रायपुर: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के नौवें दीक्षांत समारोह में लगभग 6000 छात्रों को डिग्री दी गई. इन छात्रों में रायगढ़ के किशन पटेल भी शामिल हैं, जिन्होंने न सिर्फ एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की बल्कि विश्वविद्यालय के गोल्ड मेडलिस्ट भी बने. किशन ने 2013 से 2017 में एग्रीकल्चर में बीटेक किया है. किशन एक बहुत सामान्य परिवार से आते हैं.
खेती किसानी से चलता है घर: किशन के पिता दयाराम पटेल एक किसान हैं. घर में केवल वही काम करते हैं. किशन का एक बड़ा भाई है, जिसकी भी पढ़ाई चल रही है. रायगढ़ निवासी किशन, रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में एंट्रेंस एग्जाम क्लियर करके एडमिशन लिया. फिर साल 2013 से 2017 के बीच एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में बीटेक किया. किशन बताते हैं कि "उनके पिता एक छोटे स्तर के किसान हैं. साल में एक बार ही उनकी इनकम होती थी. उन्हीं पैसे से उन्हें पूरे साल घर चलाना पड़ता है."
फीस जमा करने में दोस्तों ने दिया साथ: बीटेक की पढ़ाई में किशन को साल में दो बार फीस जमा करनी होती थी. किशन अपने पिता की मदद से एक बार की फीस तो जमा कर लेते, लेकिन अगले सेमेस्टर की फीस जमा करने में उन्हें काफी दिक्कतें होती थी. कभी दोस्तों से तो कभी रिश्तेदारों से उधार लेकर किशन फीस का इंतजाम करते. आर्थिक तंगी के बावजूद भी हार नहीं मानी और पढ़ाई पूरी की.
डिग्री को दौरान भाषा को लेकर हुई परेशानी: किशन ने बताया कि "डिग्री के दौरान मुझे सबसे ज्यादा परेशानी भाषा की होती थी. मैं एक हिंदी मीडियम का छात्र रहा हूं. पहले साल तो मुझे इंग्लिश में बहुत ज्यादा परेशानी होती थी. फिर मैंने इंग्लिश में पढ़ाई करनी शुरू की और इंग्लिश सीखा. इसके बाद भाषा की वजह से मैंने अपनी पढ़ाई में बाधा आने नहीं दी."
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बेंगलुरू में रागी पर कर रहे हैं शोध: किशन ने साल 2016-17 में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय से कृषि अभियांत्रिकी में बीटेक किया. साल 2017 से 19 में किशन ने फार्म मशीनरी और पावर इंजीनियरिंग में एमटेक ओडिशा यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी भुवनेश्वर से पूरी की. बाद में किशन ने दोबारा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय से फार्म मशीनरी व पावर इंजीनियरिंग में पीएचडी की. वर्तमान में किशन बेंगलुरु में बतौर एसआरएफ रागी पर शोधकार्य कर रहे हैं.