ETV Bharat / state

effects of eclipse: ग्रहण के प्रभावों से बचने के लिए गर्भवती महिलाओं को क्या करना चाहिए, जानिए उपाय ! - ग्रहण के वैज्ञानिक कारण

भारत में ग्रहण को एक अशुभ घटना का रूप दिया गया है. इसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों अलग-अलग मत भी हैं. ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचने के लिए कई धार्मिक उपाय भी किए जाते हैं. वहीं लोगों का यह मानना है कि, इस दौरान गर्भ में पल रहे शिशु को ग्रहण सबसे पहले प्रभावित करता है. इसलिए गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान बाहर निकलने की सख्त मनाही होती है.

effects of eclipse
ग्रहण के दुष्प्रभाव
author img

By

Published : Apr 23, 2023, 9:05 PM IST

ग्रहण के परिणामों से बचने के लिए करें ये उपाय

रायपुर: एस्ट्रोलॉजर शैलेंद्र पचोरी बताते हैं कि "ग्रहण दो प्रकार के होते हैं, चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण. ग्रहण की बात करें तो यह राहु, सूर्य और चंद्रमा दोनों को ग्रसित करते हैं. ग्रहण काल के दौरान नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बहुत अधिक होता है. यही वजह है कि गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान घर से बाहर निकलने के लिए मना किया जाता है. सूर्य ग्रहण के दौरान यदि सूर्य की छांव गर्भवती महिला पर पड़ गई, तो बच्चा मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग हो सकता है.

गर्भवती महिलाएं ये उपाय अपनाएं: यदि बहुत इमरजेंसी है और घर से निकलना जरूरी है, तो गर्भवती महिलाएं अपने चेहरे को बहुत अच्छे से ढक लें. अपने गर्भ को बहुत अच्छे से ढक लें. उससे पहले अपनी नाभि में चंदन या, गोबर लगा लें. इस उपाय से ग्रहण का प्रभाव गर्भवती महिलाओं पर सीधे तौर पर नहीं पड़ेगा."

ग्रहण के वैज्ञानिक कारण: वैज्ञानिकों के अनुसार ग्रहण मात्र एक खगोलीय घटना है. सूर्य की परिक्रमा पृथ्वी करती है और पृथ्वी की परिक्रमा चंद्रमा करता है. जब यह तीनों ग्रह एक सीधी रेखा में आ जाते हैं, तब ग्रहण की स्थिति बनती है. कभी कभी ऐसा होता है कि पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य के बीच में आ जाती है. जिससे सूर्य की रोशनी चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती है. इस स्थिति को चंद्रग्रहण कहा जाता है. इसी तरह से जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है, तो सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाता. जिस वजह से पृथ्वी पर अंधेरा छा जाता है. इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहा जाता है.

यह भी पढ़ें: Ishan Kone दुर्गा सप्तशती का हवन करने से ईशान कोण के दोष हो सकते हैं दूर !


ग्रहण की पौराणिक कथा से समझें: समुद्र मंथन के दौरान असुरों और देवताओं में अमृत को लेकर काफी युद्ध छिड़ गया था. ऐसी स्थिति में भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लेकर एक लाइन में असुरों को और एक दूसरी लाइन में देवताओं को बिठाया. असुरों को यह बात पता नहीं थी कि, अमृत कहकर उन्हें केवल मदिरापान कराया जा रहा है और देवताओं को अमृत दिया जा रहा है. यदि असुर को अमृत पान करा दिया जाए, तो वे अमर हो जाते हैं और पृथ्वी पर संकट छा जाता है. इसीलिए भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लेकर यह माया रची थी.

राहु-केतु की वजह से शुरु हुआ ग्रहण: लेकिन असुरों में सबसे चालाक असुर स्वर भानु, भगवान विष्णु की इस मायाजाल को समझ गया. वह छुपकर देवताओं का वेश लेकर देवताओं की लाइन में जाकर बैठ गया. जिसकी भनक भगवान सूर्य और चंद्र देव को लगी. उन्होंने तुरंत भगवान विष्णु को इस बात की खबर दी. भगवान विष्णु ने क्रोध में सुदर्शन चक्र से स्वर भानु का सर धड़ से अलग कर दिया. लेकिन तब तक स्वर भानु ने अमृत पान कर लिया था. जिस वजह से उसके सिर और धड़ अलग होने पर भी, वह अमर हो गए. स्वर भानु के सिर वाले हिस्से को राहु और धड़ वाले हिस्से को केतु नाम दिया गया. इस घटना के बाद से चंद्र और सूर्य को राहु-केतु अपना दुश्मन मानते हैं. समय-समय पर उन्हें निगलने की कोशिश करते हैं, जिस वजह से चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण होता है.

पंडितों के मुताबिक गर्भवती महिलाओं को ये उपाय करने चाहिए

  1. पीने के पानी में तुलसी के पत्ते डाल दें.
  2. धारदार वस्तु जैसे कैंची, चाकू इत्यादि के इस्तेमाल से बचें.
  3. श्रृंगार सादा सिंपल हो, मेकअप न करें.
  4. ग्रहण लगने के पहले और बाद में पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें.
  5. घर में फिटकरी और समुद्री नमक डालकर पोछा लगाए
  6. दुर्गा स्तुति का जाप करें.

यह सारी मान्यताएं और उपाय एस्ट्रोलॉजर की तरफ से बताई गई है. इन बातों की पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता !

ग्रहण के परिणामों से बचने के लिए करें ये उपाय

रायपुर: एस्ट्रोलॉजर शैलेंद्र पचोरी बताते हैं कि "ग्रहण दो प्रकार के होते हैं, चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण. ग्रहण की बात करें तो यह राहु, सूर्य और चंद्रमा दोनों को ग्रसित करते हैं. ग्रहण काल के दौरान नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बहुत अधिक होता है. यही वजह है कि गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान घर से बाहर निकलने के लिए मना किया जाता है. सूर्य ग्रहण के दौरान यदि सूर्य की छांव गर्भवती महिला पर पड़ गई, तो बच्चा मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग हो सकता है.

गर्भवती महिलाएं ये उपाय अपनाएं: यदि बहुत इमरजेंसी है और घर से निकलना जरूरी है, तो गर्भवती महिलाएं अपने चेहरे को बहुत अच्छे से ढक लें. अपने गर्भ को बहुत अच्छे से ढक लें. उससे पहले अपनी नाभि में चंदन या, गोबर लगा लें. इस उपाय से ग्रहण का प्रभाव गर्भवती महिलाओं पर सीधे तौर पर नहीं पड़ेगा."

ग्रहण के वैज्ञानिक कारण: वैज्ञानिकों के अनुसार ग्रहण मात्र एक खगोलीय घटना है. सूर्य की परिक्रमा पृथ्वी करती है और पृथ्वी की परिक्रमा चंद्रमा करता है. जब यह तीनों ग्रह एक सीधी रेखा में आ जाते हैं, तब ग्रहण की स्थिति बनती है. कभी कभी ऐसा होता है कि पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य के बीच में आ जाती है. जिससे सूर्य की रोशनी चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती है. इस स्थिति को चंद्रग्रहण कहा जाता है. इसी तरह से जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है, तो सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाता. जिस वजह से पृथ्वी पर अंधेरा छा जाता है. इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहा जाता है.

यह भी पढ़ें: Ishan Kone दुर्गा सप्तशती का हवन करने से ईशान कोण के दोष हो सकते हैं दूर !


ग्रहण की पौराणिक कथा से समझें: समुद्र मंथन के दौरान असुरों और देवताओं में अमृत को लेकर काफी युद्ध छिड़ गया था. ऐसी स्थिति में भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लेकर एक लाइन में असुरों को और एक दूसरी लाइन में देवताओं को बिठाया. असुरों को यह बात पता नहीं थी कि, अमृत कहकर उन्हें केवल मदिरापान कराया जा रहा है और देवताओं को अमृत दिया जा रहा है. यदि असुर को अमृत पान करा दिया जाए, तो वे अमर हो जाते हैं और पृथ्वी पर संकट छा जाता है. इसीलिए भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लेकर यह माया रची थी.

राहु-केतु की वजह से शुरु हुआ ग्रहण: लेकिन असुरों में सबसे चालाक असुर स्वर भानु, भगवान विष्णु की इस मायाजाल को समझ गया. वह छुपकर देवताओं का वेश लेकर देवताओं की लाइन में जाकर बैठ गया. जिसकी भनक भगवान सूर्य और चंद्र देव को लगी. उन्होंने तुरंत भगवान विष्णु को इस बात की खबर दी. भगवान विष्णु ने क्रोध में सुदर्शन चक्र से स्वर भानु का सर धड़ से अलग कर दिया. लेकिन तब तक स्वर भानु ने अमृत पान कर लिया था. जिस वजह से उसके सिर और धड़ अलग होने पर भी, वह अमर हो गए. स्वर भानु के सिर वाले हिस्से को राहु और धड़ वाले हिस्से को केतु नाम दिया गया. इस घटना के बाद से चंद्र और सूर्य को राहु-केतु अपना दुश्मन मानते हैं. समय-समय पर उन्हें निगलने की कोशिश करते हैं, जिस वजह से चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण होता है.

पंडितों के मुताबिक गर्भवती महिलाओं को ये उपाय करने चाहिए

  1. पीने के पानी में तुलसी के पत्ते डाल दें.
  2. धारदार वस्तु जैसे कैंची, चाकू इत्यादि के इस्तेमाल से बचें.
  3. श्रृंगार सादा सिंपल हो, मेकअप न करें.
  4. ग्रहण लगने के पहले और बाद में पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें.
  5. घर में फिटकरी और समुद्री नमक डालकर पोछा लगाए
  6. दुर्गा स्तुति का जाप करें.

यह सारी मान्यताएं और उपाय एस्ट्रोलॉजर की तरफ से बताई गई है. इन बातों की पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता !

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.