ETV Bharat / state

SPECIAL: कहीं 'किस्सा' न बन जाए साइकल रिक्शा, सवारियों के बिना पेट पालना मुश्किल - cycle rickshaws

सड़कों से अब साइकिल रिक्शा गायब होने लगे हैं. ऑटो, कैब और ई-रिक्शा ने साइकिल को कहीं दूर पीछे छोड़ दिया है. शहर में बचे कुछ रिक्शा चालक रायपुर में अब भी अपनी रिक्शा पर ही निर्भर है.

cycle rickshaws disappearing from raipur due to lack of earnings
अब नहीं दिख रहे साइकिल रिक्शा
author img

By

Published : Nov 16, 2020, 4:26 PM IST

Updated : Nov 16, 2020, 8:04 PM IST

रायपुर: कभी राजधानी की शान रहे साइकल रिक्शा अब सड़कों पर बेहद कम नजर आते हैं. स्टेशन के आस-पास या कुछ गलियों में ही साइकल रिक्शा नजर आते हैं. कभी जिंदगी का अहम हिस्सा रहने वाला साइकल रिक्शा, किस्सा बनने लगे हैं. 30 साल पहले रायपुर की सड़कों पर सिर्फ साइकल रिक्शा ही चला करता था, लेकिन धीरे-धीरे साइकिल रिक्शा की जगह ऑटो और ई-रिक्शा ने ले ली है.

ऑटो, कैब और ई रिक्शा की रफ्तार ने साइकिल रिक्शा को पीछे छोड़ा

आधुनिकीकरण ने रोकी साइकिल रिक्शा की रफ्तार

आधुनिक होती लाइफ स्टाइल में अब 30 साल पहले के रिक्शे में बैठने से पहले लोगों को सोचना पड़ता है. धीमी रफ्तार और ज्यादा किराये की वजह से लोग रिक्शा छोड़ ऑटो और ई रिक्शा को ज्यादा भाव देने लगे हैं. पहले ज्यादा साधन मौजूद नहीं होने के कारण लोग कहीं भी आने-जाने के लिए साइकिल रिक्शा का ही यूज करते थे, बाद में मोटर गाड़ियां आने लगीं और अब लोग रिक्शे में सिर्फ शौकिया तौर पर ही बैठते हैं.

cycle rickshaws disappearing from raipur due to lack of earnings
शान की सवारी अब हो रही गुम

अब साइकिल रिक्शा वालों को कोई नहीं पूछता

पिछले 55 सालों से रिक्शा चलाकर अपनी जिंदगी चलाने वाले रिक्शा चालकों ने ETV भारत से बात कर अपना दर्द बताया. उन्होंने कहा कि ऑटो आने के बाद उनका रिक्शा पूरी तरह खड़ा ही हो गया है. ऑटो रिक्शा के जल्दी पहुंचने और सस्ते होने के कारण लोग ऑटो की सवारी करना ही ज्यादा पसंद कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि किसी समय में वे 400 से 500 रुपये दिनभर में कमा लेते थे, लेकिन अब 50 रुपये कमाना भी मुश्किल हो गया है. रिक्शावालों की मानें तो ऑटो खरीदने के लिए उनके पास पैसे भी नहीं है, जिससे रिक्शा ही चलाना उनकी मजबूरी हो गई है.

पढ़ें: रायगढ़: लॉकडाउन की वजह से बढ़े राजस्व के मामले, शिविर लगाकर होगी सुनवाई

स्थानीय लोगों ने बताया कि 25-30 साल पहले शहर में सिर्फ साइकल रिक्शा ही दिखा करता था, लेकिन धीरे-धीरे साइकिल रिक्शा की जगह ऑटो और ई-रिक्शा ने ले ली है. उन्होंने कहा कि साइकिल रिक्शा से यात्री जहां गंतव्य तक देर से पहुंचते हैं वहीं किराया भी ज्यादा लगता है, जबकि ऑटो में कम पैसे में यात्री तुरंत अपनी मंजिल तक पहुंच जाते हैं. लोगों की मानें तो अगले 10 सालों में कहीं साइकिल रिक्शा पूरी तरह से गायब ही न हो जाए.

cycle rickshaws disappearing from raipur due to lack of earnings
कमाई नहीं होने के बाद भी रिक्शावाले नहीं छोड़ पा रहे रिक्शा

अब सिर्फ गिनती के साइकल रिक्शा

इस समय पूरे शहर में 100 साइकिल रिक्शा भी नहीं चल रहे हैं. जबकि 4 से 5 हजार ऑटो रिक्शा, 2 हजार ई रिक्शा चल रहे हैं. इसके अलावा करीब 5 हजार कैब शहर में चल रही हैं. आमदनी नहीं होने के कारण कुछ रिक्शा चालकों ने रिक्शा छोड़ ऑटो चलाना शुरू किया. उनका कहना है कि साइकिल रिक्शा चलाने से उनके घर का गुजारा नहीं हो पा रहा है.

कोरोना और लॉकडाउन की वजह से कई रिक्शावाले लौटे अपने गांव

राजधानी में ज्यादातर रिक्शा चलाने वाले आस-पास के गांव या ओडिशा के रहने वाले हैं. लॉकडाउन में ये रिक्शाचालक वापस अपने गांव चले गए और गांव में ही जाकर कोई मजदूरी करने लगे. जिसकी वजह से भी शहर में अब साइकिल रिक्शा कम ही देखने को मिल रहे हैं.

cycle rickshaws disappearing from raipur due to lack of earnings
कमाई नहीं होने के बाद भी रिक्शावाले नहीं छोड़ पा रहे रिक्शा

गुम होता रिक्शा
साइकिल रिक्शा तीन पहियों वाली साइकिल है. जिसमें एक समय पर सिर्फ तीन से चार लोग ही सवारी कर सकते हैं. यह डीजल और पेट्रोल से न चलकर खुद लोगों द्वारा साइकिल की तरह पैडल मार कर चलाई जाती है. जिसमें ज्यादा मेहनत लगती है.

रायपुर: कभी राजधानी की शान रहे साइकल रिक्शा अब सड़कों पर बेहद कम नजर आते हैं. स्टेशन के आस-पास या कुछ गलियों में ही साइकल रिक्शा नजर आते हैं. कभी जिंदगी का अहम हिस्सा रहने वाला साइकल रिक्शा, किस्सा बनने लगे हैं. 30 साल पहले रायपुर की सड़कों पर सिर्फ साइकल रिक्शा ही चला करता था, लेकिन धीरे-धीरे साइकिल रिक्शा की जगह ऑटो और ई-रिक्शा ने ले ली है.

ऑटो, कैब और ई रिक्शा की रफ्तार ने साइकिल रिक्शा को पीछे छोड़ा

आधुनिकीकरण ने रोकी साइकिल रिक्शा की रफ्तार

आधुनिक होती लाइफ स्टाइल में अब 30 साल पहले के रिक्शे में बैठने से पहले लोगों को सोचना पड़ता है. धीमी रफ्तार और ज्यादा किराये की वजह से लोग रिक्शा छोड़ ऑटो और ई रिक्शा को ज्यादा भाव देने लगे हैं. पहले ज्यादा साधन मौजूद नहीं होने के कारण लोग कहीं भी आने-जाने के लिए साइकिल रिक्शा का ही यूज करते थे, बाद में मोटर गाड़ियां आने लगीं और अब लोग रिक्शे में सिर्फ शौकिया तौर पर ही बैठते हैं.

cycle rickshaws disappearing from raipur due to lack of earnings
शान की सवारी अब हो रही गुम

अब साइकिल रिक्शा वालों को कोई नहीं पूछता

पिछले 55 सालों से रिक्शा चलाकर अपनी जिंदगी चलाने वाले रिक्शा चालकों ने ETV भारत से बात कर अपना दर्द बताया. उन्होंने कहा कि ऑटो आने के बाद उनका रिक्शा पूरी तरह खड़ा ही हो गया है. ऑटो रिक्शा के जल्दी पहुंचने और सस्ते होने के कारण लोग ऑटो की सवारी करना ही ज्यादा पसंद कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि किसी समय में वे 400 से 500 रुपये दिनभर में कमा लेते थे, लेकिन अब 50 रुपये कमाना भी मुश्किल हो गया है. रिक्शावालों की मानें तो ऑटो खरीदने के लिए उनके पास पैसे भी नहीं है, जिससे रिक्शा ही चलाना उनकी मजबूरी हो गई है.

पढ़ें: रायगढ़: लॉकडाउन की वजह से बढ़े राजस्व के मामले, शिविर लगाकर होगी सुनवाई

स्थानीय लोगों ने बताया कि 25-30 साल पहले शहर में सिर्फ साइकल रिक्शा ही दिखा करता था, लेकिन धीरे-धीरे साइकिल रिक्शा की जगह ऑटो और ई-रिक्शा ने ले ली है. उन्होंने कहा कि साइकिल रिक्शा से यात्री जहां गंतव्य तक देर से पहुंचते हैं वहीं किराया भी ज्यादा लगता है, जबकि ऑटो में कम पैसे में यात्री तुरंत अपनी मंजिल तक पहुंच जाते हैं. लोगों की मानें तो अगले 10 सालों में कहीं साइकिल रिक्शा पूरी तरह से गायब ही न हो जाए.

cycle rickshaws disappearing from raipur due to lack of earnings
कमाई नहीं होने के बाद भी रिक्शावाले नहीं छोड़ पा रहे रिक्शा

अब सिर्फ गिनती के साइकल रिक्शा

इस समय पूरे शहर में 100 साइकिल रिक्शा भी नहीं चल रहे हैं. जबकि 4 से 5 हजार ऑटो रिक्शा, 2 हजार ई रिक्शा चल रहे हैं. इसके अलावा करीब 5 हजार कैब शहर में चल रही हैं. आमदनी नहीं होने के कारण कुछ रिक्शा चालकों ने रिक्शा छोड़ ऑटो चलाना शुरू किया. उनका कहना है कि साइकिल रिक्शा चलाने से उनके घर का गुजारा नहीं हो पा रहा है.

कोरोना और लॉकडाउन की वजह से कई रिक्शावाले लौटे अपने गांव

राजधानी में ज्यादातर रिक्शा चलाने वाले आस-पास के गांव या ओडिशा के रहने वाले हैं. लॉकडाउन में ये रिक्शाचालक वापस अपने गांव चले गए और गांव में ही जाकर कोई मजदूरी करने लगे. जिसकी वजह से भी शहर में अब साइकिल रिक्शा कम ही देखने को मिल रहे हैं.

cycle rickshaws disappearing from raipur due to lack of earnings
कमाई नहीं होने के बाद भी रिक्शावाले नहीं छोड़ पा रहे रिक्शा

गुम होता रिक्शा
साइकिल रिक्शा तीन पहियों वाली साइकिल है. जिसमें एक समय पर सिर्फ तीन से चार लोग ही सवारी कर सकते हैं. यह डीजल और पेट्रोल से न चलकर खुद लोगों द्वारा साइकिल की तरह पैडल मार कर चलाई जाती है. जिसमें ज्यादा मेहनत लगती है.

Last Updated : Nov 16, 2020, 8:04 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.