रायपुर: देशभर में आज यानी कि 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है. आज के दौर में अधिकतर युवा नशे की गिरफ्त में हैं. जिनसे उन्हें निकालना काफी मुश्किल हो जाता है. इसके लिए कई नशा मुक्ति केन्द्रों का संचालन किया जा रहा है. कई सरकारी और निजी संस्थाएं ऐसे ड्रग एडिक्टों का इलाज कर रही है. नशा छुड़ाना आसान नही होता.
रायपुर में संचालित नशा मुक्ति केंद्र: राजधानी रायपुर में सरकार और एनजीओ नशा मुक्ति केंद्र का संचालन कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग की ओर से शहर 16 नशा मुक्ति केंद्रों का संचालन किया जा रहा है. शहर में एनजीओ के माध्यम से 6 नशा मुक्ति केंद्र का संचालन हो रहा है. ऐसे मरीज जो नशे के आदी हैं और नशा छोड़ना चाहते हैं वे इन सेंटर पर जाकर अपना इलाज करवाते हैं.
नशे से छुटकारा के लिए कैसी पद्धति अपनाई जाती है? इस विषय में विस्तार से जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने चिकित्सक और नशा मुक्ति केन्द्र की संचालिका से खास बातचीत की. आइए जानते हैं नशा से छुटकारा पाने का क्या प्रोसेस होता है...
"रायपुर में 16 नशा मुक्ति केंद्र संचालित है. इनमें केंद्र सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पताल भी शामिल है. नशा मुक्ति केंद्र में मरीजों के ओपीडी सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक रहता. टीसीसी सेंटर में ऐसे व्यक्ति जो तंबाकू छोड़ना चाहते है उनका इलाज किया जाता है." -डॉ मिथिलेश चौधरी, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी
ऐसे किया जाता है उपचार: डॉ मिथलेश चौधरी का कहना है कि, "स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित जिले के 16 नशा मुक्ति केंद्र में डॉक्टर उपलब्ध होते हैं. मरीजों की काउंसलिंग करते हैं. इसके साथ ही मरीजों को दवाइयां भी दी जाती है. जब कोई तंबाकू छोड़ता है, उस दौरान मरीज को काफी परेशानी होती है. इसके लिए डॉक्टर सब्सीट्यूट दवाइयां देते हैं, जिससे तंबाकू छोड़ने में तकलीफ नहीं होती है. फिर दवा के सेवन से जल्द तंबाकू से छुटकारा मिलता है."
इतने लोंगो ने करवाया उपचार: जिले के 16 पीसीसी सेंटर में साल 2015 से 2023 तक 30860 लोगों ने ओपीडी में अपनी जांच करवाई है. 192 पेशेंट ने तम्बाकू पूरी तरह से छोड़ दिया है. इसके अलावा सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान और तंबाकू खाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ अब तक 1069 चालानी कार्रवाई की गई है, जिसमें कुल ढाई लाख रुपए की चलानी कार्रवाई की गई है.स्वास्थ्य विभाग और राज्य सरकार के सहयोग से लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. ताकि अधिक से अधिक लोग नशा न करे.
ऐसी होती है व्यवस्था: रायपुर शहर में अलग-अलग संस्थाओं के माध्यम से 6 नशा मुक्ति केंद्रों का संचालन किया जा रहा है. एनजीओ के माध्यम से संचालित होने वाले नशा मुक्ति केंद्र में मरीजों को रखकर इलाज किया जाता है. यहां मरीजों के रहने, खाने और उनके मेडिटेशन की सारी व्यवस्था रहती है. एक ही केंद्र में सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है. मरीजों को एक तय अवधि तक रखकर नशा से मुक्त कराया जाता है.
"जब कोई व्यक्ति नशा मुक्ति केंद्र आता है तो उसे चिकित्सकों की निगरानी में रखा जाता है. इसमें मनोरोग विशेषज्ञ आब्जर्व करते हैं कि मरीज कितने दिन से नशे कर रहा हैय उसे नशा करते हुए उसे कितना समय हो गया. उसके नशे का प्रकार सिंगल एडिक्शन है या मल्टीपल एडिक्शन है. इसके साथ मरीज का वर्तमान में मेंटल और फिजिकल कंडीशन क्या है? यह सारे ऑब्जरवेशन के बाद ही इलाज शुरू होता है और दवाई दी जाती है." -ममता शर्मा, संचालिका, संगी मितान सेवा संस्थान
ये है शुरुआती प्रोसेस: संगी मितान सेवा संस्थान की संचालिका ममता शर्मा का कहना है कि, " मरीजों को दवाइयों के साथ-साथ काउंसलिंग और थेरेपी भी दी जाती है. ताकि मरीज जल्द नशा छोड़ सके. इसमें काउंसलिंग, ग्रुप डिस्कशन, बिहेवियर थेरेपी, योगा थेरेपी और मेडिटेशन शामिल है. जब मरीज इन थेरेपी से जुड़ता है तब उसे खुद में चीजे समझ आने लगती है. वह समझने लगता है कि वह कौन से गलत आचरण में है और उसे ठीक करना है."
लाइफस्टाइल किया जाता है चेंज: नशा मुक्ति केंद्रों में इलाज के साथ-साथ अन्य सभी गतिविधियों का भी पूरा ध्यान रखा जाता है. सबसे पहले मरीजों के लाइफस्टाइल को सुधारा जाता है. ज्यादातर नशा करने वाले लोगों के लाइफस्टाइल का शेड्यूल बिगड़ा हुआ होता है. नशा मुक्ति केंद्र में हम सारी चीजें सिस्टम से बनाते हैं और टाइम टेबल के अनुसार सारी चीजें चलती है. इसमें सुबह उठने से लेकर ब्रेकफास्ट, लंच से लेकर सोने के समय को व्यवस्थित करवाया जाता है.
शुरुआत में होती है दिक्कतें: नशा मुक्ति केंद्र में शुरुआती समय में थोड़ी असुविधा होती है. जब किसी मरीज का नशा रोक दिया जाता है तो उस समय उसके हाथ पैर में कंपकपी, सर दर्द, पेट में दर्द, फीवर आना और ब्लड पेशर की शिकायत मिलती है. उस दौरान पेशेंट के पास केयरटेकर भी होता है. पेशेंट के अंदर पॉजिटिविटी बनाए रखने के लिए इंडोर गेम्स एक्टिविटीज करवाया जाता है. इंटरटेनमेंट के साथ हमारा मेन फोकस परिवारिक माहौल में भी रहता है. सभी परिवार की तरह रहते हैं और एक दूसरे को नशा छुड़वाने के लिए मोटिवेट करते हैं.
स्किल्स डेवलपमेंट: नशा मुक्ति केंद्र में आने वाले पेशेंट को इंगेज करने के लिए उनका स्किल डेवलपमेंट भी किया जाता है. इसमें पेशेंट को अगरबत्ती, अचार बनाना, पापड़ बनाने जैसे गुण सिखाए जाते हैं. ताकि वो बाहर जाकर खुद को सक्षम महसूस कर सकते.
नशा वाले लगते हैं लगभग 90 दिन: मेडिकल साइंस के अनुसार नशा छुड़वाने में कुल 90 दिनों का समय लगता है. हालांकि पेशेंट का नशा कब छूटेगा? यह उसके नशे की प्रवृति पर निर्भर करता है. इलाज के बाद मरीजों का नया जीवन शुरू हो जाता है. फिर से ये लोग नये तरिके से जीवन की शुरुआत करते हैं.