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छत्तीसगढ़ विधानसभा मानसून सत्र में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा जारी

छत्तीसगढ़ विधानसभा मानसून सत्र आज हंगामेदार रहा. इस दौरान विपक्ष ने बघेल सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की. आरोप-प्रत्यारोप का दौर काफी देर तक चलता (Discussion on no confidence motion in House in chhattisgarh assembly) रहा. अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हो रही है.

chhattisgarh assembly monsoon session
छत्तीसगढ़ विधानसभा मानसून सत्र
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Published : Jul 27, 2022, 8:43 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज मानसून सत्र के दौरान बघेल सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा जोरों पर थी. इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोंकझोंक भी देखने को मिली. चर्चा की शुरुआत भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने की. चर्चा के दौरान बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ की जनता ने हमें सत्ता से हटा कर कांग्रेस पर विश्वास कर सरकार बनाया, लेकिन इन 3 सालों में जनता की उम्मीदों का गला घोट दिया गया (Discussion on no confidence motion in House in chhattisgarh assembly) है.

टाइम लिमिट को लेकर हुई बहस: इस दौरान टाइम लिमिट को लेकर भी बहस हुई. सत्ता पक्ष ने समय की याद विपक्ष को दिलायी. सीएम ने कहा कि बोलने के लिए सबका अलग-अलग समय निर्धारित किया गया है. नियम का पालन होना चाहिए. इसके बाद नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि ये सरकार डरी हुई है और हमें समय की याद दिला रही है. इस पर पक्ष-विपक्ष के बीच तीखी नोक-झोंक हुई. बहस के दौरान भाजपा विधायक ननकीराम कंवर ने कहा कि कोई विधायक, मंत्री सुनने वाला नहीं है जिसे लेकर सत्तापक्ष ने आपत्ति दर्ज की. पक्ष-विपक्ष में नोंक-झोंक शुरू हो गयी. आसंदी ने कहा अपने-अपने समय में सब अपनी बात रखें, कोई दूसरा बोल रहा है तो उसमें टोका टाकी ना करे.

आदिवासियों का हो रहा विकास: अविश्वास प्रस्ताव पर कांग्रेस सदस्य मोहन मरकाम ने कहा, " हमनें चुनाव के पहले नारा दिया था वक्त है बदलाव का. 2018 में कांग्रेस पर विश्वास कर जनता ने हमें पूर्ण बहुमत दिया, हमारी सरकार आने के बाद विकास हो रहा है. विपक्ष के आरोप बेबुनियाद हैं. विपक्ष ने 84 बिंदुओं पर हम पर आरोप लगाया है. इनके एक भी आरोप सिद्ध नहीं होते. बीजेपी ने अपने शासनकाल में कहा था कि बेरोजगार को बेरोजगारी भत्ता देंगे. लेकिन दिया नहीं. प्रत्येक आदिवासी परिवार के एक सदस्य को नौकरी देंगे, लेकिन दिया नहीं. हमारी सरकार 36 वादों में से 30 वादे पूरा कर दी है. 15 साल बीजेपी की सरकार ने आदिवासियों के साथ अन्याय किया. नक्सली बताकर आदिवासियों को जेल में भेजा. हमारी सरकार आने के बाद गांव की तस्वीर बदली. आदिवासियों का विकास हो रहा है. बीजेपी शासनकाल में कुपोषण का दर 42 फीसद हुआ करता था. हमारे साढ़े 3 साल के शासन काल में इसमें अधिकतम गिरावट आई है."

अविश्वास प्रस्ताव में दम नहीं: बहस के दौरान मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा, "हम जो वादा करके आए थे उस पर छत्तीसगढ़ की जनता को भरोसा है. 71 की बहुमत अभी हमारे पास है. अगली बार 75 प्लस के साथ सरकार में आएंगे. हमने जनता का विश्वास जीता है, इसलिए आज हम इस स्थिति में हैं. यह अविश्वास प्रस्ताव बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व के फटकार के बाद ये लेकर आए हैं. बीजेपी के अविश्वास प्रस्ताव में दम नहीं है. जब किसानों को ₹2500 देने की बात आई, तो दिल्ली की सरकार कही समर्थन मूल्य से ₹1 भी ज्यादा किसानों को नहीं मिलना चाहिए. लेकिन हमारे मुख्यमंत्री अड़े रहे कि हम 2500 किसानों को देंगे. इस बार किसानों को 2640 रुपया मिलेगा. केंद्र सरकार से हमे 30 हजार करोड़ रु लेना है, लेकिन केंद्र सरकार दे नहीं रही है. छग बीजेपी के नेता वहां पर छत्तीसगढ़ के हित की बात क्यों नहीं करते है."

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र: बघेल सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश

कांग्रेस के शासनकाल में बोरे बासी तक का हुआ सम्मान: वहीं, इसके बाद बीजेपी सदस्य बृजमोहन अग्रवाल ने कहा, "हम आपका जो पैसा दिल्ली में रुका हुआ है, वो दिलवा देंगे. आप सदन के पटल में रख दे कितना पैसा लेना है." वहीं, मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा, "छत्तीसगढ़ की अस्मिता को पहचान भूपेश बघेल ने दिलाया है. 15 साल में बीजेपी ने ये कभी नहीं किया. बासी तक का सम्मान हो गया. आज बड़े-बड़े IAS छत्तीसगढ़ी सीखने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं."

आदिवासी के अपमान को लेकर नोंकझोंक: बता दें कि अविश्वास प्रस्ताव की चर्चा में आदिवासी के अपमान को लेकर तीखी नोंकझोंक हुई.भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने आदिवासी दिवस की छुट्टी के औचित्य पर सवाल उठाया. उन्होंने ने कहा, "आदिवासी दिवस वहां मनाया जाता है, जहां आदिवासी का अस्तिव खतरे में है." अजय चंद्राकर की टिप्पणी से सदन में हंगामा हो गया. आदिवासी विधायकों ने आपत्ति जताते हुए माफी की मांग की. कवासी लखमा और अमरजीत भगत ने अजय चंद्राकर के बयान पर नाराजगी जतायी. आदिवासी विधायकों ने बीजेपी के खिलाफ नारेबाजी की.

रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज मानसून सत्र के दौरान बघेल सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा जोरों पर थी. इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोंकझोंक भी देखने को मिली. चर्चा की शुरुआत भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने की. चर्चा के दौरान बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ की जनता ने हमें सत्ता से हटा कर कांग्रेस पर विश्वास कर सरकार बनाया, लेकिन इन 3 सालों में जनता की उम्मीदों का गला घोट दिया गया (Discussion on no confidence motion in House in chhattisgarh assembly) है.

टाइम लिमिट को लेकर हुई बहस: इस दौरान टाइम लिमिट को लेकर भी बहस हुई. सत्ता पक्ष ने समय की याद विपक्ष को दिलायी. सीएम ने कहा कि बोलने के लिए सबका अलग-अलग समय निर्धारित किया गया है. नियम का पालन होना चाहिए. इसके बाद नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि ये सरकार डरी हुई है और हमें समय की याद दिला रही है. इस पर पक्ष-विपक्ष के बीच तीखी नोक-झोंक हुई. बहस के दौरान भाजपा विधायक ननकीराम कंवर ने कहा कि कोई विधायक, मंत्री सुनने वाला नहीं है जिसे लेकर सत्तापक्ष ने आपत्ति दर्ज की. पक्ष-विपक्ष में नोंक-झोंक शुरू हो गयी. आसंदी ने कहा अपने-अपने समय में सब अपनी बात रखें, कोई दूसरा बोल रहा है तो उसमें टोका टाकी ना करे.

आदिवासियों का हो रहा विकास: अविश्वास प्रस्ताव पर कांग्रेस सदस्य मोहन मरकाम ने कहा, " हमनें चुनाव के पहले नारा दिया था वक्त है बदलाव का. 2018 में कांग्रेस पर विश्वास कर जनता ने हमें पूर्ण बहुमत दिया, हमारी सरकार आने के बाद विकास हो रहा है. विपक्ष के आरोप बेबुनियाद हैं. विपक्ष ने 84 बिंदुओं पर हम पर आरोप लगाया है. इनके एक भी आरोप सिद्ध नहीं होते. बीजेपी ने अपने शासनकाल में कहा था कि बेरोजगार को बेरोजगारी भत्ता देंगे. लेकिन दिया नहीं. प्रत्येक आदिवासी परिवार के एक सदस्य को नौकरी देंगे, लेकिन दिया नहीं. हमारी सरकार 36 वादों में से 30 वादे पूरा कर दी है. 15 साल बीजेपी की सरकार ने आदिवासियों के साथ अन्याय किया. नक्सली बताकर आदिवासियों को जेल में भेजा. हमारी सरकार आने के बाद गांव की तस्वीर बदली. आदिवासियों का विकास हो रहा है. बीजेपी शासनकाल में कुपोषण का दर 42 फीसद हुआ करता था. हमारे साढ़े 3 साल के शासन काल में इसमें अधिकतम गिरावट आई है."

अविश्वास प्रस्ताव में दम नहीं: बहस के दौरान मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा, "हम जो वादा करके आए थे उस पर छत्तीसगढ़ की जनता को भरोसा है. 71 की बहुमत अभी हमारे पास है. अगली बार 75 प्लस के साथ सरकार में आएंगे. हमने जनता का विश्वास जीता है, इसलिए आज हम इस स्थिति में हैं. यह अविश्वास प्रस्ताव बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व के फटकार के बाद ये लेकर आए हैं. बीजेपी के अविश्वास प्रस्ताव में दम नहीं है. जब किसानों को ₹2500 देने की बात आई, तो दिल्ली की सरकार कही समर्थन मूल्य से ₹1 भी ज्यादा किसानों को नहीं मिलना चाहिए. लेकिन हमारे मुख्यमंत्री अड़े रहे कि हम 2500 किसानों को देंगे. इस बार किसानों को 2640 रुपया मिलेगा. केंद्र सरकार से हमे 30 हजार करोड़ रु लेना है, लेकिन केंद्र सरकार दे नहीं रही है. छग बीजेपी के नेता वहां पर छत्तीसगढ़ के हित की बात क्यों नहीं करते है."

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र: बघेल सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश

कांग्रेस के शासनकाल में बोरे बासी तक का हुआ सम्मान: वहीं, इसके बाद बीजेपी सदस्य बृजमोहन अग्रवाल ने कहा, "हम आपका जो पैसा दिल्ली में रुका हुआ है, वो दिलवा देंगे. आप सदन के पटल में रख दे कितना पैसा लेना है." वहीं, मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा, "छत्तीसगढ़ की अस्मिता को पहचान भूपेश बघेल ने दिलाया है. 15 साल में बीजेपी ने ये कभी नहीं किया. बासी तक का सम्मान हो गया. आज बड़े-बड़े IAS छत्तीसगढ़ी सीखने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं."

आदिवासी के अपमान को लेकर नोंकझोंक: बता दें कि अविश्वास प्रस्ताव की चर्चा में आदिवासी के अपमान को लेकर तीखी नोंकझोंक हुई.भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने आदिवासी दिवस की छुट्टी के औचित्य पर सवाल उठाया. उन्होंने ने कहा, "आदिवासी दिवस वहां मनाया जाता है, जहां आदिवासी का अस्तिव खतरे में है." अजय चंद्राकर की टिप्पणी से सदन में हंगामा हो गया. आदिवासी विधायकों ने आपत्ति जताते हुए माफी की मांग की. कवासी लखमा और अमरजीत भगत ने अजय चंद्राकर के बयान पर नाराजगी जतायी. आदिवासी विधायकों ने बीजेपी के खिलाफ नारेबाजी की.

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