रायपुर : छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक को राज्यपाल से मंजूरी नहीं मिली है. मंजूरी न मिलने के बाद इस मामले पर छत्तीसगढ़ की राजनीति गरमा गई है. इस मामले पर छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे (Chhattisgarh Agriculture Minister Ravindra Choubey) ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा किसानों के खिलाफ पार्लियामेंट में तीन काले कानून लाए गए थे और उसे लागू कर दिया गया था. उसके खिलाफ छत्तीसगढ़ में हमने अपने मंडी एक्ट में संशोधन की थी. इससे हमारे किसान प्रभावित न होते, हमारी खेती भी प्रभावित न होती.
इसलिए हमने यह कानून बनाया था और राज्यपाल को भेजा था. दुर्भाग्य से महामहिम के यहां एक साल उसमें अध्ययन ही चलता रहा. येस ओर नो. पक्ष या विपक्ष में क्या होता है, यह तो बाद की बात थी. अब केंद्र सरकार ने भी किसानों के सामने हाथ जोड़कर क्षमा मांगी थी. प्रधानमंत्री ने तीनों काले कानून (Three Agricultural Laws) वापस लेने की पार्लियामेंट में घोषणा भी की और कानून वापस लेने का एक्ट भी बना दिया है.
बिल के गुण-दोष पर करेंगे विचार : चौबे
कृषि मंत्री चौबे ने कहा कि अब उन कानूनों की छत्तीसगढ़ में कितनी जरूरत थी, उसे हम समझते हैं. लेकिन जैसी जानकारी आ रही है कि राज्यपाल के पास हम लोगों ने जो संशोधन विधेयक पारित किया था, उसे वापस किया गया है. उसमें हम लोग पुनर्विचार करेंगे. क्या उस विधेयक के खंडों पर फिर से कानून बनाने की जरूरत होगी. इन कानूनों के तहत हम अपने छत्तीसगढ़ में किसानों की मदद कर पाएंगे, इस पर पुनर्विचार किया जाएगा. आने वाले समय में बिल के गुण-दोष को लेकर विचार किया जाएगा. इसके बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा.
नेताम बोले-यह पहला मौका नहीं जब कांग्रेसियों ने दी है ऐसी अपमानजनक प्रतिक्रिया
वहीं बीजेपी के राज्यसभा सांसद और प्रदेश के पूर्व मंत्री रामविचार नेताम (Ramvichar Netam) ने राज्यपाल द्वारा मंडी संशोधन बिल वापस किये जाने के बाद इस विषय पर कांग्रेस नेताओं द्वारा दी गई प्रतिक्रिया पर कहा है कि यह पहला मौका नहीं है. कई ऐसे मौके आये हैं, जब राज्य सरकार और कांग्रेस की ओर से महामहिम राज्यपाल के प्रति अपमानजनक टिप्पणी की गई है. स्वस्थ प्रजातंत्र में इस तरह का अनादर भाव राज्यपाल के प्रति शोभा नहीं देता और इसकी मैं निंदा करता हूं.
"आने वाले समय में इस पर जरूर सवाल उठेंगे..."
नेताम ने कहा है कि वे एक संवैधानिक पद पर हैं. एक अनुसूचित जनजाति वर्ग की महिला हैं. उनके बारे में इस तरीके से हल्के ढंग से टिप्पणी. एसटी वर्ग के लोगों को ये किस नजरिए से देखते हैं, यह समझ में आ रहा है. वे पूरे समाज का प्रतिनिधित्व कर रही हैं और समाज के लोगों के साथ इस तरह के बर्ताव और अपमानजनक टिप्पणी समाज को अपमानित करने जैसी बात है. आने वाले समय में समाज में इस बारे में जरूर सवाल उठेंगे.
विधि विभाग के जरिये विधानसभा को भेजी गई है जानकारी
बता दें कि छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक (Chhattisgarh Agricultural Produce Market Amendment Bill) को राज्यपाल ने मंजूरी नहीं दी है. विधि विभाग के जरिये विधानसभा को जानकारी भेजी गई है. केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि कानून पारित किए जाने के विरोध में राज्य सरकार पिछले साल शीतकालीन सत्र में कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक लेकर आई थी. राज्य सरकार का आरोप था कि केंद्र का कृषि बिल किसानों के बजाए पूंजीपतियों के लिए है. मंडी विधेयक में किसानों को ध्यान में रखकर कानून लाया गया था. इसे राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा गया था, लेकिन फिलहाल मंजूरी नहीं मिली है. हालांकि अब केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया है.