रायपुर : कोरोना संक्रमण के बीच कांग्रेस द्वारा हाथरस की घटना के विरोध में पद यात्रा निकाली गई. जो कांग्रेस प्रदेश कार्यालय से शुरू होकर राजभवन जाकर समाप्त हुई. इस पदयात्रा के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की धज्जियां उड़ाई गई. रैली में न तो लोगों ने मास्क पहन रखा था और न ही एक दूसरे से दूरी बनाकर रखी थी. यहां तक कि मंच पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम, मंत्री शिव कुमार डहरिया सहित तमाम पदाधिकारी भी काफी नजदीक बैठे देखे गए. इस पूरे माहौल को देखकर तो ऐसा लग रहा था, मानो राजधानी रायपुर में कोरोना संक्रमण समाप्त हो गया है और अब लोग सामान्य दिनों की तरह जीवन यापन कर रहे हैं.
प्रदर्शन के दौरान कोरोना संक्रमण के लिए जारी गाइडलाइन सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न किए जाने को लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम से सवाल किया गया तो उनका कहना था , 'यह हमारे अस्तित्व की लड़ाई है कोरोना से बड़ी लड़ाई है कोरोना तो आएगा जाएगा, लेकिन अस्तित्व के लिए हमें लड़ाई लड़नी है ऐसे में कोरोना भी हमें नहीं रोक सकता है'.
महिला सड़क पर भी गिरी
रैली में शामिल कुछ महिला कार्यकर्ताओं ने कहा, 'भले ही हमारी कोरोना से जान चली जाए, लेकिन हम हाथरस की पीड़िता को न्याय दिलाकर रहेंगे'. इस बीच अचानक भीड़ के धक्के की वजह से यह महिला सड़क पर भी गिर गई. इस घटना से अंदाजा लगाया जा सकता था कि रैली में लोग कितना सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे थे. इस रैली की भीड़ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रैली में इतनी संख्या में लोग जमा थे. इसके चलते पदयात्रा कर रहे कुछ महिलाएं अचानक जमीन पर गिर भी गई.
कोरोना को लेकर गाइडलाइन
कोरोना संक्रमण के चलते जहां एक ओर शासन-प्रशासन द्वारा प्रदेश भर में विभिन्न आयोजनों पर प्रतिबंध लगाया गया है, यहां तक कि गणेश उत्सव नवरात्रि दशहरा में भी कई जटिल गाइडलाइन जारी की गई है, जिस वजह से इनके आयोजित करने वाली समितियों ने इस साल गणेश की स्थापना नहीं कि नहीं दुर्गा पंडाल लगाए जा रहे हैं.
कोरोना सबसे लिए सामान
इतना ही नहीं शासन-प्रशासन इतनी सख्ती कर रहा है कि चौक-चौराहों पर बिना मास्क के चलने वालों लोगो से जुर्माना भी वसूल रहा है. यहां तक कि अगर सब्जी बाजार किराना दुकान छोटे-मोटे ठेले और गुमटी के सामने यदि 4 से ज्यादा लोग खड़े हो जाएं तो उनके खिलाफ भी चलानी कार्रवाई करने से बाज नहीं आ रहा है. उनसे भी जुर्माने के तौर पर हजारों रुपये वसूला जा रहा है. ऐसे में साफ है कि कोरोना संक्रमण के बीच जारी किए गए गाइडलाइन का पालन करने का जिम्मा सिर्फ गरीब और मध्यम वर्ग को ही दिया गया है. इसमें बड़े राजनीतिक दल रसूखदार लोग शामिल नहीं हैं. जबकि कोरोना संक्रमण अमीर-गरीब, उच्च, नीच, राजनीतिक दल को देखकर नहीं आता है, वह किसी को भी हो सकता है. बावजूद इसके इस तरह का आयोजन कहीं न कहीं खुद के साथ-साथ दूसरे लोगों के लिए भी कोरोना संक्रमण का खतरा पैदा कर सकता है.