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हसदेव जंगल में पेड़ों की कटाई के विरोध में जनवादी संगठनों का मार्च - tree felling in Hasdeo

Tree Felling In Hasdeo हसदेव जंगल में पेड़ों की कटाई के विरोध में जनवादी संगठन मार्च निकालकर विरोध जताएंगे. संगठन प्रमुख का कहना है कि इसके बाद भी अगर पेड़ों की कटाई नहीं रुकी तो बड़ा आंदोलन होगा. Democratic Organizations March

Hasdeo forest
हसदेव जंगल कटाई का विरोध
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 6, 2024, 2:03 PM IST

हसदेव जंगल कटाई का विरोध

रायपुर: हसदेव में पेड़ों की कटाई और आदिवासियों के दमन के खिलाफ 7 जनवरी को जनवादी संगठन मार्च निकाल रहे हैं. इस मार्च के जरिए हसदेव में पेड़ों की कटाई का विरोध किया जाएगा. छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन और छत्तीसगढ़ किसान सभा के प्रमुखों ने रायपुर प्रेस क्लब में ये जानकारी दी.

हसदेव में पेड़ों की कटाई के विरोध में नागरिक प्रतिरोध मार्च 7 जनवरी को सिलतरा से हरिहरपुर तक होगा. जिसमें छत्तीसगढ़ के सभी जनवादी संगठन और किसान संगठनों के नेता भी शामिल होंगे. संगठनों ने फर्जी ग्राम सभा के माध्यम से हसदेव में पेड़ों की कटाई करने का आरोप शासन प्रशासन पर लगाया. साथ ही कहा कि आदिवासी और सरपंचों के साथ अमानवीय कृत्य करने के साथ ही उन्हें गिरफ्तार किया गया. हसदेव जंगल की कटाई कारपोरेट जगत को फायदा पहुंचाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर कर रही है.

भाजपा के सत्ता में आते ही हसदेव का दोहन शुरू: छत्तीसगढ़ किसान सभा के संरक्षक संजय पराते ने कहा "भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के तुरंत बाद ही हसदेव के जंगलों की कटाई शुरू की गई है. सरकार संविधान की रक्षा करने की शपथ लेकर आई है लेकिन आदिवासियों के संवैधानिक अधिकार और इस देश में आदिवासियों के लिए जो कानून बने हैं उनकी रक्षा का भी सवाल है. हसदेव के जंगल कटाई में आदिवासियों के संवैधानिक अधिकार और कानून का उल्लंघन हुआ है. आदिवासियों के पेशा कानून और अधिकार सर्वोच्च स्थान रखता है. फर्जी ग्राम सभाओं के माध्यम से हसदेव के जंगल की कटाई की जा रही है, जो गलत और गैरकानूनी है. हसदेव का जंगल आदिवासियों के अस्तित्व के साथ ही कई मायनों में महत्वपूर्ण है."

हसदेव जंगल की कटाई का विरोध: छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के प्रमुख आलोक शुक्ला का कहना है कि "हसदेव का जंगल पूरे मध्य भारत के लिए महत्वपूर्ण है जो छत्तीसगढ़ का फेफड़ा कहलाता है. हसदेव के जंगल को बचाने की अनुशंसा छत्तीसगढ़ विधानसभा और भारतीय वन्यजीव संस्थान ने की है. बावजूद इसके संवैधानिक ग्राम सभाओं की अवहेलना करके हसदेव के जंगल को काटा जा रहा है. आदिवासियों के विरोध को दरकिनार करके कॉरपोरेट जगत को फायदा पहुंचाने के लिए हसदेव के जंगल को काटा जा रहा है. 21, 22 और 23 दिसंबर को फोर्स लगाकर हसदेव के जंगल को काटा गया. आदिवासी और सरपंचों के साथ दुर्व्यवहार किया गया. इसके विरोध में छत्तीसगढ़ के जनवादी संगठन राजनीतिक दल के लोग और विभिन्न किसान संगठनों के द्वारा 7 जनवरी को नागरिक प्रतिरोध मार्च निकाला जाएगा. प्रदेश के सभी जिलों से लगभग हजारों की तादाद में लोग हसदेव पहुंचकर अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे. हसदेव के जंगल की कटाई को लेकर छत्तीसगढ़ ही नहीं नहीं बल्कि दूसरे राज्यों के साथ ही पूरे देश में इसका विरोध हो रहा है."

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हसदेव में पेड़ों की कटाई के विरोध में नागरिक प्रतिरोध मार्च 7 जनवरी को सिलतरा से हरिहरपुर तक होगा. जिसमें छत्तीसगढ़ के सभी जनवादी संगठन और किसान संगठनों के नेता भी शामिल होंगे. संगठनों ने फर्जी ग्राम सभा के माध्यम से हसदेव में पेड़ों की कटाई करने का आरोप शासन प्रशासन पर लगाया. साथ ही कहा कि आदिवासी और सरपंचों के साथ अमानवीय कृत्य करने के साथ ही उन्हें गिरफ्तार किया गया. हसदेव जंगल की कटाई कारपोरेट जगत को फायदा पहुंचाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर कर रही है.

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हसदेव जंगल की कटाई का विरोध: छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के प्रमुख आलोक शुक्ला का कहना है कि "हसदेव का जंगल पूरे मध्य भारत के लिए महत्वपूर्ण है जो छत्तीसगढ़ का फेफड़ा कहलाता है. हसदेव के जंगल को बचाने की अनुशंसा छत्तीसगढ़ विधानसभा और भारतीय वन्यजीव संस्थान ने की है. बावजूद इसके संवैधानिक ग्राम सभाओं की अवहेलना करके हसदेव के जंगल को काटा जा रहा है. आदिवासियों के विरोध को दरकिनार करके कॉरपोरेट जगत को फायदा पहुंचाने के लिए हसदेव के जंगल को काटा जा रहा है. 21, 22 और 23 दिसंबर को फोर्स लगाकर हसदेव के जंगल को काटा गया. आदिवासी और सरपंचों के साथ दुर्व्यवहार किया गया. इसके विरोध में छत्तीसगढ़ के जनवादी संगठन राजनीतिक दल के लोग और विभिन्न किसान संगठनों के द्वारा 7 जनवरी को नागरिक प्रतिरोध मार्च निकाला जाएगा. प्रदेश के सभी जिलों से लगभग हजारों की तादाद में लोग हसदेव पहुंचकर अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे. हसदेव के जंगल की कटाई को लेकर छत्तीसगढ़ ही नहीं नहीं बल्कि दूसरे राज्यों के साथ ही पूरे देश में इसका विरोध हो रहा है."

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