रायपुर: नारायण बलि, नागबली, कालसर्प दोष, त्रिपिंडी श्राद्ध जैसे कार्यक्रम के लिए लोग अक्सर गया, नासिक और त्रंबकेश्वर जाते हैं. लेकिन धर्म सिंधु ग्रंथ के अनुसार इस तरह के धार्मिक आयोजन छत्तीसगढ़ की पवित्र नदियों के किनारे, जहां पर देवालय स्थित हो, उन जगहों पर भी श्रद्धालु इन आयोजनों को करवा सकते हैं. इसमें किसी तरह की कोई शंसय या भ्रम की स्थिति नहीं है.
धर्म सिंधु ग्रंथ में मिलता है जिक्र: बात अगर रायपुर की करें तो रायपुर की पवित्र नदी खारून नदी कहलाती है. इसके किनारे एक देवालय भी है, जहां पर इस तरह की पूजा संपन्न कराई जा सकती है. पंडित शिवपूजन द्विवेदी बताते है कि इस तरह की पूजा गया नासिक और त्रंबकेश्वर जैसी जगहों पर पिछले 50 सालों से आयोजित होता आ रहा है. पंडित पंकज पांडेय बताते हैं कि "इस तरह की पूजा का आयोजन आप कहीं भी कर सकते हैं. नदी का किनारा होना चाहिए और मंदिर या देवालय होना चाहिए. ऐसी जगह पर इस तरह की पूजा आयोजित की जा सकती है." उन्होंने धर्म सिंधु ग्रंथ के पेज नंबर 222 का हवाला देते हुए कहा कि "जो बातें धर्मसिंधु ग्रंथ में लिखी है, उसे कोई भी विद्वान पंडित और शंकराचार्य भी इनकार नहीं कर सकते."
नदियों के किनारे कर सकते हैं आयोजन: इस तरह के धार्मिक आयोजन को लेकर महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने भी प्रमुख और पवित्र नदियों के किनारे इस तरह के आयोजन संपन्न कराए जाने की बात स्वीकार की है. उन्होंने बताया कि "कई ऐसे लोग हैं जो प्रयागराज या त्रिवेणी संगम में अस्थि विसर्जन करने नहीं जा पाते हैं, वे राजीम में अस्थि विसर्जन करते हैं. रायपुर में खारून नदी का तट महादेव घाट, सिमगा में सोमनाथ नदी का किनारा, इसके साथ ही राजिम में कुलेश्वर महादेव मंदिर और नदी के किनारे में इस तरह के आयोजन किये जा सकते हैं."
कोई शंसय या भ्रम की स्थिति नहीं: इस तरह की पूजा के आयोजन पिछले 20 सालों से पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी करवाते आ रहे हैं. उनका कहना है कि "कालसर्प दोष की पूजा का किताब बाजार में उपलब्ध है. लेकिन नारायण बलि, नारायण नागबली और त्रिपिंडी श्रद्ध की किताबें हर जगह उपलब्ध नहीं है और यह मूल ग्रंथ है. ऐसे में कुछ ही जगह पर इस तरह के धार्मिक आयोजन या पूजा पाठ किए जा सकते हैं." उन्होंने भी धर्मसिंधु ग्रंथ का हवाला देते हुए बताया कि धर्मसिंधु ग्रंथ में पेज नंबर 222 में नदी का किनारा भगवान भोलेनाथ का मंदिर होने से इस तरह के आयोजन आसानी से कराये जाने की बात सकते हैं.