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छत्तीसगढ़ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की रेस में इस बार किस चेहरे को मिल रही तवज्जो ?

छत्तीसगढ़ भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष की तलाश जारी है. इस बीच जानकारों का कहना है कि सामान्य वर्ग को इस बार भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है.

BJP State President
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष
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Published : May 28, 2022, 12:21 AM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष के चेहरे की तलाश शुरू हो गई है. कयास लगाए जा रहे हैं कि जल्द छत्तीसगढ़ भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बदला जा सकता है. बता दें कि छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 में भाजपा को करारी हार मिली थी. उसके बाद से अब तक दो प्रदेश अध्यक्ष बदले जा चुके हैं. अब साल 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसके पहले तीसरी बार प्रदेश अध्यक्ष बदले जाने की चर्चा तेज हो गई है.

भाजपा में नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश शुरू: राजनीति के जानकार मानते हैं कि जल्द भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान कर सकती है. लेकिन इस प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव पार्टी के लिए इतना आसान नहीं है क्योंकि नया प्रदेश अध्यक्ष चुनने के पहले पार्टी को कई पहलुओं पर मंथन करना होगा. जिसमें जातिगत समीकरण, परिवारवाद, पार्टी पर मजबूत पकड़, युवा या अनुभवी ऐसे तमाम विषय हैं. इसके अलावा अनुसूचित जाति, जनजाति, आदिवासी, पिछड़े वर्ग के नेताओं पर भी विचार-विमर्श किया जा सकता है. संभावना तो यह भी जताई जा रही है कि इस बार भाजपा सामान्य वर्ग से भी प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है.

भाजपा के सामने बड़ी चुनौती: इस विषय में ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी ने कहा, "पूर्व में भाजपा के द्वारा सामान्य वर्ग के रमन सिंह को प्रदेश की कमान सौंपी गई थी. उस दौरान भी भाजपा में कई बड़े नेता थे, जिसमें ननकीराम, नंद कुमार साय, बलिराम कश्यप थे. इन सारे नेताओं को एक साथ करते हुए साल 2003 में चुनाव लड़ा गया. सत्ता पर भाजपा काबिज हुई. लेकिन आज भाजपा में बड़े और स्थापित नेताओं की संख्या कम है. आदिवासी व पिछड़ा वर्ग ऐसे में किस को प्रतिनिधित्व दिया जाता है? किस तरह का समीकरण बनाया जाता है? कैसे पार्टी के सक्रिय नेताओं को मैदान में लड़ाई के लिए उतार सकते हैं? यह चुनौती आज भाजपा के सामने है."

कई नेताओं का लिस्ट में नाम शामिल: रामअवतार तिवारी ने कहा, "यदि प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में शामिल नेताओं की बात की जाए तो सामान्य वर्ग से सांसद संतोष पांडे का नाम हो सकता है. पिछड़ा वर्ग में विजय बघेल और नारायण चंदेल का नाम चल रहा है. इसके अलावा भी कई नेताओं के नाम शामिल हैं. साहू समाज से कई पूर्व विधायक सांसद रहे हैं. उन्हें भी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है."

बदलाव की सुगबुगाहट तेज: रामअवतार तिवारी ने कहा, "अब प्रदेश में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बदलाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है. यदि भाजपा का इतिहास देखा जाए तो अब तक आदिवासी अध्यक्ष को हटाकर आदिवासी को ही अध्यक्ष बनाया गया है. ऐसे में आदिवासी समाज से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की संभावना अधिक है. इसमें सबसे ऊपर रामविचार नेताम का नाम चल रहा है. क्योंकि नेता प्रतिपक्ष पिछड़ा वर्ग से आते हैं. इसलिए इस वर्ग से प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की संभावना काम है."

जयपुर में भाजपा की बैठक के बाद मिल बल: बता दें कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बदलाव की बात को तब और बल मिल गया है जब जयपुर में हुई भाजपा की बड़ी बैठक में शामिल होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह रायपुर लौटे और उन्होंने पत्रकारों से चर्चा के दौरान कहा कि कई लोग अध्यक्ष बनने के लिए कपड़े भी सिलवा लिए हैं. अध्यक्ष बनने के लिए हर किसी ने इच्छा पाल रखी है. उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश में वर्तमान टीम का कार्यकाल अभी बहुत बाकी है.

बघेल ने कसा तंज: रमन सिंह के बयान पर तंज कसते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि रमन सिंह ये बयान दे रहे हैं इसका मतलब अध्यक्ष उनकी पसंद का नहीं बन रहा है.

यह भी पढ़ें; भाजपा हमेशा आदिवासियों के साथ: डी पुरंदेश्वरी

समय बतायेगा किसे मिलेगा पद: बता दें कि छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव 2018 के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कमान धरमलाल कौशिक को दी गई. लेकिन पार्टी की हार के बाद पार्टी ने उन्हें विधानसभा में विधायक दल का नेता की जिम्मेदारी दी.उसके बाद पार्टी ने आदिवासी नेता विक्रम उसेंडी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया. वह भी करीब 1 साल ही अध्यक्ष रहे. उसके बाद साल 2020 में विष्णुदेव साय को छत्तीसगढ़ भाजपा की कमान सौंपी गई. तब से विष्णुदेव साय भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बने हुए हैं. इन सारे बिंदुओं पर विचार विमर्श के बाद ही पार्टी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव करेगी. यही वजह है कि सभी वर्ग के भाजपा नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष बनने को लेकर अपनी दावेदारी ठोकी है. ऐसे में पार्टी किसे अध्यक्ष बनाती है और किसे नहीं... यह तो आने वाले समय में ही स्पष्ट हो सकेगा.

रायपुर: छत्तीसगढ़ भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष के चेहरे की तलाश शुरू हो गई है. कयास लगाए जा रहे हैं कि जल्द छत्तीसगढ़ भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बदला जा सकता है. बता दें कि छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 में भाजपा को करारी हार मिली थी. उसके बाद से अब तक दो प्रदेश अध्यक्ष बदले जा चुके हैं. अब साल 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसके पहले तीसरी बार प्रदेश अध्यक्ष बदले जाने की चर्चा तेज हो गई है.

भाजपा में नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश शुरू: राजनीति के जानकार मानते हैं कि जल्द भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान कर सकती है. लेकिन इस प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव पार्टी के लिए इतना आसान नहीं है क्योंकि नया प्रदेश अध्यक्ष चुनने के पहले पार्टी को कई पहलुओं पर मंथन करना होगा. जिसमें जातिगत समीकरण, परिवारवाद, पार्टी पर मजबूत पकड़, युवा या अनुभवी ऐसे तमाम विषय हैं. इसके अलावा अनुसूचित जाति, जनजाति, आदिवासी, पिछड़े वर्ग के नेताओं पर भी विचार-विमर्श किया जा सकता है. संभावना तो यह भी जताई जा रही है कि इस बार भाजपा सामान्य वर्ग से भी प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है.

भाजपा के सामने बड़ी चुनौती: इस विषय में ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी ने कहा, "पूर्व में भाजपा के द्वारा सामान्य वर्ग के रमन सिंह को प्रदेश की कमान सौंपी गई थी. उस दौरान भी भाजपा में कई बड़े नेता थे, जिसमें ननकीराम, नंद कुमार साय, बलिराम कश्यप थे. इन सारे नेताओं को एक साथ करते हुए साल 2003 में चुनाव लड़ा गया. सत्ता पर भाजपा काबिज हुई. लेकिन आज भाजपा में बड़े और स्थापित नेताओं की संख्या कम है. आदिवासी व पिछड़ा वर्ग ऐसे में किस को प्रतिनिधित्व दिया जाता है? किस तरह का समीकरण बनाया जाता है? कैसे पार्टी के सक्रिय नेताओं को मैदान में लड़ाई के लिए उतार सकते हैं? यह चुनौती आज भाजपा के सामने है."

कई नेताओं का लिस्ट में नाम शामिल: रामअवतार तिवारी ने कहा, "यदि प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में शामिल नेताओं की बात की जाए तो सामान्य वर्ग से सांसद संतोष पांडे का नाम हो सकता है. पिछड़ा वर्ग में विजय बघेल और नारायण चंदेल का नाम चल रहा है. इसके अलावा भी कई नेताओं के नाम शामिल हैं. साहू समाज से कई पूर्व विधायक सांसद रहे हैं. उन्हें भी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है."

बदलाव की सुगबुगाहट तेज: रामअवतार तिवारी ने कहा, "अब प्रदेश में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बदलाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है. यदि भाजपा का इतिहास देखा जाए तो अब तक आदिवासी अध्यक्ष को हटाकर आदिवासी को ही अध्यक्ष बनाया गया है. ऐसे में आदिवासी समाज से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की संभावना अधिक है. इसमें सबसे ऊपर रामविचार नेताम का नाम चल रहा है. क्योंकि नेता प्रतिपक्ष पिछड़ा वर्ग से आते हैं. इसलिए इस वर्ग से प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की संभावना काम है."

जयपुर में भाजपा की बैठक के बाद मिल बल: बता दें कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बदलाव की बात को तब और बल मिल गया है जब जयपुर में हुई भाजपा की बड़ी बैठक में शामिल होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह रायपुर लौटे और उन्होंने पत्रकारों से चर्चा के दौरान कहा कि कई लोग अध्यक्ष बनने के लिए कपड़े भी सिलवा लिए हैं. अध्यक्ष बनने के लिए हर किसी ने इच्छा पाल रखी है. उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश में वर्तमान टीम का कार्यकाल अभी बहुत बाकी है.

बघेल ने कसा तंज: रमन सिंह के बयान पर तंज कसते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि रमन सिंह ये बयान दे रहे हैं इसका मतलब अध्यक्ष उनकी पसंद का नहीं बन रहा है.

यह भी पढ़ें; भाजपा हमेशा आदिवासियों के साथ: डी पुरंदेश्वरी

समय बतायेगा किसे मिलेगा पद: बता दें कि छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव 2018 के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कमान धरमलाल कौशिक को दी गई. लेकिन पार्टी की हार के बाद पार्टी ने उन्हें विधानसभा में विधायक दल का नेता की जिम्मेदारी दी.उसके बाद पार्टी ने आदिवासी नेता विक्रम उसेंडी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया. वह भी करीब 1 साल ही अध्यक्ष रहे. उसके बाद साल 2020 में विष्णुदेव साय को छत्तीसगढ़ भाजपा की कमान सौंपी गई. तब से विष्णुदेव साय भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बने हुए हैं. इन सारे बिंदुओं पर विचार विमर्श के बाद ही पार्टी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव करेगी. यही वजह है कि सभी वर्ग के भाजपा नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष बनने को लेकर अपनी दावेदारी ठोकी है. ऐसे में पार्टी किसे अध्यक्ष बनाती है और किसे नहीं... यह तो आने वाले समय में ही स्पष्ट हो सकेगा.

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