रायपुर: छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव होने वाले हैं. इन चुनावों ने गुलाबी ठंड के मौसम में सियासी पारा हाई कर रखा है. EVM का लगातार विरोध कर रही सत्ता पर काबिज कांग्रेस ने नगरीय निकाय चुनाव बैलेट पेपर से कराने का फैसला लिया है. वैसे सरकार और विपक्ष में चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से कराने पर ठनी हुई है.
शनिवार को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान EVM को लेकर फिर सवाल उठाए. सीएम बघेल ने कहा कि 'हमारा स्पष्ट मानना है कि EVM से मतदान नहीं होना चाहिए, क्योंकि EVM में पारदर्शिता नहीं है. प्रदेश के मतदाता इलेक्ट्रानिक मशीन की जानकारी नहीं रखते. बहुत सारे मतदाता हैं, जो EVM का उपयोग नहीं जानते. इसलिए वोट देने भी नहीं आते. बहुत सारे मतदाता ऐसे हैं, जो पढ़े लिखे नहीं हैं'.
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'मतदाता नहीं करते EVM पर विश्वास'
बघेल ने कहा कि 'बैलेट पेपर से किए गए मतदान को मतदाता अपने आंख से पेटी में देख लेता है. जब मतदाता सील-मुहर लगाता है, तो मतदाता को पता होता है कि हमने इस प्रत्याशी को वोट दिया. उसको दिखता है, लेकिन इलेक्ट्रानिक मशीन में जो पढ़े लिखे मतदाता हैं, उनको भी EVM में संशय है, कि मेरा वोट सही प्रत्याशी को गया या नहीं. ऐसे स्थिति में जब लोग अविश्वास कर रहे हैं. ऐसे में जो हमारे राज्य में चुनाव होंगे तो बैलेट पेपर से होंगे. EVM पर हमको भी विश्वास नहीं है. हमको मौका मिला फैसला लेने का, तो हम बैलेट पेपर से चुनाव कराएंगे'.
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डाकमत पत्र से कांग्रेस को कम मिले वोट
वहीं एक ओर देखा जाए तो पिछली चुनावों में कांग्रेस को भाजपा के मुताबिक डाक मत पत्रों से बहुत कम वोट मिले थे. इसमें से दंतेवाड़ा उपचुनाव के दौरान कुल डाकमत पत्र से 253 वोट पड़े हैं, जिसमें भाजपा को 188 और कांग्रेस को 49 वोट मिले हैं. कांग्रेस को उम्मीद से कम वोट मिला. वहीं चित्रकोट विधानसभा उपचुनाव में कुल 108 डाकमत पत्र से वोट पड़े हैं, जिसमें कांग्रेस को 47 और भाजपा को 38 व 23 वोट अन्य प्रत्याशी को मिले हैं.
कहीं एतिहासिक गलती तो नहीं कर रही कांग्रेस
वैसे देखा जाए तो सबसे पहले EVM से चुनाव कराने वाली कांग्रेस सरकार ही थी, जिसने निष्पक्ष चुनाव के लिए EVM का प्रयोग किया था, लेकिन अब लंबे समय से कांग्रेस EVM को हटाने और बैलेट पेपर से चुनाव की मांग कर रही है. ऐसे में कुछ चुनावों में हुए बैलेट पेपर से मतदानों को देखकर लगता है कि कांग्रेस कहीं प्रदेश में बैलेट पेपर लाकर अपने पैर पर कुल्हाड़ी तो नहीं मार रही है.