रायपुर : छत्तीसगढ़ में पहले चरण के मतदान के लिए 18 दिनों का समय बचा है. 7 नवंबर को बस्तर की 12 और दुर्ग संभाग की 8 सीटों पर मतदान होंगे.लेकिन इस बार कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों ने अपना घोषणापत्र जारी नहीं किया है. ऐसे में घोषणापत्र को लेकर आने वाले चुनाव में क्या असर पड़ेगा ईटीवी भारत की टीम ने जानने की कोशिश की.
कांग्रेस ने पिछली बार घोषणापत्र से बनाया था माहौल : कांग्रेस ने पिछली बार जब घोषणापत्र जारी किया था तो उसके बाद से ही पार्टी के पक्ष में माहौल बनना शुरु हुआ था. किसान कर्जमाफी,बिजली बिल हाफ, नरवा गरवा घुरवा बाड़ी,शराबबंदी,बेरोजगारी भत्ता, 2500 में धान खरीदी जैसे वादों को जनता ने हाथों हाथ लिया. जिसका नतीजा था कि प्रदेश में प्रचंड बहुमत से कांग्रेस सरकार बनीं.
क्यों कांग्रेस को हुई देरी ? : इस बार के चुनाव में जब एक बार फिर कांग्रेस ने घोषणा पत्र की जिम्मेदारी टीएस सिंहदेव को देनी चाही तो उन्होंने कम समय का हवाला देते हुए मना कर दिया.इसके बाद पार्टी ने मोहम्मद अकबर को घोषणापत्र समिति का अध्यक्ष बनाया.बावजूद इसके अभी तक पार्टी का घोषणा पत्र नहीं आया है.
कांग्रेस और बीजेपी में वादों को लेकर जंग : कांग्रेस ने पिछले चुनाव में 36 वादों में से 34 वादे पूरे कर लिए गए. शराबबंदी और नियुक्तिकरण के वादों को छोड़ दिया जाए तो सारे वादे पूरे करने का दावा कांग्रेस कर रही है. कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आंनद शुक्ला कहना है कि बीजेपी ने 2003, 2008 और 2013 में भी घोषणा पत्र बनाया था. लेकिन उनके फ्रंट पेज में किए गए 30 वादों में से 25 वादे भी वे पूरे नहीं कर सके
'' बीजेपी की परिवर्तन यात्रा और विकास खोजो यात्रा पूर्व में कांग्रेस के चलाए गए अभियान की नकल थी. हाल ही में हम हैं तैयार भी कांग्रेस भवन के बाहर लिखा है. जिसे अब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव कह रहे हैं. उनके पास अपना कुछ बनाने के लिए बौद्धिक स्तर तक नहीं है यह नकल चोर लोग हैं चुनाव में क्या जाएंगे.'' सुशील आनंद शुक्ला, प्रवक्ता कांग्रेस
झूठ का पुलिंदा नहीं होगा बीजेपी का घोषणापत्र : वहीं बीजेपी के प्रवक्ता अनुराग अग्रवाल का कहना है कि बीजेपी का घोषणा पत्र कांग्रेस की तरह झूठ का पुलिंदा नहीं होगा. कांग्रेस घोषणा पत्र के संयोजक को कहना पड़ा कि हमने 12 वादे पूरे किए और 12 को टच तक नहीं कर पाए हैं. यह छत्तीसगढ़ की जनता देख चुकी है.पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार में शिक्षा के क्षेत्र में काम किया. विश्व स्तरीय शिक्षा की संस्थाएं लेकर आए बच्चियों के लिए सरस्वती साइकिल योजना शुरू की स्कूल कॉलेज सड़क पुल पुलिया का निर्माण कराया.
चुनाव पर पड़ेगा गहरा असर : वहीं राजनीति की जानकारी वरिष्ठ पत्रकार बाबूलाल शर्मा कहना है कि दोनों दल घोषणा पत्र बनाने में लगे हुए हैं. इसमें गहराई से विचार विमर्श किया जा रहा है.बीजेपी ने इस बार घोषणा पत्र के लिए सर्वे किया है. बहुत से वर्गों से बातचीत की , इसी तरह कांग्रेस भी अपने पिछले घोषणा पत्र में जो कमियां रह गई थी जो कमजोरी थी जो भाषा की गड़बड़ी हो गई थी.उसे दूर करने की कोशिश करेगी.लेकिन देरी से घोषणा पत्र जारी करने पर चुनाव पर असर जरुर पड़ेगा.
''पिछले घोषणा पत्र में कांग्रेस ने किसानों पर ज्यादा फोकस किया था. लगभग 90% योजनाएं किसानों से जुड़ी हुई थी. यही वजह है कि इस बार बीजेपी अपने घोषणा पत्र में इस बात का ख्याल रखेगी. बीजेपी पहले इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में बहुत काम कर चुकी है. लेकिन अब उसे समझ में आ गया है कि गांव किसान और पेट की भूख की तरफ भी ध्यान देना होगा.''- बाबूलाल शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार
क्यों है घोषणापत्र जरुरी ? :किसी भी चुनाव में घोषणापत्र राजनीतिक दलों के लिए वोट मांगने का आधार माना जाता है. घोषणापत्र में किए गए वादे ही जनता को वोट के लिए किसी भी दल के पास लाते हैं.लेकिन इस बार चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ने ही घोषणापत्र जारी नहीं किया.नामांकन का दौर चल रहा है.ऐसे में कुछ दिन और घोषणापत्र में देरी हो सकती है.वहीं दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी ने 10 गारंटी देकर इस मामले में प्रदेश में लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है. ऐसे में देखना ये होगा कि कहीं घोषणापत्र में देरी का असर दलों की परफॉर्मेंस में ना पड़ जाए.