रायपुर: विस्थापितों स्थिति जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने उन व्यवस्थापितों से संपर्क किया. जो सलवा जुडूम हिंसा के दौरान छत्तीसगढ़ छोड़कर तेलंगाना और आंध्र प्रदेश चले गए थे. आइए आपको बताते हैं कि उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान क्या कहा.
सीएम बघेल ने दिया था भरोसा: विस्थापितों को लेकर सीएम बघेल ने भरोसा दिया था कि "सलवा जुडूम के दौरान बस्तर से विस्थापित हो कर अन्य राज्य गए छत्तीसगढ़ी यदि वापस आना चाह रहे हैं, तो उनका दिल से स्वागत करने को राज्य सरकार तैयार है. उनके पुनर्वास के लिए कार्ययोजना बनाकर अनुकूल वातावरण तैयार किया जाएगा. यह बयान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अप्रैल 2022 में दिया था."
सरकार ने कोई पहल नहीं की: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उस दौरान कहा था कि "छत्तीसगढ़ वापस आने के इच्छुक लोगों को जमीन देने के साथ उन्हें राशन दुकान, स्कूल, रोजगार सहित मूलभूत सुविधाएं दी जाएंगीं." सीएम के बयान से इनके दिलों में वापसी की उम्मीद जगी थी. लेकिन इस बयान को दिए 1 साल पूरे होने वाले है और सरकार की ओर से कोई कदम इसे लेकर नहीं उठाया गया है.
सीएम से नहीं हुई दोबारा मुलाकात: विस्तापितों ने बताया कि "1 साल पहले उन लोगों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात की थी. लगभग 300 विस्थापित मुख्यमंत्री निवास पहुंचे थे. इन लोगों ने मुख्यमंत्री से वापस छत्तीसगढ़ आने की इच्छा जाहिर की थी. इसके लिए व्यापक व्यवस्था बनाने की मांग की थी. जिसमें शांत जगह पर जमीन देने की मांग भी रखी गई थी. इस पर मुख्यमंत्री ने 1-2 महीने में कार्रवाई करने का आश्वासन दिया था. उसके बाद से ना तो मुख्यमंत्री से मुलाकात हुई और ना ही हमारे लिए कोई पहल की गई.
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सरकार से मांगा था जमीन का पट्टा: विस्तापितों का कहना है कि "मुख्यमंत्री ने मुलाकात के समय कहा कि "हर परिवार को 5 एकड़ जमीन का पट्टा और एक घर बना कर देंगे. लेकिन 1 साल बाद ना तो जमीन मिली, ना ही पट्टा और ना ही घर सरकार ने दिया. उस दौरान मुख्यमंत्री से मांग की थी कि हमें जमीन पट्टा दिया जाए, उसके बाद हम वापस छत्तीसगढ़ आएंगे. उसके पहले हम वापस छत्तीसगढ़ नहीं लौटेंगे."
सरकार से नहीं रही कोई उम्मीद: विस्तापितों ने बताया कि "अभी हम लोग तेलंगाना में रह रहे हैं. अब हम लोगों का धैर्य टूट रहा है. उम्मीद नहीं है कि राज्य सरकार हमें वापस बुलाएगी. क्योंकि पिछले साल मुलाकात के बाद अब तक राज्य सरकार की ओर से इस मामले में कोई पहल नहीं की गई है. विस्थापित आंध्रा की महिला ने भी राज्य सरकार से जमीन और पट्टा दिलाए जाने की मांग की. उनका कहना है कि आज आंध्रा में लगभग 60 गांव ऐसे हैं जो छत्तीसगढ़ से विस्थापित हुए है.
अन्य राज्यों के लोगों के यहां बसने पर करेंगे विरोध: विस्तापितों का कहना है कि "हम लोग जहां रहते हैं. वहां फॉरेस्ट विभाग द्वारा वृक्षारोपण किया जा रहा है. यहां की सरकार और वहां की सरकार की बात हुई थी. लेकिन हमें वापस नहीं बुलाया जा रहा है. वहां से भी हमें हटाने की बात की जा रही है. इसके बाद हम लोगों ने भी कहा कि यहां बैलाडीला में जितने भी उड़ीसा, आंध्र, तेलंगाना सहित अन्य राज्यों के लोग आए हैं, उन्हें यहां से हटाएंगे, उनका हम विरोध करेंगे."
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अन्य राज्यों वालों को कैसे मिली जमीनी पट्टा: इस दौरान इन लोगों ने बाहर के लोगों को यहां बसाने का भी आरोप लगाया. उनका कहना था कि "सलवा जुडूम हिंसा के दौरान छत्तीसगढ़ छोड़कर जो लोग गए थे, उन्हें वापस नहीं बुलाया जा रहा है. अन्य राज्यों को लोगों को यहां बसाया जा रहा है. जब हम लोग यहां आते हैं, तो बाहर के लोग कहते हैं कि उन्हें पट्टा मिला है, उन्होंने जमीन खरीदी है, तुम लोगों ने क्यों नहीं खरीदा. तुम्हारे पास पट्टा क्यों नहीं है? ऐसे में सवाल यह उठता है कि इन बाहरी लोगों को जमीन और पट्टा कैसे मिला?
सीएम से दोबारा मुलाकात की उम्मीद नहीं: विस्तापितों का कहना है कि "1 साल पहले मुख्यमंत्री से मुलाकात हुई थी. अब दोबारा उनसे कब मुलाकात होगी, कहा नहीं जा सकता. फिर जब लोग इकट्ठे होंगे, तब हो सकता है मुलाकात हो. लेकिन लगता नहीं है कि चुनाव के पहले मुख्यमंत्री से दोबारा मुलाकात हो सकेगी. दोबारा मुलाकात की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है.
लगभग 1 साल पहले जब इन लोगों ने मुख्यमंत्री निवास में भूपेश बघेल से मुलाकात की थी. उस दौरान उद्योग मंत्री कवासी लखमा, छत्तीसगढ़ राज्य अनसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू और पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा भी मौजूद थे.