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डेडलाइन खत्म होने के बाद भी नहीं शुरू हुआ सलवा जुड़ूम में उजड़े परिवारों का सर्वे

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Published : Oct 18, 2019, 4:36 PM IST

Updated : Oct 18, 2019, 5:42 PM IST

डेडलाइन खत्म होने के बाद भी IDP सर्वे नहीं हुआ है, जबकि 2 अक्टूबर तक इसे पूरा कर रिपोर्ट सौंपनी थी.

नहीं हुआ IDP  सर्वे

रायपुर: राष्ट्रीय जनजाति आयोग के दिशा निर्देश के बाद भी छत्तीसगढ़ सरकार अपने घर-बार से बेदखल हुए आदिवासियों के संबंध में कोई सर्वे शुरू नहीं करा पाई है. जबकि 2 अक्टूबर तक इसे पूरा कर रिपोर्ट सौंपनी थी.

डेडलाइन खत्म होने के बाद भी नहीं शुरू हुआ सलवा जुड़ूम में उजड़े परिवारों का सर्वे

दरअसल, दक्षिण बस्तर से कई लोग नक्सल हिंसा के चलते अपना घर छोड़कर सीमावर्ती राज्य तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा में पलायन कर गए थे. छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के बाद इनमें से कुछ लोगों ने वापस अपने गांव आने की इच्छा जाहिर की है. इसके लिए कई गैर सरकारी संगठन ने भी कोशिश की है. कोंटा के पास मड़ईगुड़ा गांव में 30 परिवार करीब 14 साल बाद अपने गांव लौटा है, लेकिन इन्हें पर्याप्त सरकारी मदद नहीं मिल पा रही है.

सलवा जुड़ूम में उजड़े परिवारों का नहीं शुरू हुआ सर्वे
सलवा जुड़ूम में उजड़े परिवारों का नहीं शुरू हुआ सर्वे

सरकार के पास नहीं है रिकॉर्ड
दरअसल, 2005 में दक्षिण बस्तर में सलवा जुड़ूम आंदोलन चलाया गया, तब से ही ये पलायन शुरू हुआ है. अब सरकार के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है कि कितने ग्रामीण पलायन किये थे. इस संबंध में बस्तर में शांति के लिए काम कर रहे शुभ्रांशु चौधरी ने राष्ट्रीय जनजाति आयोग से बात की, इसके बाद 2 जुलाई को आयोग के अध्यक्ष नंदकुमार साय ने छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा और महाराष्ट्र के प्रतिनिधियों की एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई थी.

सलवा जुड़ूम में उजड़े परिवारों का नहीं शुरू हुआ सर्वे
सलवा जुड़ूम में उजड़े परिवारों का नहीं शुरू हुआ सर्वे

बैठक में आयोग ने छत्तीसगढ़ सरकार को निर्देश देते हुए कहा गया था कि 2 अक्टूबर से पहले इस संबंध में सर्वे कर सरकार ये बताये कि प्रदेश के कितने लोग इस तरह से पलायन कर चुके हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार इसपर अभी सर्वे का काम शुरू नहीं कराई है.

सलवा जुड़ूम में उजड़े परिवारों का नहीं शुरू हुआ सर्वे
सलवा जुड़ूम में उजड़े परिवारों का नहीं शुरू हुआ सर्वे

हालांकि, छत्तीसगढ़ के आदिम जाति कल्याण मंत्री प्रेमसाय सिंह का कहना है कि, 'सरकार इस दिशा में पहल कर रही है और जल्द ही मामले में कोई ठोस कदम उठाया जाएगा'.

रायपुर: राष्ट्रीय जनजाति आयोग के दिशा निर्देश के बाद भी छत्तीसगढ़ सरकार अपने घर-बार से बेदखल हुए आदिवासियों के संबंध में कोई सर्वे शुरू नहीं करा पाई है. जबकि 2 अक्टूबर तक इसे पूरा कर रिपोर्ट सौंपनी थी.

डेडलाइन खत्म होने के बाद भी नहीं शुरू हुआ सलवा जुड़ूम में उजड़े परिवारों का सर्वे

दरअसल, दक्षिण बस्तर से कई लोग नक्सल हिंसा के चलते अपना घर छोड़कर सीमावर्ती राज्य तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा में पलायन कर गए थे. छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के बाद इनमें से कुछ लोगों ने वापस अपने गांव आने की इच्छा जाहिर की है. इसके लिए कई गैर सरकारी संगठन ने भी कोशिश की है. कोंटा के पास मड़ईगुड़ा गांव में 30 परिवार करीब 14 साल बाद अपने गांव लौटा है, लेकिन इन्हें पर्याप्त सरकारी मदद नहीं मिल पा रही है.

सलवा जुड़ूम में उजड़े परिवारों का नहीं शुरू हुआ सर्वे
सलवा जुड़ूम में उजड़े परिवारों का नहीं शुरू हुआ सर्वे

सरकार के पास नहीं है रिकॉर्ड
दरअसल, 2005 में दक्षिण बस्तर में सलवा जुड़ूम आंदोलन चलाया गया, तब से ही ये पलायन शुरू हुआ है. अब सरकार के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है कि कितने ग्रामीण पलायन किये थे. इस संबंध में बस्तर में शांति के लिए काम कर रहे शुभ्रांशु चौधरी ने राष्ट्रीय जनजाति आयोग से बात की, इसके बाद 2 जुलाई को आयोग के अध्यक्ष नंदकुमार साय ने छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा और महाराष्ट्र के प्रतिनिधियों की एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई थी.

सलवा जुड़ूम में उजड़े परिवारों का नहीं शुरू हुआ सर्वे
सलवा जुड़ूम में उजड़े परिवारों का नहीं शुरू हुआ सर्वे

बैठक में आयोग ने छत्तीसगढ़ सरकार को निर्देश देते हुए कहा गया था कि 2 अक्टूबर से पहले इस संबंध में सर्वे कर सरकार ये बताये कि प्रदेश के कितने लोग इस तरह से पलायन कर चुके हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार इसपर अभी सर्वे का काम शुरू नहीं कराई है.

सलवा जुड़ूम में उजड़े परिवारों का नहीं शुरू हुआ सर्वे
सलवा जुड़ूम में उजड़े परिवारों का नहीं शुरू हुआ सर्वे

हालांकि, छत्तीसगढ़ के आदिम जाति कल्याण मंत्री प्रेमसाय सिंह का कहना है कि, 'सरकार इस दिशा में पहल कर रही है और जल्द ही मामले में कोई ठोस कदम उठाया जाएगा'.

Intro:राष्ट्रीय जनजाति आयोग के दिशानिर्देश के बाद भी छत्तीसगढ़ सरकार अपने घर-बार से बेदखल हुए आदिवासियों के संबंध में कोई सर्वे शुरू नहीं करा पाई है. जबकि 2 अक्टूबर तक इसे पूरा कर रिपोर्ट सौंपनी थी. दरअसल दक्षिण बस्तर से कई लोग नक्सल हिंसा के चलते अपना घर बार छोड़कर सीमावर्ती राज्य तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा पलायन कर गए थे. छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के बाद इनमें से कुछ लोगों ने वापस अपने गांव में आने की इच्छा जाहिर की है. कुछ गैर सरकारी संगठन की मदद से ऐसा संभव भी हो पाया है. कोंटा के पास मड़ईगुड़ा गांव में करीब तीस परिवार करीब 14 साल बाद अपने गांव लौटे. लेकिन इन्हें पर्याप्त सरकारी मदद नहीं मिल पा रही है.
Body:सरकार के पास नहीं है रिकॉर्ड
दरअसल 2005 में दक्षिण बस्तर में सलवाजुडूम आंदोलन चलाया गया तब से ही ये पलायन शुरू हुआ है. खास बात ये है कि सरकार के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है कि कितने ग्रामीण पलायन करने पर मजबूर हुए हैं. इन ग्रामीणों के संबंध में बस्तर में शांति के लिए काम कर रहे कार्यकर्ता शुभ्राशु चौधरी ने जब राष्ट्रीय जनजाति आयोग से बात की तो, आयोग के अध्यक्ष नंदकुमार साय ने छत्तीसगढ, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा और महाराष्ट्र राज्य के प्रतिनिधियों की एक उच्च स्तरीय बैठक 2 जुलाई को बुलाई, इस बैठक में आयोग ने छत्तीसगढ़ सरकार को निर्देश दिया था कि 2 अक्टूबर से पहले इस संबंध में सर्वे करे कि आखिर प्रदेश के कितने लोग इस तरह से पलायन करने पर मजबूर हुए. लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने अभी तक इस सर्वे को शुरू भी नहीं किया है.
Conclusion:हालांकि हमारे सवाल पर आदिम जाति कल्याण मंत्री प्रेमसाय सिंह ने कहा है कि सरकार इस दिशा में पहल कर रही है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य सरकार इस संवेदनशील मुद्दे पर कितनी गंभीर है.

बाइट- प्रेमसाय सिंह, मंत्री आदिमजाति कल्याण विभाग

नोट- मंत्री जी की बाइट लाइव यू से गई है । साथ इस मामले में हम पहले भी खबरें पब्लिश कर चुके हैं उन विजुअल का इस्ते माल किया जा सकता है. IDP1 IDP2 विजुअल में भेजे गए पत्र में उल्लेख है कि इस तरह का सर्वे छग सरकार को करना है. 2 अक्टूबर तक रिपोर्ट देनी है.
Last Updated : Oct 18, 2019, 5:42 PM IST
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