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Chhattisgarh Assembly Election छत्तीसगढ़ में अल्पसंख्यक वोटर्स पर कांग्रेस बीजेपी की नजर !

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव की तैयारियों में सभी पार्टी जुट गई है. प्रदेश में 7-8 फीसदी वोटर्स अल्पसंख्यक हैं. चुनाव से पहले हर पार्टी छत्तीसगढ़ में अल्पसंख्यकों को साधने में जुटी हुई है. भाजपा केंद्र की योजनाओं के सहारे अल्पसंख्यकों पर नजर गड़ाए हुई है तो कांग्रेस अपने 4 साल के कामों को लेकर अल्पसंख्यकों पर अपना हक जता रही है.

minority vote bank in chhattisgarh
अल्पसंख्यक वोटर
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Published : Apr 8, 2023, 1:46 PM IST

अल्पसंख्यक वोटर पर नजर

रायपुर: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव 2023 का बिगुल बज चुका है. प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बीच चुनावी टक्कर देखने को मिल रही है. इस बीच आम आदमी पार्टी और जेसीसीजे भी अपनी उपस्थिति दर्ज कर खुद को तीसरी पार्टी के तौर पर प्रदर्शित कर रहे हैं. ये सभी पार्टियां अब जनता को लुभाने में जुट गई हैं. छत्तीसगढ़ में अल्पसंख्यक वोटर्स काफी मायने रखता है. क्योंकि प्रदेश में 7 से 8 फीसद अल्पसंख्यकों की जनसंख्या है. इनमें मुस्लिम, क्रिश्चियन, सिक्ख, बौद्धिस्ट और जैन आते हैं. जिन्हें लुभाने में सभी पार्टियां जुटी हुई है.

एक नजर छत्तीसगढ़ के अल्पसंख्यकों के आंकड़े पर: साल 2011 के जनगणना के अनुसार छत्तीसगढ़ में 5 लाख 14 हजार 998 मुस्लिम, 4 लाख 90 हजार 542 क्रिश्चियन, 70 हजार 467 बैधिस्ट, 70 हजार 036 सिख, 61 हजार 510 जैन और 4 लाख 94 हजार 594 अन्य धर्म के लोग हैं. छत्तीसगढ़ के 90 विधानसभा सीटों पर अल्पसंख्यक वोटरों का प्रभाव है. ऐसे में कुछ विधानसभा सीटों पर मुस्लिम और क्रिश्चियन वोटर्स ज्यादा हैं.

12 विधानसभा सीटों में मुस्लिम आबादी: छत्तीसगढ़ के 90 विधानसभा सीटों में से 12 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम वोटरों का कब्जा है. यहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 12 से 15 फीसदी है. जिसमें जगदलपुर, कांकेर, केशकाल, धमतरी, रायपुर उत्तर, रायपुर दक्षिण, भिलाई, दुर्ग, राजनांदगांव, बिलासपुर और अंबिकापुर विधानसभा सीट में मुस्लिम वोटरों का प्रभाव है.

अल्पसंख्यकों को साधने में जुटी भाजपा: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के लिए अल्पसंख्यकों को लुभाना इतना आसान नहीं है. हालांकि प्रदेश में दूसरी बड़ी पार्टी होने के नाते भाजपा अल्पसंख्यकों को लुभाने में जुटी हुई है. प्रदेश भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा सदस्य सलीम राज ने बताया कि "भारतीय जनता पार्टी का अल्पसंख्यक मोर्चा 2023 के चुनाव में 10 फीसदी अल्पसंख्यक वोट बढ़ाने का लक्ष्य है. भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा जहां मुस्लिम और अल्पसंख्यक हैं, उससे सामाजिक भाईचारा बढ़ा रही है. केंद्र सरकार की योजनाओं को अल्पसंख्यकों के बीच हम लेकर जाएंगे. भारतीय जनता पार्टी कभी भी अल्पसंख्यक विरोधी नहीं रही है. लेकिन 70 साल में कांग्रेस ने अल्पसंख्यक विरोधी काम किया है. मुसलमानों को भी पता चल गया है कि भाजपा काल में मुसलमानों का विकास हो सकता है. छत्तीसगढ़ में कुल 16 सीटें हैं, जहां अल्पसंख्यकों का प्रभाव है. इनमें से 12 विधानसभा सीटें ऐसी है, जहां मुस्लिम वोटर 12 से 15 फीसदी हैं."

यह भी पढ़ें: liquor ban Chhattisgarh भूपेश बघेल ने साफ कर दिया कि छत्तीसगढ़ में शराबबंदी नहीं होगी : रमन सिंह

अल्पसंख्यकों के बीच जाएगी भाजपा: भारतीय जनता पार्टी के सह प्रभारी नितिन नबीन ने कहा "हम जब भी योजनाएं बनाते हैं. उस समय सभी को ध्यान में रखा जाता है. हमने 5 करोड़ परिवार तक अनाज पहुंचाया है. लेकिन हमने इसमें समाज का आईना नहीं लगाया, बल्कि गरीब के परिवार को ध्यान में रखा. इसी तरह से किसान सम्मान निधि भी समाज देखकर नहीं, सभी का चेहरा देखकर दिया गया. आज सड़कें बनती है, तो सभी को इसका लाभ मिलता है. इसी प्रकार से अल्पसंख्यकों को प्रधानमंत्री आवास योजना से लेकर उज्जवला योजना तक का लाभ मिल रहा है."

भाजपा के झांसे में नहीं आएंगे अल्पसंख्यक: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार है. कांग्रेस अपने पुराने 4 साल में किए गए कामों को गिनाकर आगे आने का पूरा प्रयास कर रही है. कांग्रेस फिलहाल प्रदेश में पहली पार्टी है. पिछले दिनों में हुए चुनावों में भी कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया है. प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा " भारतीय जनता पार्टी को चुनाव में करारी हार दिख रही है, इसलिए उन्हें अल्पसंख्यकों की चिंता हो रही है. यह वही भाजपा है, जिनके नेता और मोदी सरकार ने पिछले 9 साल से अल्पसंख्यकों की भावनाओं से खेला है. चुनाव नजदीक आते ही भाजपा अल्पसंख्यकों को साधने में जुट जाती है. भाजपा के बहकावे में ना तो अल्पसंख्यक आएंगे ना ही बहुसंख्यक आएंगे. "

क्या कहते हैं पत्रकार: छत्तीसगढ़ में अल्पसंख्यक वोटरों के साधने के मामले में पॉलिटिकल एक्सपर्ट और सीनियर जर्नलिस्ट उचित शर्मा कहते हैं, "छत्तीसगढ़ में अल्पसंख्यक वोटरों का अहम रोल है. यहां 7 से 8 फीसद जनसंख्या अल्पसंख्यकों की है. साल 2023 के विधानसभा चुनाव में लगभग 2 करोड़ 15 लाख वोटर्स होंगे. इसमें 7 से 8 फीसद बड़े अल्पसंख्यक हैं. पिछली बार विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यक वोटरों का झुकाव कांग्रेस की ओर था. अल्पसंख्यक वोटर विधानसभा चुनाव में भी मायने रखेंगे. इन्हें राजनीतिक पार्टियां अपनी ओर आकर्षित करने का काम करती है. माइनॉरिटी को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां संवेदनशील रहती है. ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव में इनका वोट काफी महत्वपूर्ण है. "

ईसाई वोटर्स का प्रभाव: छत्तीसगढ़ के कुल वोटरों में से लगभग 5 से 7 लाख वोटर्स ईसाई हैं. अल्पसंख्यकों में ईसाई वोर्टस धर्मांतरण के मुद्दे को लेकर सत्ता पक्ष से नाराज हैं. ईसाई धर्म के लोगों ने अपने ऊपर हो रही हिंसा और सुरक्षा को लेकर सरकार को पत्र लिखा है. अल्पसंख्यकों में से ईसाई धर्म के लोग सत्ता से खफा हैं. ऐसे में आने वाले विधानसभा चुनाव में इनकी नाराजगी से भी वोट पर असर पड़ेगा.

अल्पसंख्यक वोटर पर नजर

रायपुर: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव 2023 का बिगुल बज चुका है. प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बीच चुनावी टक्कर देखने को मिल रही है. इस बीच आम आदमी पार्टी और जेसीसीजे भी अपनी उपस्थिति दर्ज कर खुद को तीसरी पार्टी के तौर पर प्रदर्शित कर रहे हैं. ये सभी पार्टियां अब जनता को लुभाने में जुट गई हैं. छत्तीसगढ़ में अल्पसंख्यक वोटर्स काफी मायने रखता है. क्योंकि प्रदेश में 7 से 8 फीसद अल्पसंख्यकों की जनसंख्या है. इनमें मुस्लिम, क्रिश्चियन, सिक्ख, बौद्धिस्ट और जैन आते हैं. जिन्हें लुभाने में सभी पार्टियां जुटी हुई है.

एक नजर छत्तीसगढ़ के अल्पसंख्यकों के आंकड़े पर: साल 2011 के जनगणना के अनुसार छत्तीसगढ़ में 5 लाख 14 हजार 998 मुस्लिम, 4 लाख 90 हजार 542 क्रिश्चियन, 70 हजार 467 बैधिस्ट, 70 हजार 036 सिख, 61 हजार 510 जैन और 4 लाख 94 हजार 594 अन्य धर्म के लोग हैं. छत्तीसगढ़ के 90 विधानसभा सीटों पर अल्पसंख्यक वोटरों का प्रभाव है. ऐसे में कुछ विधानसभा सीटों पर मुस्लिम और क्रिश्चियन वोटर्स ज्यादा हैं.

12 विधानसभा सीटों में मुस्लिम आबादी: छत्तीसगढ़ के 90 विधानसभा सीटों में से 12 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम वोटरों का कब्जा है. यहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 12 से 15 फीसदी है. जिसमें जगदलपुर, कांकेर, केशकाल, धमतरी, रायपुर उत्तर, रायपुर दक्षिण, भिलाई, दुर्ग, राजनांदगांव, बिलासपुर और अंबिकापुर विधानसभा सीट में मुस्लिम वोटरों का प्रभाव है.

अल्पसंख्यकों को साधने में जुटी भाजपा: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के लिए अल्पसंख्यकों को लुभाना इतना आसान नहीं है. हालांकि प्रदेश में दूसरी बड़ी पार्टी होने के नाते भाजपा अल्पसंख्यकों को लुभाने में जुटी हुई है. प्रदेश भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा सदस्य सलीम राज ने बताया कि "भारतीय जनता पार्टी का अल्पसंख्यक मोर्चा 2023 के चुनाव में 10 फीसदी अल्पसंख्यक वोट बढ़ाने का लक्ष्य है. भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा जहां मुस्लिम और अल्पसंख्यक हैं, उससे सामाजिक भाईचारा बढ़ा रही है. केंद्र सरकार की योजनाओं को अल्पसंख्यकों के बीच हम लेकर जाएंगे. भारतीय जनता पार्टी कभी भी अल्पसंख्यक विरोधी नहीं रही है. लेकिन 70 साल में कांग्रेस ने अल्पसंख्यक विरोधी काम किया है. मुसलमानों को भी पता चल गया है कि भाजपा काल में मुसलमानों का विकास हो सकता है. छत्तीसगढ़ में कुल 16 सीटें हैं, जहां अल्पसंख्यकों का प्रभाव है. इनमें से 12 विधानसभा सीटें ऐसी है, जहां मुस्लिम वोटर 12 से 15 फीसदी हैं."

यह भी पढ़ें: liquor ban Chhattisgarh भूपेश बघेल ने साफ कर दिया कि छत्तीसगढ़ में शराबबंदी नहीं होगी : रमन सिंह

अल्पसंख्यकों के बीच जाएगी भाजपा: भारतीय जनता पार्टी के सह प्रभारी नितिन नबीन ने कहा "हम जब भी योजनाएं बनाते हैं. उस समय सभी को ध्यान में रखा जाता है. हमने 5 करोड़ परिवार तक अनाज पहुंचाया है. लेकिन हमने इसमें समाज का आईना नहीं लगाया, बल्कि गरीब के परिवार को ध्यान में रखा. इसी तरह से किसान सम्मान निधि भी समाज देखकर नहीं, सभी का चेहरा देखकर दिया गया. आज सड़कें बनती है, तो सभी को इसका लाभ मिलता है. इसी प्रकार से अल्पसंख्यकों को प्रधानमंत्री आवास योजना से लेकर उज्जवला योजना तक का लाभ मिल रहा है."

भाजपा के झांसे में नहीं आएंगे अल्पसंख्यक: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार है. कांग्रेस अपने पुराने 4 साल में किए गए कामों को गिनाकर आगे आने का पूरा प्रयास कर रही है. कांग्रेस फिलहाल प्रदेश में पहली पार्टी है. पिछले दिनों में हुए चुनावों में भी कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया है. प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा " भारतीय जनता पार्टी को चुनाव में करारी हार दिख रही है, इसलिए उन्हें अल्पसंख्यकों की चिंता हो रही है. यह वही भाजपा है, जिनके नेता और मोदी सरकार ने पिछले 9 साल से अल्पसंख्यकों की भावनाओं से खेला है. चुनाव नजदीक आते ही भाजपा अल्पसंख्यकों को साधने में जुट जाती है. भाजपा के बहकावे में ना तो अल्पसंख्यक आएंगे ना ही बहुसंख्यक आएंगे. "

क्या कहते हैं पत्रकार: छत्तीसगढ़ में अल्पसंख्यक वोटरों के साधने के मामले में पॉलिटिकल एक्सपर्ट और सीनियर जर्नलिस्ट उचित शर्मा कहते हैं, "छत्तीसगढ़ में अल्पसंख्यक वोटरों का अहम रोल है. यहां 7 से 8 फीसद जनसंख्या अल्पसंख्यकों की है. साल 2023 के विधानसभा चुनाव में लगभग 2 करोड़ 15 लाख वोटर्स होंगे. इसमें 7 से 8 फीसद बड़े अल्पसंख्यक हैं. पिछली बार विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यक वोटरों का झुकाव कांग्रेस की ओर था. अल्पसंख्यक वोटर विधानसभा चुनाव में भी मायने रखेंगे. इन्हें राजनीतिक पार्टियां अपनी ओर आकर्षित करने का काम करती है. माइनॉरिटी को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां संवेदनशील रहती है. ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव में इनका वोट काफी महत्वपूर्ण है. "

ईसाई वोटर्स का प्रभाव: छत्तीसगढ़ के कुल वोटरों में से लगभग 5 से 7 लाख वोटर्स ईसाई हैं. अल्पसंख्यकों में ईसाई वोर्टस धर्मांतरण के मुद्दे को लेकर सत्ता पक्ष से नाराज हैं. ईसाई धर्म के लोगों ने अपने ऊपर हो रही हिंसा और सुरक्षा को लेकर सरकार को पत्र लिखा है. अल्पसंख्यकों में से ईसाई धर्म के लोग सत्ता से खफा हैं. ऐसे में आने वाले विधानसभा चुनाव में इनकी नाराजगी से भी वोट पर असर पड़ेगा.

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