Dussehra Ravan Dahan 2022: दशहरा का त्योहार अपना एक खास महत्व रखता हैं. शारदीय नवरात्रि के समाप्ति के बाद विजयादशमी को दशमी के दिन दशहरा का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी. अभी से इस दिन को दशहरे के रूप में मनाया जाता है. अब विजयदशमी के दिन दो शुभ योग सुकर्म और धृती का योग बन रहा है. ज्योतिष शास्त्र में इन दोनों योगों को अति शुभ माना गया है. इस युग की अवधि में किए गए सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है. ऐसी मान्यता है कि इस योग से दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है.
रावण दहन का मुहूर्त : विजयादशमी का शुभ मुहूर्त दोपहर 2:07 से शुरू होकर रात 9:15 पर खत्म होगा. दशहरे के दिन रात को शुभ मुहूर्त में रावण का दहन किया जाता है. इस दिन को अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक मानते हैं. लेकिन विजयदशमी की तिथि 4 अक्टूबर को दोपहर 2:20 से शुरू होकर 5 अक्टूबर को दोपहर 12:00 बजे समाप्त होगी.
दशहरा शुभ योग Dussehra shubhyoga
- धृति योग - 5 अक्टूबर 2022, 8.21 AM - 6 अक्टूबर 2022, 05.19 AM
- सुकर्मा योग - 4 अक्टूबर 2022, 11.23 AM- 5 अक्टूबर 2022, 8.21 AM
- रवि योग - 06.21 AM - 09.15 PM (5 अक्टूबर 2022)
दशहरा मुहूर्त Dussehra Muhurat
- अश्विन शुक्ल दशमी तिथि शुरू - 4 अक्टूबर 20022, दोपहर 2.20
- अश्विन शुक्ल दशमी तिथि समाप्त - 5 अक्टूबर 2022, दोपहर 12 बजे
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02.13 - दोपहर 03 बजे तक (5 अक्टूबर 2022)
- अपराह्न पूजा मुहूर्त - दोपहर 01.26 - दोपहर 03.48 (5 अक्टूबर 2022)
- रावण दहन मुहूर्त - 5 अक्टूबर 2022 को सूर्यास्त के बाद से रात 08.30 मिनट तक
- श्रवण नक्षत्र प्रारम्भ - 04 अक्टूबर 2022, रात 10 बजकर 51 मिनट से
- श्रवण नक्षत्र समाप्त - 05 अक्टूबर 2022, रात 09 बजकर 15 मिनट तक
दशहरे के दिन रावण के साथ-साथ कुंभकरण और मेघनाथ के पुतलों को जलाएं जाने की परंपरा है.दशहरा पर्व अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को अपराहन काल में दशहरा पूजा की जाती है. यह समय सूर्यास्त के बाद दसवीं मुहूर्त से लेकर 12वें मुहूर्त तक रहता है.
विजयादशमी पूजा विधि (Dussehra Puja vidhi)
- दशहरा पर विजय मुहूर्त या अपराह्न काल में पूजा करना उत्तम माना गया है. इस दिन प्रात: काल स्नान के बाद नए या साफ वस्त्र पहने और श्रीराम, माता सीता और हनुमान जी की उपासना करें.
- जहां पूजा करनी है वहां गंगाजल छिड़कें और चंदन से लेप लगाकर अष्टदल चक्र बनाएं. इस दिन अपराजिता और शमी पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है.
- अष्टदल चक्र के बीच अपराजिताय नमःलिखें. अब मां जया को दाईं तरफ और मां विजया को बाईं तरफ स्थापित करें. ॐ क्रियाशक्त्यै नमः और उमायै नमः मंत्र बोलकर देवी का आह्वान करें.
- गाय के गोबर से 10 गोले बनाकर उसमें ऊपर से जौ के बीज लगाएं. धूप और दीप जलाकर भगवान श्रीराम की पूजा करें और इन गोलों को जला दें.
- मान्यता है कि ये 10 गोले रावण के समान अहंकारी, लोभी, क्रोधी का प्रतीक होते हैं. इन्हें जलाकर इन बुराइयों का अंत किया जाता है.
- पूजा के बाद ओम दशरथाय विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात मंत्र का जाप करें. कहते हैं इससे सर्व कार्य सिद्ध होते हैं.
- दशहरा के दिन शस्त्र पूजन का बहुत महत्व है. विजयादशमी पर क्षत्रिय, योद्धा और सैनिक सर्वत्र विजय की कामना के साथ अपने शस्त्रों की पूजा करते है
- प्रदोष काल में रावण दहन से पूर्व शमी के पेड़ का पूजन करें. इससे शत्रु पर विजय प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है.
- श्रवण नक्षत्र में श्रीराम और उनकी वानर सेना ने लंका पर आक्रमण किया था और विजय का परचम लहराया था, इसलिए इस दिन प्रदोषकाल में रावण का पुतला जलाने की परंपरा है.