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केंद्र सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ माकपा का विरोध प्रदर्शन - मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी

केंद्र सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ माकपा ने विरोध प्रदर्शन किया है. माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा.

CPI protests against central government
माकपा का विरोध प्रदर्शन
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Published : Sep 22, 2020, 6:01 PM IST

Updated : Sep 22, 2020, 8:48 PM IST

रायपुर: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने हल्ला बोल रखा है. इस कड़ी में 22 सितंबर को माकपा ने पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान माकपा ने सरकार के सामने कई मांगें रखी हैं. जिसमें कोरोना संकट से निपटने के लिए आम जनता को मुफ्त खाद्यान्न और नगद रुपए से मदद करने, गांवों में मनरेगा का दायरा बढ़ाने, शहरी रोजगार गारंटी योजना लागू करने, बेरोजगारों को भत्ता देने और आम जनता के मौलिक अधिकारों की गारंटी बनाए रखने की मांगें शामिल हैं.

माकपा का विरोध प्रदर्शन

माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निजीकरण के चलते मोदी सरकार कोरोना महामारी पर काबू पाने में विफल रही है. देश पर जो बिना योजना और अविचारपूर्ण लॉकडाउन थोपा गया, उसके कारण करोड़ों लोगों की नौकरी छिन गई. देश एक बड़ी मंदी के दलदल में फंस गया है. उन्होंने कहा कि इस संकट से निपटने का एक ही रास्ता है कि हमारे देश के जरूरतमंद लोगों को हर माह 10 किलोग्राम अनाज मुफ्त दिया जाए, आयकर दायरे के बाहर के सभी परिवारों को हर माह 7500 रुपयों की नगद मदद दी जाए. मनरेगा का विस्तार कर सभी ग्रामीण परिवारों के लिए 200 दिन काम और 600 रुपये मजदूरी सुनिश्चित की जाए.

माकपा नेता ने कहा कि ये मांगें अगर पूरी होती है तो, आम जनता की क्रय शक्ति बढ़ेगी. जिससे बाजार में मांग बढ़ेगी और औद्यौगिक उत्पादन को गति मिलेगी. यही रास्ता देश को मंदी से बाहर निकाल सकता है. लेकिन इसके बजाय, मोदी सरकार देश की संपत्ति को कॉर्पोरेट घरानों को बेच रही है. इसके खिलाफ उठ रही हर आवाज का दमन करने का काम किया जा रहा है.

पढ़ें: बालोद: 169 NHM संविदा स्वास्थ्यकर्मियों ने CMHO को सौंपा इस्तीफा

कृषि कानून में बदलाव गलत

माकपा ने कृषि क्षेत्र में किए गए बदलाव पर भी केंद्र सरकार पर तंज कसा है. माकपा का कहना है कि कॉर्पोरेटपरस्त कानून के खिलाफ सड़क की लड़ाई लड़ी जाएगी. क्योंकि ये कानून देश के किसानों को बंधुआ गुलामी की ओर ले जाने जैसा है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार इन कानूनों के जरिये किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने और नागरिकों को राशन प्रणाली के जरिए सस्ता अनाज देने की जिम्मेदारी से छुटकारा पाना चाहती है. ऐसे में आने वाले समय मे इसे लेकर विरोध और बढेगा.

रायपुर: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने हल्ला बोल रखा है. इस कड़ी में 22 सितंबर को माकपा ने पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान माकपा ने सरकार के सामने कई मांगें रखी हैं. जिसमें कोरोना संकट से निपटने के लिए आम जनता को मुफ्त खाद्यान्न और नगद रुपए से मदद करने, गांवों में मनरेगा का दायरा बढ़ाने, शहरी रोजगार गारंटी योजना लागू करने, बेरोजगारों को भत्ता देने और आम जनता के मौलिक अधिकारों की गारंटी बनाए रखने की मांगें शामिल हैं.

माकपा का विरोध प्रदर्शन

माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निजीकरण के चलते मोदी सरकार कोरोना महामारी पर काबू पाने में विफल रही है. देश पर जो बिना योजना और अविचारपूर्ण लॉकडाउन थोपा गया, उसके कारण करोड़ों लोगों की नौकरी छिन गई. देश एक बड़ी मंदी के दलदल में फंस गया है. उन्होंने कहा कि इस संकट से निपटने का एक ही रास्ता है कि हमारे देश के जरूरतमंद लोगों को हर माह 10 किलोग्राम अनाज मुफ्त दिया जाए, आयकर दायरे के बाहर के सभी परिवारों को हर माह 7500 रुपयों की नगद मदद दी जाए. मनरेगा का विस्तार कर सभी ग्रामीण परिवारों के लिए 200 दिन काम और 600 रुपये मजदूरी सुनिश्चित की जाए.

माकपा नेता ने कहा कि ये मांगें अगर पूरी होती है तो, आम जनता की क्रय शक्ति बढ़ेगी. जिससे बाजार में मांग बढ़ेगी और औद्यौगिक उत्पादन को गति मिलेगी. यही रास्ता देश को मंदी से बाहर निकाल सकता है. लेकिन इसके बजाय, मोदी सरकार देश की संपत्ति को कॉर्पोरेट घरानों को बेच रही है. इसके खिलाफ उठ रही हर आवाज का दमन करने का काम किया जा रहा है.

पढ़ें: बालोद: 169 NHM संविदा स्वास्थ्यकर्मियों ने CMHO को सौंपा इस्तीफा

कृषि कानून में बदलाव गलत

माकपा ने कृषि क्षेत्र में किए गए बदलाव पर भी केंद्र सरकार पर तंज कसा है. माकपा का कहना है कि कॉर्पोरेटपरस्त कानून के खिलाफ सड़क की लड़ाई लड़ी जाएगी. क्योंकि ये कानून देश के किसानों को बंधुआ गुलामी की ओर ले जाने जैसा है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार इन कानूनों के जरिये किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने और नागरिकों को राशन प्रणाली के जरिए सस्ता अनाज देने की जिम्मेदारी से छुटकारा पाना चाहती है. ऐसे में आने वाले समय मे इसे लेकर विरोध और बढेगा.

Last Updated : Sep 22, 2020, 8:48 PM IST
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