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क्या कोरोना ने चुनावी राज्यों से बना रखी है दूरी ?

चुनावी राज्यों में कोरोना निष्प्रभाव हो चुका है. इसी वजह से चुनावी राज्यों में नेता, मंत्री बिना कोरोना गाइडलाइंस के चुनावी प्रचार कर रहे हैं. चुनाव प्रचार के चक्कर में ना तो 2 गज की दूरी बनाई जा रही है और ना ही मास्क को जरूरी रखा गया है.

Corona has no effect in electoral states
चुनावी राज्यों में कोरोना निष्प्रभाव
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Published : Mar 25, 2021, 6:24 PM IST

रायपुर: कोरोना ने चुनावी राज्यों से दूरी बना रखी है, या फिर जिन राज्यों में चुनाव होने हैं उन राज्यों के नेता, मंत्री, विधायक और जनता को कोरोना नहीं होगा. शायद इसी वजह से चुनावी राज्यों में न तो कोरोना गाइडलाइन का पालन किया जा रहा है और ना ही किसी तरह के कोरोना से बचाव के इंतजाम किए जा रहे हैं. असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल ओर बंगाल में आगामी दिनों में विधानसभा चुनाव होने हैं. जिसके लिए चुनाव प्रचार चरम सीमा पर है. यहां प्रचार के लिए छत्तीसगढ़ से भी हजारों की संख्या में नेता, मंत्री, विधायक, सांसद कार्यकर्ता पहुंच रहे हैं.

चुनावी राज्यों में क्या है कोरोना का हाल

असम दौरे पर सीएम भूपेश बघेल

असम की बात की जाए तो वहां पिछले कई हफ्तों से कांग्रेस और बीजेपी के नेताओं ने डेरा डाल रखा है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुद असम की कमान संभाल रहे हैं. उनके साथ संसदीय सचिव विकास उपाध्याय, सरकार के कई मंत्री, विधायक पहले से ही असम में चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं. वर्तमान में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह भी अपने विधायक और नेताओं के साथ असम में डेरा डाले हुए हैं.

कोरोना ब्लास्ट: 2,106 नए केस, 28 की मौत

चुनावी सभा में 'NO' कोरोना गाइडलाइंस

पार्टी कोई भी हो लेकिन सभी नेता असम में तेजी से चुनाव प्रचार कर रहे है. यहां होने वाली चुनावी सभा में हजारों की संख्या में लोग बिना मास्क, बिना सैनिटाइजर के शामिल हो रहे हैं. यहां तक कि इन सभाओं में भीड़ इतनी होती है कि पैर रखने तक की जगह नहीं होती है. लोग एक-दूसरे से 1 गज की दूरी तो क्या 1 इंच की दूरी नहीं बना रहे हैं. नेताओं का लगातार चुनावी राज्यों और फिर वहां से वापस अपने राज्य में आना जाना लगा हुआ है. इस दौरान किसी भी तरह की कोरोना गाइडलाइंस का पालन नहीं हो रहा है. ना तो वे बाहरी राज्यों से वापस आकर क्वारेंटाइन हो रहे हैं. ना ही भीड़-भाड़ से दूरी बना रहे हैं.

छत्तीसगढ़ में कोरोना ब्लास्ट

नेताओं के इस रुख को देखते हुए तो मानो यही लग रहा है कि चुनावी राज्यों में कोरोना का असर नहीं है. यही वजह है कि वहां आने-जाने वाले नेता ना तो कोरोना को लेकर सुरक्षा के इंतजाम कर रहे हैं और ना ही कोरोना के लिए जारी गाइडलाइन का पालन कर रहे हैं. ऐसा लगता है जैसे कोरोना के लिए जारी सारी गाइडलाइन सिर्फ सामान्य और आम जनों के लिए है. इससे नेता, मंत्री, विधायक को दूर रखा गया है. यदि यही हाल रहा तो आने वाले समय में छत्तीसगढ़ में कोरोना के मरीजों की संख्या में और भी कई गुना इजाफा हो सकता है.

बेकाबू हुआ कोरोना: दुर्ग में धारा 144 लागू

'ये देखना निर्वाचन आयोग का काम'

चुनावी राज्यों में कोरोना के लिए जारी गाइडलाइन का पालन न करने को लेकर राज्य की कांग्रेस सरकार के प्रवक्ता और कृषि मंत्री रविंद्र चौबे से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि यह देखना निर्वाचन आयोग का काम है कि जिन राज्यों में चुनाव है वहां कोरोना के लिए जारी गाइडलाइन का पालन हो रहा है या नहीं. चौबे के बयान से तो यही लगता है कि कोरोना के लिए जारी नियम का पालन कराना निर्वाचन आयोग की जवाबदारी है ना कि जनप्रतिनिधि और सरकार की.

अब देखने वाली बात है कि चुनावी राज्यों से दूसरों राज्यों में कोरोना को पहुंचने से रोकने के लिए निर्वाचन आयोग क्या दिशा निर्देश जारी करता है. साथ ही राज्य सरकार इससे निपटने क्या कदम उठाती है.

रायपुर: कोरोना ने चुनावी राज्यों से दूरी बना रखी है, या फिर जिन राज्यों में चुनाव होने हैं उन राज्यों के नेता, मंत्री, विधायक और जनता को कोरोना नहीं होगा. शायद इसी वजह से चुनावी राज्यों में न तो कोरोना गाइडलाइन का पालन किया जा रहा है और ना ही किसी तरह के कोरोना से बचाव के इंतजाम किए जा रहे हैं. असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल ओर बंगाल में आगामी दिनों में विधानसभा चुनाव होने हैं. जिसके लिए चुनाव प्रचार चरम सीमा पर है. यहां प्रचार के लिए छत्तीसगढ़ से भी हजारों की संख्या में नेता, मंत्री, विधायक, सांसद कार्यकर्ता पहुंच रहे हैं.

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असम की बात की जाए तो वहां पिछले कई हफ्तों से कांग्रेस और बीजेपी के नेताओं ने डेरा डाल रखा है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुद असम की कमान संभाल रहे हैं. उनके साथ संसदीय सचिव विकास उपाध्याय, सरकार के कई मंत्री, विधायक पहले से ही असम में चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं. वर्तमान में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह भी अपने विधायक और नेताओं के साथ असम में डेरा डाले हुए हैं.

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पार्टी कोई भी हो लेकिन सभी नेता असम में तेजी से चुनाव प्रचार कर रहे है. यहां होने वाली चुनावी सभा में हजारों की संख्या में लोग बिना मास्क, बिना सैनिटाइजर के शामिल हो रहे हैं. यहां तक कि इन सभाओं में भीड़ इतनी होती है कि पैर रखने तक की जगह नहीं होती है. लोग एक-दूसरे से 1 गज की दूरी तो क्या 1 इंच की दूरी नहीं बना रहे हैं. नेताओं का लगातार चुनावी राज्यों और फिर वहां से वापस अपने राज्य में आना जाना लगा हुआ है. इस दौरान किसी भी तरह की कोरोना गाइडलाइंस का पालन नहीं हो रहा है. ना तो वे बाहरी राज्यों से वापस आकर क्वारेंटाइन हो रहे हैं. ना ही भीड़-भाड़ से दूरी बना रहे हैं.

छत्तीसगढ़ में कोरोना ब्लास्ट

नेताओं के इस रुख को देखते हुए तो मानो यही लग रहा है कि चुनावी राज्यों में कोरोना का असर नहीं है. यही वजह है कि वहां आने-जाने वाले नेता ना तो कोरोना को लेकर सुरक्षा के इंतजाम कर रहे हैं और ना ही कोरोना के लिए जारी गाइडलाइन का पालन कर रहे हैं. ऐसा लगता है जैसे कोरोना के लिए जारी सारी गाइडलाइन सिर्फ सामान्य और आम जनों के लिए है. इससे नेता, मंत्री, विधायक को दूर रखा गया है. यदि यही हाल रहा तो आने वाले समय में छत्तीसगढ़ में कोरोना के मरीजों की संख्या में और भी कई गुना इजाफा हो सकता है.

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अब देखने वाली बात है कि चुनावी राज्यों से दूसरों राज्यों में कोरोना को पहुंचने से रोकने के लिए निर्वाचन आयोग क्या दिशा निर्देश जारी करता है. साथ ही राज्य सरकार इससे निपटने क्या कदम उठाती है.

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