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आरंग के समोदा डैम के पास 22 हाथियों ने डाला डेरा, कुकरा डीह जंगल को बना रखा है आशियाना

आरंग के समोदा डैम के पास 22 हाथियों का एक दल कई दिनों से डेरा जमाए हुए है. हाथियों के झुंड में 7 शावक भी है.

हाथियों का दल
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Published : Mar 20, 2019, 11:49 AM IST

रायपुर: आरंग के समोदा डैम के पास 22 हाथियों का एक दल कई दिनों से डेरा जमाए हुए है. हाथियों के झुंड में 7 शावक भी है. जिसमें एक शावक की पानी में डूबने से मौत हो गई है. जिससे नर हाथी काफी आक्रामक नजर आ रहा है. सुबह हाथियों का दल पास के ही कुकरा डीह के जंगल में चला जाता है.

वीडियो

बीते 4 वर्ष पहले उड़ीसा से पलायन कर आये करीब 13 हाथियों ने बार नवापारा अभ्यारण्य में डेरा जमाये हुए है. सभी हाथी बीते एक सप्ताह से जंगल से निकलकर सिरपुर क्षेत्र के आसपास विचरण कर रहा है. इसी दौरान समोदा डैम में एक नवजात शावक की पानी में डूबने से मौत हो गई है. जिससे हाथियों का दल आक्रामक हो गया है. दूसरी ओर वन विभाग इनकी गतिविधियों पर ड्रोन कैमरे से नजर रख रही है. 6 महीने पहले भी इसी तरह एक शावक की मौत हो गई थी.

जंगल से निकलकर मैदानी इलाके की ओर पलायन करने के बारे में कहा जा रहा है कि महानदी की रेत में गर्मी के दिनों में किसान तरबूज, कुम्हड़ा, ककड़ी आदि की फसलें लगते हैं. जिसके कारण हाथियों का दल जंगल से निकल कर इस क्षेत्र में आ गया है. हर साल इस ग्रुप में जनवरी से मार्च महीने में 5-6 शावक देखे जा रहे हैं. अब इनकी संख्या 25 के आस-पास तक पहुंच चुकी है. इनमें 3 हाथियों का दल बार जंगल के ही कोठारी रेंज में देखे जा रहे हैं.

रायपुर: आरंग के समोदा डैम के पास 22 हाथियों का एक दल कई दिनों से डेरा जमाए हुए है. हाथियों के झुंड में 7 शावक भी है. जिसमें एक शावक की पानी में डूबने से मौत हो गई है. जिससे नर हाथी काफी आक्रामक नजर आ रहा है. सुबह हाथियों का दल पास के ही कुकरा डीह के जंगल में चला जाता है.

वीडियो

बीते 4 वर्ष पहले उड़ीसा से पलायन कर आये करीब 13 हाथियों ने बार नवापारा अभ्यारण्य में डेरा जमाये हुए है. सभी हाथी बीते एक सप्ताह से जंगल से निकलकर सिरपुर क्षेत्र के आसपास विचरण कर रहा है. इसी दौरान समोदा डैम में एक नवजात शावक की पानी में डूबने से मौत हो गई है. जिससे हाथियों का दल आक्रामक हो गया है. दूसरी ओर वन विभाग इनकी गतिविधियों पर ड्रोन कैमरे से नजर रख रही है. 6 महीने पहले भी इसी तरह एक शावक की मौत हो गई थी.

जंगल से निकलकर मैदानी इलाके की ओर पलायन करने के बारे में कहा जा रहा है कि महानदी की रेत में गर्मी के दिनों में किसान तरबूज, कुम्हड़ा, ककड़ी आदि की फसलें लगते हैं. जिसके कारण हाथियों का दल जंगल से निकल कर इस क्षेत्र में आ गया है. हर साल इस ग्रुप में जनवरी से मार्च महीने में 5-6 शावक देखे जा रहे हैं. अब इनकी संख्या 25 के आस-पास तक पहुंच चुकी है. इनमें 3 हाथियों का दल बार जंगल के ही कोठारी रेंज में देखे जा रहे हैं.

Intro:सरगुजा : अम्बिकापुर शहर से अगर आपको विश्रामपुर या सूरजपुर जाना हो तो, शहर के गांधी चौक और बनारस चौक पर बेतरतीब खड़े वाहन मिल जायेंगे, इस रूट पर बतौर टेक्सी विशेष प्रकार के मॉडल जीप ही चलते हैं अन्य किसी कंपनी की गाड़ी आपको नही मिलेगी, अब इसके पीछे की वजह यह है की बड़े शहरों में यह जीप अब कोई चलाता नही लिहाजा कंडम हो चुकी जीप कबाड़ के दाम पर मिल जाती है, और ये लोग उस कंडम जीप की मरम्मत कराकर उसमे पैसेंजर ढोने का धंधा किये जा रहे है।

बड़ी बात यह है की इन वाहनों का परमिट तो आरटीओ देता ही नही है, लेकिन इनका फिटनेस भी सालो पहले समाप्त हो चुका है, और फिर भी यह वाहन बेखौफ, बेधड़क सड़क और दौड़ रहे हैं, लेकिन समय समय पर सड़क सुरक्षा सप्ताह के नाम पर जांच करने वाली पुलिस आज तक इन वाहनों के चालन को बंद नही करा सकी।

एक तो अनफिट वाहन ऊपर से ओवर लोड और फिर अनियंत्रित तेज रफ्तार में जब यह वाहन सड़क पर दौड़ते हैं तो दुर्घटना की संभावना बनी रहती है और कई बार तो इनकी रफ्तार को देख डर से बाइक सवार खुद ही गिर पड़ते हैं या हाइवे पर ट्रक की चपेट में आकर जान गवां बैठते हैं। वीडियो में ऐसे वाहनों की नंबर प्लेट में नंबर भी दिख रहा है, आप सीजी ट्रांसपोर्ट की वेबसाइट पर जाकर यह इत्मिनान भी कर सकते हैं की वाहनों की स्थिति क्या है.? वही अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ओम चन्देल ने जानकारी मिलने के बाद करवाई की बात कही है।

बाइट01_ओम चंदेल (अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सरगुजा)

देश दीपक सरगुजा



Body:सरगुजा : अम्बिकापुर शहर से अगर आपको विश्रामपुर या सूरजपुर जाना हो तो, शहर के गांधी चौक और बनारस चौक पर बेतरतीब खड़े वाहन मिल जायेंगे, इस रूट पर बतौर टेक्सी विशेष प्रकार के मॉडल जीप ही चलते हैं अन्य किसी कंपनी की गाड़ी आपको नही मिलेगी, अब इसके पीछे की वजह यह है की बड़े शहरों में यह जीप अब कोई चलाता नही लिहाजा कंडम हो चुकी जीप कबाड़ के दाम पर मिल जाती है, और ये लोग उस कंडम जीप की मरम्मत कराकर उसमे पैसेंजर ढोने का धंधा किये जा रहे है।

बड़ी बात यह है की इन वाहनों का परमिट तो आरटीओ देता ही नही है, लेकिन इनका फिटनेस भी सालो पहले समाप्त हो चुका है, और फिर भी यह वाहन बेखौफ, बेधड़क सड़क और दौड़ रहे हैं, लेकिन समय समय पर सड़क सुरक्षा सप्ताह के नाम पर जांच करने वाली पुलिस आज तक इन वाहनों के चालन को बंद नही करा सकी।

एक तो अनफिट वाहन ऊपर से ओवर लोड और फिर अनियंत्रित तेज रफ्तार में जब यह वाहन सड़क पर दौड़ते हैं तो दुर्घटना की संभावना बनी रहती है और कई बार तो इनकी रफ्तार को देख डर से बाइक सवार खुद ही गिर पड़ते हैं या हाइवे पर ट्रक की चपेट में आकर जान गवां बैठते हैं। वीडियो में ऐसे वाहनों की नंबर प्लेट में नंबर भी दिख रहा है, आप सीजी ट्रांसपोर्ट की वेबसाइट पर जाकर यह इत्मिनान भी कर सकते हैं की वाहनों की स्थिति क्या है.? वही अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ओम चन्देल ने जानकारी मिलने के बाद करवाई की बात कही है।

बाइट01_ओम चंदेल (अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सरगुजा)

देश दीपक सरगुजा



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