रायपुर: छत्तीसगढ़ में साइबर क्राइम के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं. एटीएम फ्रॉड, एटीएम मशीन के साथ छेड़छाड़, लिंक भेज कर किए जाने वाले फ्रॉड और सिम ब्लॉक कर फ्रॉड करने के केस प्रदेश में ज्यादा देखने को मिल रहे हैं. ऐसा ही एक मामला कोरबा जिले में 18 दिसंबर को आया था, जहां पुलिस ने नाबालिग सहित दो आरोपियों को राजस्थान के मेवात से गिरफ्तार किया है. मेवाती गैंग का मास्टरमाइंड अभी भी फरार है. जिसकी तलाश पुलिस कर रही है.
घटना कोरबा के दीपका थाने क्षेत्र की है, जहां एसईसीएल कर्मचारी भगवान सिंह चौहान के रिटायर होने के बाद उनके अकाउंट में प्रोविडेंट फंड के 40 लाख रुपये ट्रांसफर किए गए थे. 14 नवंबर को उनके मोबाइल पर फोन आया, आरोपी ने खुद को रिटायर्ड आर्मी का जवान होना बताया. आरोपी ने फोन पर कहा कि उसने उनकी बेटी से 20 हजार रुपये लिए थे, जिसे अब वह वापस करना चाहता है. आरोपी ने रिटायर्ड कर्मचारी को अपने झांसे में लेकर उनके एटीएम का पिन मांग लिया. शातिर तरीके से कुछ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी भी ठग ने हासिल कर ली.
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खाते से गायब हुए 36 लाख रुपये
इसके बाद ठग ने रिटायर्ड कर्मचारी भगवान सिंह चौहान के अकाउंट से अलग-अलग खातों में 36 लाख रुपये से ज्यादा की रकम ट्रांसफर कर दी. जब रिटायर्ड कर्मचारी को इसकी भनक लगी तो उन्होंने इसकी शिकायत दीपका थाने में दर्ज कराई.
इस तरह होती है ठगी
साइबर एक्सपर्ट मोहित साहू का कहना है कि सिम स्वैपिंग का मामला ऐसा ही होता है. फ्रॉड सिम कंपनी को फोन लगाते हैं और कहते हैं कि यह मेरा नंबर है, वह बंद हो गया है या कभी-कभी ठगों की सिम कंपनी या सिम कंपनी में काम कर रहे कुछ लोगों से पहचान होती है. उसके बाद कस्टमर केयर से वह लोगों के सिम को ब्लॉक करा देते हैं और वह दूसरा सिम देते हैं. सिम नंबर के साथ जैसे ही उसे आप अपने मोबाइल में लगाते हैं, आपके मोबाइल की पूरी डिटेल, ओटीपी, बैंक अकाउंट, चैट, फोटोज कॉपी हो जाती है और साइबर ठग के पास चल जाती है. जिसका इस्तेमाल बदमाश ठगी के लिए या ब्लैकमेलिंग के लिए करते हैं.