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मंदिरों में कोरोना का 'ग्रहण', 100 सालों में दूसरी बार कालीबाड़ी में नहीं विराजेंगी दुर्गा माता - news of shimla temples

इस बार कोविड 19 के चलते कालीबाड़ी मंदिर शिमला में मां दुर्गा नहीं विराजेगी. मंदिर हॉल में दुर्गा पूजा के लिए भव्य पंडाल भी नहीं सजाया जाएगा. लोग मां दुर्गा के दर्शन भी नहीं कर पाएंगे. मंदिर के पुजारी अंदर ही दुर्गा पूजा से जुड़े विधान पूरे करेंगे. इसके चलते कोलकाता से पर्यटक भी इस पूजा में शामिल होने नहीं पहुंच रहे हैं.

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100 सालों में दूसरी बार कालीबाड़ी में नहीं विराजेंगी दुर्गा माता
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Published : Oct 17, 2020, 9:53 AM IST

शिमला: 17 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रों की शुरुआत हो रही है. इन नवरात्रों में शिमला के प्रसिद्ध कालीबाड़ी मंदिर में मां काली की पूजा अर्चना के साथ-साथ मां दुर्गा की भी विशेष पूजा की जाती है. यह पूजा स्थानीय लोगों, कोलकाता और शिमला में रह रहे बंगाली समुदाय के लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है, लेकिन इस बार कोविड-19 के चलते कालीबाड़ी मंदिर शिमला में मां दुर्गा नहीं विराजेगी.

100 सालों में दूसरी बार कालीबाड़ी में नहीं विराजेंगी दुर्गा माता

100 सालों से भी अधिक है मंदिर का इतिहास

शिमला के कालीबाड़ी मंदिर में होने वाली यह दुर्गा पूजा देशभर में प्रसिद्ध है. इस बार कोरोना के खतरे को देखते हुए मां काली की पूजा अर्चना नहीं की जाएगी. इसके चलते कोलकाता से पर्यटक भी इस बार दुर्गा पूजा में नहीं आ रहे हैं. 100 सालों के इतिहास में दूसरी बार मां दुर्गा की मूर्ति के साथ-साथ मां लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश और कार्तिक की मूर्तियां मंदिर के हाल में स्थापित नहीं कि जाएंगी. मंदिर हॉल में दुर्गा पूजा के लिए भव्य पंडाल भी नहीं सजाया जाएगा. लोग मां दुर्गा के दर्शन भी नहीं कर पाएंगे. मंदिर के पुजारी अंदर ही दुर्गा पूजा से जुड़े विधान पूरे करेंगे. घट स्थापना कर मां दुर्गा की पूजा की जाएगी.

कोलकाता से मूर्तियां बनाने आते हैं कलाकार

कालीबाड़ी मंदिर में हर साल शारदीय नवरात्रों पर मां दुर्गा की विशाल मूर्ति स्थापित की जाती है. इन मूर्तियों को बनाने के लिए विशेष रूप से कोलकाता से कलाकार आते हैं. नवरात्रों से पहले ही मूर्तियों को तैयार करके, उनमें रंग भरकर मां का श्रृंगार किया जाता है. मंदिर के हॉल में विशाल पंडाल भी सजाया जाता है. छठे नवरात्रि के दिन मां दुर्गा के साथ मां लक्ष्मी, सरस्वती, कार्तिक और गणेश की मूर्तियां स्थापित की जाती है, जिसके बाद दुर्गा पूजा की शुरुआत होती है. पंडाल में मां दुर्गा की भव्य पूजा की जाती है.

अष्टमी के दिन की जाती है संधि पूजा

पूजा में बंगाली समुदाय के लोगों के साथ-साथ कोलकाता से भी काफी संख्या में श्रद्धालु भाग लेने के लिए पहुंचते हैं. अष्टमी के दिन विशेष रूप से मां दुर्गा के पंडाल में संधि पूजा की जाती है, जिसमें 108 कमल के फूल चढ़ाए जाते हैं. वहीं, नवमी के दिन मां दुर्गा की मूर्तियों को विसर्जन के लिए ले जाया जाता है और इस दिन सुहागिन महिलाएं मंदिर में सिंदूर खेलकर माता रानी से अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करती हैं.

मंदिर के अंदर पूरा किया जाएगा विधान

मंदिर कमेटी के उपाध्यक्ष एन.के चौधरी ने कहा कि उनकी जानकारी के अनुसार दुर्गा पूजा का इतिहास 100 वर्षों से भी अधिक है और सिर्फ एक बार ऐसा हुआ है कि मंदिर में दुर्गा पूजा के लिए मूर्ति स्थापना नहीं की गई है. कोविड-19 के चलते इस बार भी मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित नहीं की जा रही है, लेकिन मंदिर में पहले की तरह ही दुर्गा पूजा का विधान पूरा किया जाएगा. नवरात्रों को लेकर सभी तरह की तैयारियां भी पूरी हो चुकी हैं.

भक्तों को नहीं दिया जाएगा प्रसाद

मंदिर में सेनिटाइजेशन, सीसीटीवी कैमरा और हाथ धोने के लिए भी प्रावधान कर दिया गया है. मंदिर में प्रवेश करने वाले श्रद्धालु को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा. श्रद्धालु मंदिर में सिर्फ 10 सेकेंड के लिए ही दर्शन कर पाएंगे. मंदिर में श्रद्धालुओं को किसी तरह का प्रसाद चुनरी, चूड़ी, नारियल चढ़ाने नहीं दिया जाएगा और ना ही भक्तों को प्रसाद दिया जाएगा.

पूजा ना होने से दुकानदार निराश

मंदिर में पूजा ना होने से बाहर बैठे दुकानदार भी निराश नजर आ रहे हैं. उनका कहना है कि इसका कारोबार पर भी असर होगा. जिला प्रशासन ने मंदिर के बाहर केवल 10 ही दुकानों को लगाने की अनुमति दी है, लेकिन प्रसाद चढ़ाने पर लगी रोक के चलते लोग केवल घर के लिए ही खरीदारी कर पाएंगे. इस दुर्गा पूजा में काफी संख्या में पर्यटक भी शामिल होते हैं, जिससे उनका कारोबार बेहतर होता है. मंदिरों में सुरक्षा व्यवस्था के भी पूरे इंतजाम किए गए हैं. मंदिर में तैनात पुलिस बल सोशल डिस्टेंसिंग की पालना भी सुनिश्चित करेंगे.

पढ़े: एसपी शिमला की पहल, महिलाओं को जागरूक करने के लिए जारी किया वीडियो

प्रदेश में यहां होता है दुर्गा पूजा का आयोजन

कालीबाड़ी में दुर्गा पूजा काफी वर्षों से होती आ रही है, लेकिन अब प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है. शिमला के कालीबाड़ी मंदिर में मूर्तियों को बनाने के लिए आने वाले कलाकार अंबुजा सीमेंट कंपनी दाडला, बरमाणा, बिलासपुर सहित पालमपुर में भी मूर्तियां बनाने का काम करते हैं, लेकिन इस बार कालीबाड़ी में मूर्तियां बनाने के लिए कलाकारों के न आने की वजह से अन्य जगहों पर भी मूर्तियां नहीं बनेगी और दुर्गा पूजा भी नहीं होगी.

शिमला: 17 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रों की शुरुआत हो रही है. इन नवरात्रों में शिमला के प्रसिद्ध कालीबाड़ी मंदिर में मां काली की पूजा अर्चना के साथ-साथ मां दुर्गा की भी विशेष पूजा की जाती है. यह पूजा स्थानीय लोगों, कोलकाता और शिमला में रह रहे बंगाली समुदाय के लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है, लेकिन इस बार कोविड-19 के चलते कालीबाड़ी मंदिर शिमला में मां दुर्गा नहीं विराजेगी.

100 सालों में दूसरी बार कालीबाड़ी में नहीं विराजेंगी दुर्गा माता

100 सालों से भी अधिक है मंदिर का इतिहास

शिमला के कालीबाड़ी मंदिर में होने वाली यह दुर्गा पूजा देशभर में प्रसिद्ध है. इस बार कोरोना के खतरे को देखते हुए मां काली की पूजा अर्चना नहीं की जाएगी. इसके चलते कोलकाता से पर्यटक भी इस बार दुर्गा पूजा में नहीं आ रहे हैं. 100 सालों के इतिहास में दूसरी बार मां दुर्गा की मूर्ति के साथ-साथ मां लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश और कार्तिक की मूर्तियां मंदिर के हाल में स्थापित नहीं कि जाएंगी. मंदिर हॉल में दुर्गा पूजा के लिए भव्य पंडाल भी नहीं सजाया जाएगा. लोग मां दुर्गा के दर्शन भी नहीं कर पाएंगे. मंदिर के पुजारी अंदर ही दुर्गा पूजा से जुड़े विधान पूरे करेंगे. घट स्थापना कर मां दुर्गा की पूजा की जाएगी.

कोलकाता से मूर्तियां बनाने आते हैं कलाकार

कालीबाड़ी मंदिर में हर साल शारदीय नवरात्रों पर मां दुर्गा की विशाल मूर्ति स्थापित की जाती है. इन मूर्तियों को बनाने के लिए विशेष रूप से कोलकाता से कलाकार आते हैं. नवरात्रों से पहले ही मूर्तियों को तैयार करके, उनमें रंग भरकर मां का श्रृंगार किया जाता है. मंदिर के हॉल में विशाल पंडाल भी सजाया जाता है. छठे नवरात्रि के दिन मां दुर्गा के साथ मां लक्ष्मी, सरस्वती, कार्तिक और गणेश की मूर्तियां स्थापित की जाती है, जिसके बाद दुर्गा पूजा की शुरुआत होती है. पंडाल में मां दुर्गा की भव्य पूजा की जाती है.

अष्टमी के दिन की जाती है संधि पूजा

पूजा में बंगाली समुदाय के लोगों के साथ-साथ कोलकाता से भी काफी संख्या में श्रद्धालु भाग लेने के लिए पहुंचते हैं. अष्टमी के दिन विशेष रूप से मां दुर्गा के पंडाल में संधि पूजा की जाती है, जिसमें 108 कमल के फूल चढ़ाए जाते हैं. वहीं, नवमी के दिन मां दुर्गा की मूर्तियों को विसर्जन के लिए ले जाया जाता है और इस दिन सुहागिन महिलाएं मंदिर में सिंदूर खेलकर माता रानी से अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करती हैं.

मंदिर के अंदर पूरा किया जाएगा विधान

मंदिर कमेटी के उपाध्यक्ष एन.के चौधरी ने कहा कि उनकी जानकारी के अनुसार दुर्गा पूजा का इतिहास 100 वर्षों से भी अधिक है और सिर्फ एक बार ऐसा हुआ है कि मंदिर में दुर्गा पूजा के लिए मूर्ति स्थापना नहीं की गई है. कोविड-19 के चलते इस बार भी मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित नहीं की जा रही है, लेकिन मंदिर में पहले की तरह ही दुर्गा पूजा का विधान पूरा किया जाएगा. नवरात्रों को लेकर सभी तरह की तैयारियां भी पूरी हो चुकी हैं.

भक्तों को नहीं दिया जाएगा प्रसाद

मंदिर में सेनिटाइजेशन, सीसीटीवी कैमरा और हाथ धोने के लिए भी प्रावधान कर दिया गया है. मंदिर में प्रवेश करने वाले श्रद्धालु को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा. श्रद्धालु मंदिर में सिर्फ 10 सेकेंड के लिए ही दर्शन कर पाएंगे. मंदिर में श्रद्धालुओं को किसी तरह का प्रसाद चुनरी, चूड़ी, नारियल चढ़ाने नहीं दिया जाएगा और ना ही भक्तों को प्रसाद दिया जाएगा.

पूजा ना होने से दुकानदार निराश

मंदिर में पूजा ना होने से बाहर बैठे दुकानदार भी निराश नजर आ रहे हैं. उनका कहना है कि इसका कारोबार पर भी असर होगा. जिला प्रशासन ने मंदिर के बाहर केवल 10 ही दुकानों को लगाने की अनुमति दी है, लेकिन प्रसाद चढ़ाने पर लगी रोक के चलते लोग केवल घर के लिए ही खरीदारी कर पाएंगे. इस दुर्गा पूजा में काफी संख्या में पर्यटक भी शामिल होते हैं, जिससे उनका कारोबार बेहतर होता है. मंदिरों में सुरक्षा व्यवस्था के भी पूरे इंतजाम किए गए हैं. मंदिर में तैनात पुलिस बल सोशल डिस्टेंसिंग की पालना भी सुनिश्चित करेंगे.

पढ़े: एसपी शिमला की पहल, महिलाओं को जागरूक करने के लिए जारी किया वीडियो

प्रदेश में यहां होता है दुर्गा पूजा का आयोजन

कालीबाड़ी में दुर्गा पूजा काफी वर्षों से होती आ रही है, लेकिन अब प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है. शिमला के कालीबाड़ी मंदिर में मूर्तियों को बनाने के लिए आने वाले कलाकार अंबुजा सीमेंट कंपनी दाडला, बरमाणा, बिलासपुर सहित पालमपुर में भी मूर्तियां बनाने का काम करते हैं, लेकिन इस बार कालीबाड़ी में मूर्तियां बनाने के लिए कलाकारों के न आने की वजह से अन्य जगहों पर भी मूर्तियां नहीं बनेगी और दुर्गा पूजा भी नहीं होगी.

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