रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव साल के अंत में होने है. इसके लिए सभी राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी तैयारी तेज कर दी है. कुछ ने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है तो कुछ अभी भी उम्मीदवारों की तलाश में हैं. लेकिन इस तलाश का पैमाना क्या होना चाहिए? इसे लेकर कुछ भी कह पाना मुश्किल है. क्योंकि इन उम्मीदवारों के पढ़े-लिखे होने को लेकर कोई गाइडलाइन नहीं है. इसलिए अनपढ़ से लेकर पढ़े लिखे तक हर तरह के लोग विधायक बन सकते है.
आइए आपको हम बताते हैं कि छत्तीसगढ़ के वर्तमान विधायकों के शिक्षा की क्या स्थिति है
छत्तीसगढ़ में 90 में से 34 विधायक पोस्ट ग्रेजुएट (Educated MLA Increased In Chhattisgarh): छत्तीसगढ़ में 90 विधानसभा सीटें हैं. इसमें 90 विधायक वर्तमान में मौजूद है. इनमें से यदि पढ़े-लिखे विधायकों की बात की जाए तो केवल 34 विधायक पोस्ट ग्रेजुएट है. वहीं 12 विधायकों ने ग्रेजुएशन किया है. 13 विधायक ऐसे भी हैं, जिन्होंने प्रोफेशनल कोर्स में ग्रेजुएशन किया है. इसके अलावा 15 विधायक 12वीं पास है. 3 विधायकों ने दसवीं पास किया है जबकि 4 विधायक आठवीं पास हैं. वहीं पांचवी पास वाले भी 4 विधायक हैं. इसके अलावा कुछ ऐसे विधायक भी हैं जो डॉक्टरेट हैं. इसमें छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष चरण दास महंत शामिल हैं. साथ ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी इस साल डॉक्टरेट की उपाधि मिली है.
छत्तीसगढ़ के पांचवी और आठवीं पास विधायक: यदि पांचवीं पास विधायकों की बात की जाए तो उसमें भाजपा से डमरूधर पुजारी का नाम शामिल है. वहीं, कांग्रेस विधायकों की बात की जाए तो उसमें रामानुजगंज विधायक बृहस्पति सिंह, पत्थलगांव विधायक राम पुकार सिंह और लैलूंगा के विधायक चक्रधर सिदार का नाम भी शामिल है. इन नेताओं ने पांचवीं तक की पढ़ाई की है. वहीं, आठवीं पास विधायकों की बात की जाए तो उसमें सारंगढ़ विधायक उत्तरी जांगड़े, चंद्रपुर विधायक राजकुमार यादव, पाली तनखार से मोहित राम केरकेट्टा और सामरी विधायक चिंतामणि महाराज का नाम शामिल है.
बगैर स्कूल गए भी मंत्री पद संभाल रहे विधायक: यदि अनपढ़ विधायकों की बात की जाए तो उसमें सबसे ऊपर नाम आता है बस्तर संभाग के आदिवासी नेता कवासी लखमा का. लखमा वर्तमान में कांग्रेस सरकार में मंत्री भी हैं. सरकार ने उन्हें आबकारी विभाग की जवाबदारी सौंप रखी है. लखमा अनपढ़ हैं. लेकिन मंत्री हैं. इन्होंने ना तो स्कूल का मुंह देखा, ना कोई किताब पढ़ी. लेकिन सियासत के गुर इनमें कूट-कूट कर भरे हुए हैं. राजनीति में इनका कोई तोड़ नहीं है. अच्छे-अच्छे पढ़े लिखे नेताओं को ये पटखनी दे देते हैं. यही वजह है कि सरकार ने उन्हें मंत्री के पद से नवाजा है. हालांकि अब लखमा थोड़ा-बहुत पढ़ना लिखना जान गए हैं.
2013 की अपेक्षा 2018 में अधिक पढ़े लिखे विधायक: साल 2013 विधानसभा की बात करें तो छत्तीसगढ़ विधानसभा में 22 विधायक प्रोफेशनल कोर्स में ग्रेजुएट थे. वहीं पोस्ट ग्रेजुएट विधायकों की संख्या 30 थी. साथ ही 36 विधायक पांचवीं, आठवीं और 12वीं पास थे. इन आकड़ों को देखते हुए कहा जा सकता है कि साल 2013 की अपेक्षा साल 2018 में ज्यादा पढ़े-लिखे विधायक छत्तीसगढ़ विधानसभा में पहुंचे थे. विधायकों के पढ़े-लिखे होने की यह जानकारी उम्मीदवारों की ओर से नामांकन के दौरान भरे गए फॉर्म में आयोग को दी जाती है.