रायपुर : ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या कारण है कि छत्तीसगढ़ में अधिकारियों को रिटायरमेंट के बाद भी संविदा नियुक्ति दे दी जाती है. जबकि नीचे वाले अधिकारी जो उन अधिकारियों के रिटायरमेंट का इंतजार करते हैं वो बिना प्रमोशन के ही रिटायर हो जाते हैं. आखिर इसके पीछे क्या वजह है. कर्मचारी संगठन इसे किस रूप में देखते हैं वहीं राजनीतिक दलों का इस पर क्या कहना है. ये जानने की कोशिश की है ईटीवी भारत ने.
अधिकारियों ने जताई है आपत्ति : रिटायरमेंट के बाद उसी पद पर उन्हीं अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर छत्तीसगढ़ राजपत्रित अधिकारी संघ ने आपत्ति दर्ज कराई है. संघ का कहना है कि संविदा नियुक्ति को बंद किया जाए. क्योंकि इसकी वजह से काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों का हक मारा जा रहा है. छत्तीसगढ़ राजपत्रित अधिकारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल वर्मा का कहना है कि '' इस तरह की संविदा नियुक्ति बिल्कुल नहीं होनी चाहिए.यदि किसी भी शासकीय सेवा में कोई भी कर्मचारी अधिकारी है उनका जो हक है वह मिलना चाहिए. हाल ही में जिस तरह की नियुक्तियां रिटायरमेंट के बाद अधिकारियों को दी गई है. इसे बंद करना चाहिए. "
अधिकारियों को दोबारा पद लाभ देना गलत : कमल वर्मा ने कहा कि '' जो संविदा नियुक्ति हो रही है वह जिंदगी भर असिस्टेंट डायरेक्टर ,डिप्टी डायरेक्टर ,जॉइंट डायरेक्टर ,एडिशनल डायरेक्टर बनकर रिटायर हो गया. जो लाभ उनको मिलना चाहिए था वह जिंदगी भर ले चुके हैं. उसके बाद फिर संविदा नियुक्ति में आकर बैठ जाते हैं, जो ज्वाइंट डायरेक्टर, एडिशनल डायरेक्टर बनता, उनका हक मारा गया. राजपत्रित अधिकारी संघ की बैठक में इस पर निर्णय लिया जाएगा और हम अपनी मांगों को लेकर चर्चा करेंगे. इस तरह की नियुक्ति को लेकर हम पहले भी विरोध करते आए हैं , जनसंपर्क विभाग में नियुक्ति के दौरान हमने लगातार विरोध किया और आगे भी ऐसे होने वाली संविदा नियुक्ति को लेकर विरोध जारी रहेगा.''
जेल की बजाए दे दी केबिन : भाजपा प्रदेश प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास का कहना है कि ''छत्तीसगढ़ में राज्य की भूपेश सरकार ने भ्रष्टाचार का नया इतिहास रचा है और इस इतिहास को रचने में यहां उनके अधिकारियों की भूमिका सबसे अग्रणी रही है. आज छत्तीसगढ़ में जीरो टॉलरेंस नीति पर राज्य सरकार काम नहीं कर रही हैं. उल्टा अधिकारी जिन पर गंभीर आरोप है जिनकी जगह केबिन में नहीं जेल में होनी चाहिए थी. उनको रिटायरमेंट के बाद फिर से संविदा में रखा जा रहा है. इस तरह से राज्य सरकार 1 तरीके से भ्रष्टाचार को पोषित करने का काम तो कर ही रही है. उल्टा जो योग्य युवा अधिकारी हैं. जिन्हें प्रमोशन मिलना चाहिए उन्हें मुंह चिढ़ाने का काम इन सारे कारनामों से किया जा रहा है.''
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गौरीशंकर श्रीवास का कहना है कि ''जो संविदा में रिटायर अधिकारियों को रखा जा रहा है वह कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार करने की योजना है. यह सारा खेल सुनियोजित तरीके से गिरोह बनाकर किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ की जनता की गाढ़ी कमाई को लूटा जा रहा है. भ्रष्टाचार का नया इतिहास नया स्मारक छत्तीसगढ़ में रचा गया है. बहुत सारे अधिकारी जेल में बावजूद इसके भ्रष्टाचार में कमी नहीं आ रही है. सारे विभाग में कमोवेश यही स्थिति है यह पूरा संरक्षण सरकार का है जो इस तरह के अधिकारियों को दंडित न करके उल्टा उनको संविदा में रखा जा रहा है.'' वहीं राज्य सरकार के प्रवक्ता रविंद्र चौबे ने इसे एक सामान्य प्रक्रिया बताते हुए कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.