ETV Bharat / state

गरबा और डांडिया महोत्सव पर कोरोना की मार, किराए पर कपड़े देने का कारोबार ठप - कपड़े किराए पर देने का व्यापार ठप

कोरोना वायरस का संक्रमण छत्तीसगढ़ में तेजी से फैल रहा है. ऐसे में गरबा और डांडिया जैसे इवेंट नहीं होने की पूरी संभावना है. गरबा और डांडिया के लिए ड्रेस किराए पर देने का बिजनेस प्रभावित हुआ है.

Dress rental business affected
कोरोना से कारोबार फीका
author img

By

Published : Oct 16, 2020, 5:43 PM IST

रायपुर: भारत त्योहारों का देश है. फेस्टिवल पर यहां के कई लोगों के रोजगार निर्भर हैं. लेकिन इस साल लगातार हर त्योहार पर कोरोना वायरस का प्रभाव दिख रहा है. कोरोना के कारण गरबा और डांडिया जैसे इवेंट पर ग्रहण लग गया है. ऐसे में ड्रेस किराए से देने का व्यवसाय करने वाली संस्थानों को घाटा हो रहा है. कोरोना वायरस संक्रमण छत्तीसगढ़ में तेजी से फैल रहा है. ऐसे में गरबा और डांडिया जैसे इवेंट नहीं होने की पूरी संभावना है.

बता दें कि कपड़ा किराए पर देने का व्यवसाय प्रभावित हुआ है. जिससे लगभग 2 करोड़ से ज्यादा का घाटा हो सकता है. लेकिन इस बार कपड़ा किराए पर देने वाले लोगों का कहना है कि इस साल मुश्किल से थोड़ा बहुत कारोबार भी हो जाए तो बड़ी बात होगी.

त्योहारों का रंग पड़ा फीका

भरत कुमार अग्रवाल बताते हैं कि कोरोना के कारण इस बार गरबा नहीं हो पाएगा. कुछ लोग हैं जो अपनी सोसायटी में ऑनलाइन गरबे का कार्यक्रम ऑर्गेनाइज कर रहे हैं. इसके लिए पहले के मुकाबले सिर्फ 2% लोग ही ड्रेस किराए पर ले जा रहे हैं. इसलिए हमने इस साल कपड़े भी बाहर से नहीं मंगाए हैं. नवरात्रि के समय हम गुजरात से नए नए कपड़े मंगाते हैं. लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इस बार कपड़े नहीं आ पाए हैं. पिछले साल नवरात्रि से पहले हम सभी कपड़े को साफ सुथरा कर ड्राई क्लीन कर सजा के रखते थे. ताकि लोग कपड़ा किराए पर ले जाएं. लेकिन इस बार दुकान खाली है.

पढ़ें: पुलिस नक्सली मुठभेड़, 1 लाख का इनामी नक्सली ढेर

रायपुर में खूब चलता है किराए पर कपड़े देने का कारोबार

आंकड़े की बात की जाए तो रायपुर में लगभग 50 दुकानें हैं जो किराए पर कपड़ा देते हैं. जिसमें 80% दुकान का कारोबार नवरात्रि के समय ही होता है. जिसमें लोग गरबा और डांडिया के लिए किराए पर ड्रेस ले जाते हैं. वहीं ड्रेस किराए पर ले जाने की कीमत भी 350 से 4000 तक की होती है. इसमें कई तरह के कपड़े भी हैं. आमतौर पर नवरात्रि के समय एक दुकानदार 7 से 8 लाख का कारोबार कर लेता था. लेकिन इस बार वही दुकानदार 10 हजार का कारोबार भी नहीं कर सका है.

ढाई महीने पहले से शुरू होती थी तैयारी

सुष्मा अग्रवाल ने बताया कि नवरात्रि में गरबा के लिए हम लगभग ढाई महीने पहले से ही काम शुरू कर देते थे. इसके लिए गुजरात से कपड़े मंगाते थे. लेकिन कोरोना के कारण इस बार गरबा नहीं हो रहा है. गरबा के सीजन में लाखों का नुकसान हुआ है. इसके साथ ही पुराने कपड़ों की वॉशिंग और मेंटेनेंस के लिए हमें अतिरिक्त खर्चा उठाना पड़ रहा है.

रायपुर: भारत त्योहारों का देश है. फेस्टिवल पर यहां के कई लोगों के रोजगार निर्भर हैं. लेकिन इस साल लगातार हर त्योहार पर कोरोना वायरस का प्रभाव दिख रहा है. कोरोना के कारण गरबा और डांडिया जैसे इवेंट पर ग्रहण लग गया है. ऐसे में ड्रेस किराए से देने का व्यवसाय करने वाली संस्थानों को घाटा हो रहा है. कोरोना वायरस संक्रमण छत्तीसगढ़ में तेजी से फैल रहा है. ऐसे में गरबा और डांडिया जैसे इवेंट नहीं होने की पूरी संभावना है.

बता दें कि कपड़ा किराए पर देने का व्यवसाय प्रभावित हुआ है. जिससे लगभग 2 करोड़ से ज्यादा का घाटा हो सकता है. लेकिन इस बार कपड़ा किराए पर देने वाले लोगों का कहना है कि इस साल मुश्किल से थोड़ा बहुत कारोबार भी हो जाए तो बड़ी बात होगी.

त्योहारों का रंग पड़ा फीका

भरत कुमार अग्रवाल बताते हैं कि कोरोना के कारण इस बार गरबा नहीं हो पाएगा. कुछ लोग हैं जो अपनी सोसायटी में ऑनलाइन गरबे का कार्यक्रम ऑर्गेनाइज कर रहे हैं. इसके लिए पहले के मुकाबले सिर्फ 2% लोग ही ड्रेस किराए पर ले जा रहे हैं. इसलिए हमने इस साल कपड़े भी बाहर से नहीं मंगाए हैं. नवरात्रि के समय हम गुजरात से नए नए कपड़े मंगाते हैं. लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इस बार कपड़े नहीं आ पाए हैं. पिछले साल नवरात्रि से पहले हम सभी कपड़े को साफ सुथरा कर ड्राई क्लीन कर सजा के रखते थे. ताकि लोग कपड़ा किराए पर ले जाएं. लेकिन इस बार दुकान खाली है.

पढ़ें: पुलिस नक्सली मुठभेड़, 1 लाख का इनामी नक्सली ढेर

रायपुर में खूब चलता है किराए पर कपड़े देने का कारोबार

आंकड़े की बात की जाए तो रायपुर में लगभग 50 दुकानें हैं जो किराए पर कपड़ा देते हैं. जिसमें 80% दुकान का कारोबार नवरात्रि के समय ही होता है. जिसमें लोग गरबा और डांडिया के लिए किराए पर ड्रेस ले जाते हैं. वहीं ड्रेस किराए पर ले जाने की कीमत भी 350 से 4000 तक की होती है. इसमें कई तरह के कपड़े भी हैं. आमतौर पर नवरात्रि के समय एक दुकानदार 7 से 8 लाख का कारोबार कर लेता था. लेकिन इस बार वही दुकानदार 10 हजार का कारोबार भी नहीं कर सका है.

ढाई महीने पहले से शुरू होती थी तैयारी

सुष्मा अग्रवाल ने बताया कि नवरात्रि में गरबा के लिए हम लगभग ढाई महीने पहले से ही काम शुरू कर देते थे. इसके लिए गुजरात से कपड़े मंगाते थे. लेकिन कोरोना के कारण इस बार गरबा नहीं हो रहा है. गरबा के सीजन में लाखों का नुकसान हुआ है. इसके साथ ही पुराने कपड़ों की वॉशिंग और मेंटेनेंस के लिए हमें अतिरिक्त खर्चा उठाना पड़ रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.