रायपुर: बीते दिनों कक्षा 1 के हिंदी पाठ में शामिल कविता पर काफी विवाद हुआ था. इसके बाद राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, (NCERT) ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए परिषद ने कहा था कि छात्रों को स्थानीय (लोकल) शब्दावली से परिचित कराने के लिए कविता को NCF 2005 के परिप्रेक्ष्य में शामिल किया गया था. यह भी कहा गया था कि NEP 2020 के तहत नए NCF (नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क) की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और उसी के अनुसार नई पाठ्यपुस्तकें बनाई जाएंगी.
स्लोगन के साथ छपी तस्वीर पर विवाद
एक बार 'बेटी बचाने' के स्लोगन के साथ छपी तस्वीर पर विवाद शुरू हो गया है. रायपुर के सोशल मीडिया में एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें एक बच्ची को रोटी बना रही है. तस्वीर के साथ एक स्लोगन लिखा है, "कैसे खाओगे उनके हाथ की रोटियां, जब पैदा ही नहीं होने दोगे बेटियां".
सोशल मीडिया पर लोगों ने जताई आपत्ति
स्लोगन और तस्वीर को लेकर सोशल मीडिया पर कई लोगों ने अपनी राय दी है. छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी आरके विज लिखते हैं, "पढ़ने-लिखने की उम्र में बेलन-रोटी पकड़ा देने वाला ये चित्र आपत्तिजनक है." स्लोगन को भी उन्होंने परित्सत्तात्मक करार दिया है. इसके अलावा ओडिशा के सीनियर आईपीएस अरुण बोथरा ने भी इसे तकलीफ देने वाला बताते हुए इसे छापने वाले की मानसिकता पर सवाल उठा दिया है. इधर, जाने माने स्टोरीटेलर नीलेश मिश्रा ने भी आपत्ति जताई है. इसके अलावा कई और लोगों ने इस तस्वीर जिसका मकसद भले बेटियों की सुरक्षा, कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए संदेश देने वाला हो लेकिन इसके तरीके पर सवाल उठा दिया है.
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कुछ लोगों को नहीं है आपत्ति
कुछ लोगों ने सोशल मीडिया में आ रही कड़ी प्रतिक्रिया के बीच लिखा है कि उन्हें इस तस्वीर और उसके कैप्शन में कुछ भी बुरा नहीं नजर आता. खैर कह सकते हैं, कई बार किसी चीज का ढंग अजीब हो जाता है और वो अपने सही मकसद से भटक जाती है.
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