रायपुर: दंतेवाड़ा के अरनपुर में आईईडी विस्फोट में 10 डीआरजी (जिला रिजर्व गार्ड) के जवानों की मौत के मामले में नया खुलासा हुआ है. बस्तर पुलिस के मुताबिक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) को कुछ महीने पहले सुरंग खोदकर सड़क के नीचे लगाया गया था. इसके लिए 'फॉक्सहोल मैकेनिज्म' का इस्तेमाल किया गया. यह ऐसी तकनीक है जिसमें गड्ढा खोदकर दुश्म बारूद और खुद को छिपाने का काम करते हैं.
सड़क पर लगातार की जाती है डी-माइनिंग: पुलिस अधिकारियों के मुताबिक "समय-समय पर सड़क पर डी-माइनिंग की जाती है. ऐसा प्रतीत होता है कि IED को 'फॉक्सहोल मैकेनिज्म' (सुरंग खोदने की एक शैली) के माध्यम से सड़क के नीचे लगाया गया था. इस तरीके का प्रयोग करने की वजह से डी-माइनिंग के दौरान आईईडी का पता नहीं चल पाया था."
दो महीने पहले सुरंग खोदकर प्लांट की गई थी आईईडी: प्रारंभिक जांच में पाया गया कि करीब डेढ़ से दो महीने पहले एक सुरंग खोदकर आईईडी लगाया गया था. इससे जुड़े तार को जमीन से 2-3 इंच नीचे छिपाया गया था. जांच के आधार पर बस्तर पुलिस ने चैतू, देवा, मंगटू, रनसई, जैलाल, बामन, कुछ, राकेश, भीमा सहित अन्य नक्सली कैडरों के खिलाफ केस दर्ज किया है.
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विस्फोट से बन गया था 10 फीट गहरा गड्ढा: 26 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में हुए आईईडी विस्फोट में जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के 10 जवान शहीद हो गए थे और एक नागरिक की मौत हुई थी. डीआरजी के जवान अरनपुर के पास एक ड्राइवर के साथ किराए की एक निजी वैन में ऑपरेशन के बाद लौट रहे थे. विस्फोट के कारण लगभग 10 फीट गहरा गड्ढा बन गया है, जिससे कयास लगाए जा रहे हैं कि आईईडी में करीब 50 किलो विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया होगा.