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बघेल सरकार के लिए क्यों बोझ बन सकती है धान खरीदी ?

धान खरीदी सरकार के लिए गले की फांस बन सकती है. इस साल राज्य सरकार ने करीब 92 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की है. जबकि अगले साल करीब एक करोड़ लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का अनुमान है.

Paddy should not become a burden for the government
सरकार के लिए बोझ न बन जाए धान
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Published : Aug 28, 2021, 7:10 PM IST

Updated : Aug 28, 2021, 10:48 PM IST

रायपुर : राज्य सरकार की ओर से लगातार धान खरीदी का लक्ष्य बढ़ाया जाता रहा है. आलम यह है कि इस साल राज्य सरकार ने करीब 92 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की और अगले साल करीब एक करोड़ लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का अनुमान है. लेकिन सरकार द्वारा यह निर्णय कहीं न कहीं आने वाले समय में सरकार पर ही बोझ बन सकता है.

सरकार के लिए बोझ न बन जाए धान

इस साल की खरीदी का नहीं हुआ निष्पादन

इस साल की गई धान खरीदी का निष्पादन अब तक सरकार नहीं कर पाई है. 60 लाख मीट्रिक टन धान केंद्रीय पूल में जमा कराने की सहमति मिली थी, वह भी केंद्रीय पूल में नहीं गया है. इसके अलावा बचे धान की नीलामी राज्य सरकार ऑनलाइन कर रही है, उसमें भी कहीं न कहीं 2500 रुपये प्रति क्विंटल की धान खरीदी के एवज में महज 1400 रुपए ही मिलने के आसार नजर आ रहे हैं. ऐसे में यदि राज्य सरकार आने वाले समय में एक लाख करोड़ मीट्रिक टन धान खरीदती है, तो उसका निष्पादन कैसे होगा यह सवाल उठना लाजिमी है.

किसान ज्यादा कर रहे उत्पादन, रकबा भी बढ़ा

इस मुद्दे पर छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता जागेश्वर प्रसाद का कहना है कि कांग्रेस सरकार द्वारा धान का समर्थन मूल्य और अंतर की राशि मिलाकर 2500 रुपये प्रति क्विंटल दिया जा रहा है. इस वजह से किसान ज्यादा धान का उत्पादन कर रहे हैं. साथ ही धान का रकबा भी बढ़ा है.

किसानों के साथ दोहरा मापदंड अपना रहा केंद्र

इधर, कृषि मंत्री रविंद्र चौबे का कहना है कि केंद्र सरकार किसानों के साथ दोहरा मापदंड अपना रही है. धान के निष्पादन एवं कस्टम मिलिंग को लेकर आरोप लगाए जा रहे हैं, जो सही नहीं है. सरकार मिलिंग का काम नहीं करती, मिलिंग प्राइवेट लोगों द्वारा की जाती है. उन्हें सरकार सुविधा देती है और धान उपलब्ध कराती है. इसके बाद जो चावल बनता है, उसे एफसीआई में जमा करते हैं. लेकिंन प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़ के किसानों का चावल लेना बंद कर दिया है. इसके बावजूद हमने किसानों से पिछले साल 92 लाख मीट्रिक टन धान खरीदे थे, इस बार एक करोड़ लाख मीट्रिक टन धान खरीदेंगे. वहीं धान का निष्पादन न होने और हाथियों को धान खिलाए जाने के सवाल पर मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि यह सारी बातें निराधार हैं.


सिर्फ मोदी सरकार को कोसने का काम कर रही कांग्रेस

जबकि भाजपा का कहना है कि कांग्रेस सिर्फ मोदी सरकार को कोसने का काम कर रही है. वह अपनी जवाबदारी से भाग रही है. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास ने कहा कि पिछले साल सरकार ने करीब 90 लाख टन से ज्यादा धान खरीदी, लेकिन रखरखाव के अभाव में धान सड़ रहा है. काफी मात्रा में धान चोरी हुए हैं. कस्टम मिलिंग लायक धान नहीं बचा है. अब ये सरकार एक करोड़ लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का दावा कर रही है. ऐसे में सरकार को बताना चाहिए कि इस धान का रख-रखाव और निष्पादन वह कैसे करेगी. अब तक पिछले साल के केंद्रीय पूल का चावल भी सरकार ने जमा नहीं किया है.

रायपुर : राज्य सरकार की ओर से लगातार धान खरीदी का लक्ष्य बढ़ाया जाता रहा है. आलम यह है कि इस साल राज्य सरकार ने करीब 92 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की और अगले साल करीब एक करोड़ लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का अनुमान है. लेकिन सरकार द्वारा यह निर्णय कहीं न कहीं आने वाले समय में सरकार पर ही बोझ बन सकता है.

सरकार के लिए बोझ न बन जाए धान

इस साल की खरीदी का नहीं हुआ निष्पादन

इस साल की गई धान खरीदी का निष्पादन अब तक सरकार नहीं कर पाई है. 60 लाख मीट्रिक टन धान केंद्रीय पूल में जमा कराने की सहमति मिली थी, वह भी केंद्रीय पूल में नहीं गया है. इसके अलावा बचे धान की नीलामी राज्य सरकार ऑनलाइन कर रही है, उसमें भी कहीं न कहीं 2500 रुपये प्रति क्विंटल की धान खरीदी के एवज में महज 1400 रुपए ही मिलने के आसार नजर आ रहे हैं. ऐसे में यदि राज्य सरकार आने वाले समय में एक लाख करोड़ मीट्रिक टन धान खरीदती है, तो उसका निष्पादन कैसे होगा यह सवाल उठना लाजिमी है.

किसान ज्यादा कर रहे उत्पादन, रकबा भी बढ़ा

इस मुद्दे पर छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता जागेश्वर प्रसाद का कहना है कि कांग्रेस सरकार द्वारा धान का समर्थन मूल्य और अंतर की राशि मिलाकर 2500 रुपये प्रति क्विंटल दिया जा रहा है. इस वजह से किसान ज्यादा धान का उत्पादन कर रहे हैं. साथ ही धान का रकबा भी बढ़ा है.

किसानों के साथ दोहरा मापदंड अपना रहा केंद्र

इधर, कृषि मंत्री रविंद्र चौबे का कहना है कि केंद्र सरकार किसानों के साथ दोहरा मापदंड अपना रही है. धान के निष्पादन एवं कस्टम मिलिंग को लेकर आरोप लगाए जा रहे हैं, जो सही नहीं है. सरकार मिलिंग का काम नहीं करती, मिलिंग प्राइवेट लोगों द्वारा की जाती है. उन्हें सरकार सुविधा देती है और धान उपलब्ध कराती है. इसके बाद जो चावल बनता है, उसे एफसीआई में जमा करते हैं. लेकिंन प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़ के किसानों का चावल लेना बंद कर दिया है. इसके बावजूद हमने किसानों से पिछले साल 92 लाख मीट्रिक टन धान खरीदे थे, इस बार एक करोड़ लाख मीट्रिक टन धान खरीदेंगे. वहीं धान का निष्पादन न होने और हाथियों को धान खिलाए जाने के सवाल पर मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि यह सारी बातें निराधार हैं.


सिर्फ मोदी सरकार को कोसने का काम कर रही कांग्रेस

जबकि भाजपा का कहना है कि कांग्रेस सिर्फ मोदी सरकार को कोसने का काम कर रही है. वह अपनी जवाबदारी से भाग रही है. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास ने कहा कि पिछले साल सरकार ने करीब 90 लाख टन से ज्यादा धान खरीदी, लेकिन रखरखाव के अभाव में धान सड़ रहा है. काफी मात्रा में धान चोरी हुए हैं. कस्टम मिलिंग लायक धान नहीं बचा है. अब ये सरकार एक करोड़ लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का दावा कर रही है. ऐसे में सरकार को बताना चाहिए कि इस धान का रख-रखाव और निष्पादन वह कैसे करेगी. अब तक पिछले साल के केंद्रीय पूल का चावल भी सरकार ने जमा नहीं किया है.

Last Updated : Aug 28, 2021, 10:48 PM IST
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