो लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन मैन्युफैक्चर रोजाना 210 मीट्रिक टन एयर डेस्टिलेशन यूनिट और पीएसए ऑक्सीजन जनरेट कर रहा है. इस प्रकार राज्य में कुल 29 प्लांट से 386.92 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का प्रोडक्शन किया जा रहा है.

भिलाई इस्पात संयंत्र भी ऑक्सीजन उत्पादन में निभा रहा है महत्वपूर्ण भूमिका

भिलाई इस्पात संयंत्र में लगातार ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा रहा है. मिली जानकारी के अनुसार सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा संचालित ऑक्सीजन प्लांट-2 जो कि प्रतिदिन 25 टन मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन करता है.

रायपुर को 'सांस': सीएम ने दी 1 करोड़ के ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदने की स्वीकृति

इसके अलावा भिलाई इस्पात संयंत्र परिसर में संचालित 'बिल्ड, ऑन ऑपरेट' यानी बीओओ-आधारित मैसर्स प्रॉक्स एयर से 240 टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा रहा है. इस प्रकार भिलाई इस्पात संयंत्र प्रतिदिन 265 टन मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन कर रहा है. अप्रैल 2020 से 15 अप्रैल 2021 के बीच कुल 2410 मीट्रिक टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति छत्तीसगढ़ के विभिन्न शहरों में संचालित अस्पतालों को की जा चुकी है.

अन्य राज्यों में भी की जा रही है ऑक्सीजन की आपूर्ति

मेसर्स प्रॉक्स एयर के संचालित ऑक्सीजन प्लांट से देश के अन्य राज्यों को भी ऑक्सीजन सप्लाई की जाती है. जानकारी के मुताबिक इस ऑक्सीजन प्लांट से छत्तीसगढ़ सहित तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश में भी ऑक्सीजन सप्लाई की जा रही है.

आवश्यकता से ज्यादा ऑक्सीजन की उत्पादन

इन आंकड़ों पर पर नजर डालें तो छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमितों के लिए जितनी ऑक्सीजन की आवश्यकता है, उससे कहीं ज्यादा राज्य में ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है. ऐसे में यह सवाल उठना स्वभाविक है कि आखिर पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन उत्पादन होने के बावजूद यह जरूरतमंदों तक क्यों नहीं पहुंच पा रहा है ? इस वजह की तलाश कर सरकार को जल्द व्यवस्था सुधारने की जरूरत है. नहीं तो आने वाले समय में ऑक्सीजन की किल्लत की वजह से कई मरीजों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ सकता है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण की वजह से भयावह मंजर देखने को मिल रहा है. कोरोना संक्रमितों के आंकड़े दिनों-दिन बढ़ रहे हैं. इलाज के लिए जरूरी दवाई रेमडेसिविर, ऑक्सीजन सहित वेंटिलेटर की कमी भी देखने को मिल रही है. इंजेक्शन से लेकर ऑक्सीजन तक की कालाबाजारी हो रही है. निर्धारित दर से कई गुना ज्यादा कीमत पर बाजार में ये जरूरी सामान मिल रहे हैं. मरीज की जान बचाने के लिए परिजन महंगे दामों पर भी ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदने को मजबूर हैं. इस कालाबाजारी को रोकने में राज्य सरकार अब तक नाकाम रही है.

सरकार की ओर से कोरोना से निपटने के लिए अपने स्तर पर व्यापक स्तर पर कार्य किए जाने के दावे किए जा रहे हैं. ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की आपूर्ति के लिए भी अधिकारियों को जवाबदारी दी गई है. बावजूद इसके यह सुविधाएं मरीजों तक नहीं पहुंच पा रही है. ऑक्सीजन की आपूर्ति को लेकर भी राज्य सरकार ने बड़े-बड़े दावे किए हैं.

ऑक्सीजन को लेकर सरकारी दावें

राज्य सरकार का दावा है कि छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन है, लेकिन इन दावों के बावजूद प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी बनी हुई है. जिसकी वजह से कोरोना संक्रमितों की मौत का सिलसिला लगातार जारी है. कई अस्पतालों में परिजनों का सीधे आरोप था कि ऑक्सीजन बेड न मिलने की वजह से कोरोना संक्रमित की मौत हो गई है.

हाय रे व्यवस्था ! वाहन नहीं मिला तो स्ट्रेचर पर शव लेकर गए परिजन

ऑक्सीजन स्टॉक करके नहीं रखा जा सकता

अस्पताल प्रबंधन भी मान रहे हैं कि जिस अनुपात में कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन बेड चाहिए वह उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. हालांकि ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की मौत से अस्पताल प्रबंधन साफ इनकार करता रहा है. ऑक्सीजन के स्टॉक को लेकर अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि वे आवश्यकता अनुसार समय-समय पर ऑक्सीजन की मांग करते हैं. जिस अनुपात में ऑक्सीजन प्लांट उन्हें ऑक्सीजन आपूर्ति करते हैं कई बार यह आपूर्ति मांग से कुछ कम होती है, लेकिन वे भी ऑक्सीजन स्टॉक करके नहीं रख सकते.

ऑक्सीजन सिलेंडर की खरीदी के लिए सीएम में किए 1 करोड़ रुपए स्वीकृत

लगातार ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए सरकार समय-समय पर कई महत्वपूर्ण निर्णय ले रही है. इसी कड़ी में अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर कलेक्टर को एक करोड़ रुपए की स्वीकृति दी है. जिससे ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदा जाएगा. यह भी देखा जा रहा था कि ऑक्सीजन का उत्पादन तो हो रहा है, लेकिन उसकी आपूर्ति के लिए सिलेंडर की संख्या काफी सीमित है. इससे भी ऑक्सीजन की आपूर्ति में दिक्कत हो रही थी. जिसे दूर करने के लिए यह निर्णय लिया गया है.

राज्य सरकार ने जारी किए ऑक्सीजन उत्पादन के आंकड़े

सरकार की ओर से जारी आंकड़े के अनुसार 15 अप्रैल की स्थिति में-

  • छत्तीसगढ़ में प्रतिदिन 386.92 मीट्रिक टन ऑक्सीजन गैस का उत्पादन
  • ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मरीजों के लिए हर रोज 110.30 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत


स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में बीते 14 मार्च से ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि होने से ऑक्सीजन की खपत बढ़ी है. 14 मार्च की स्थिति में राज्य में ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मात्र 197 मरीज के लिए 3.68 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आवश्यकता थी जो 15 अप्रैल की स्थिति में बढ़कर 110.30 मीट्रिक टन हो गई. 15 अप्रैल की स्थिति में ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मरीजों की संख्या 5898 थी.

छत्तीसगढ़ में 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को मुफ्त में लगेगी कोरोना वैक्सीन

राज्य में पीएसए ऑक्सीजन जनरेटर प्लांट की संख्या कुल 27 है. इनसे रोजाना 176.92 मीट्रिक टन ऑक्सीजन गैस का उत्पादन किया जा रहा है. इसके अलावा राज्य में दो लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन मैन्युफैक्चर रोजाना 210 मीट्रिक टन एयर डेस्टिलेशन यूनिट और पीएसए ऑक्सीजन जनरेट कर रहा है. इस प्रकार राज्य में कुल 29 प्लांट से 386.92 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का प्रोडक्शन किया जा रहा है.

भिलाई इस्पात संयंत्र भी ऑक्सीजन उत्पादन में निभा रहा है महत्वपूर्ण भूमिका

भिलाई इस्पात संयंत्र में लगातार ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा रहा है. मिली जानकारी के अनुसार सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा संचालित ऑक्सीजन प्लांट-2 जो कि प्रतिदिन 25 टन मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन करता है.

रायपुर को 'सांस': सीएम ने दी 1 करोड़ के ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदने की स्वीकृति

इसके अलावा भिलाई इस्पात संयंत्र परिसर में संचालित 'बिल्ड, ऑन ऑपरेट' यानी बीओओ-आधारित मैसर्स प्रॉक्स एयर से 240 टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा रहा है. इस प्रकार भिलाई इस्पात संयंत्र प्रतिदिन 265 टन मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन कर रहा है. अप्रैल 2020 से 15 अप्रैल 2021 के बीच कुल 2410 मीट्रिक टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति छत्तीसगढ़ के विभिन्न शहरों में संचालित अस्पतालों को की जा चुकी है.

अन्य राज्यों में भी की जा रही है ऑक्सीजन की आपूर्ति

मेसर्स प्रॉक्स एयर के संचालित ऑक्सीजन प्लांट से देश के अन्य राज्यों को भी ऑक्सीजन सप्लाई की जाती है. जानकारी के मुताबिक इस ऑक्सीजन प्लांट से छत्तीसगढ़ सहित तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश में भी ऑक्सीजन सप्लाई की जा रही है.

आवश्यकता से ज्यादा ऑक्सीजन की उत्पादन

इन आंकड़ों पर पर नजर डालें तो छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमितों के लिए जितनी ऑक्सीजन की आवश्यकता है, उससे कहीं ज्यादा राज्य में ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है. ऐसे में यह सवाल उठना स्वभाविक है कि आखिर पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन उत्पादन होने के बावजूद यह जरूरतमंदों तक क्यों नहीं पहुंच पा रहा है ? इस वजह की तलाश कर सरकार को जल्द व्यवस्था सुधारने की जरूरत है. नहीं तो आने वाले समय में ऑक्सीजन की किल्लत की वजह से कई मरीजों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ सकता है.

Last Updated : Apr 21, 2021, 8:15 PM IST
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