रायपुर: छत्तीसगढ़ में धान खरीदी के बीच भाजपा और कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप का दौर लगातार जारी है. शुक्रवार को आयोजित होने वाले भाजपा के प्रदेश स्तरीय प्रदर्शन को लेकर कांग्रेस ने पत्रकारवार्ता की. जिसमें प्रदेश कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन में कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष गिरीश देवांगन ने बीजेपी के आंदोलन को लेकर कहा कि भारतीय जनता पार्टी आंदोलन करने के बजाए किसानों को हिसाब दे.
बीजेपी के प्रदर्शन को लेकर प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष और संचार विभाग के अध्यक्ष ने जमकर निशाना साधा. उन्होंने प्रदेश के 28 जिलों के 575 भाजपा नेताओं की जारी सूची को लेकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के भाजपा नेताओं को केंद्र सरकार के किसान कानून पर विश्वास नहीं है. जिन्होंने हाल फिलहाल में सरकारी धान खरीदी केंद्रों पर अपना धान बेचा है. कांग्रेस नेताओं ने कहा कि किसी भी भाजपा नेता ने निजी मंडी में धान नहीं बेचा और न ही किसी अन्य राज्यों में बेचने गए. प्रेसवार्ता में कांग्रेस नेताओं ने कहा कि भाजपा के लिए न किसान महत्वपूर्ण है न धान. भाजपा को धान और नान घोटाले का हिसाब देना चाहिए.
भाजपा प्रभारी डी पुरंदेश्वरी को दी चुनौती
कांग्रेस मीडिया विभाग अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने भाजपा प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी से सवाल किए. उन्होंने कहा कि भाजपा शासित राज्यों में किसानों को धान का कितना दाम दिया जा रहा है और धान खरीदी की क्या स्थिति है उसे सार्वजनिक करें.
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केंद्र सरकार से भी मांगा जवाब
केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने की बात केंद्र सरकार ने कही थी. लेकिन स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को लागू नहीं किया गया. इसका भी जवाब भाजपा की केंद्र सरकार को देना चाहिए. शैलेष ने कहा कि प्रदेश में 15 साल किसानों के साथ अन्याय और भेदभाव हुआ है. इसे लेकर भाजपा अपना रुख साफ करे.
किसानों को कर रहे गुमराह
कांग्रेस उपाध्यक्ष गिरीश देवांगन ने बीजेपी के आंदोलन को लेकर कहा कि भारतीय जनता पार्टी में नई प्रदेश प्रभारी आई हैं. केंद्र से अमित शाह का डंडा चल रहा है. तो छत्तीसगढ़ के भाजपा नेता अपनी नौकरी और अपनी साख बचाने के लिए झूठ और फरेब का सहारा लेकर किसानों को बरगला रहे हैं. बीजेपी यहां 14 सीटों पर सिमट गई है और उन्हें अपने भविष्य की भी चिंता है. इसलिए भाजपा किसानों की चिंता करने के बजाए खुद की साख बचाने का काम करना चाहिए. किसानों की चिंता न करें. किसान यहां खुश हैं.