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सीएम भूपेश ने मिनीमाता को दी श्रद्धांजलि - Shaheed Memorial Bhawan Raipur

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मिनीमाता की 50वीं पुण्यतिथि पर डाक विभाग द्वारा जारी विशेष आवरण का विमोचन किया.

CM Bhupesh pays tribute to Minimata
सीएम भूपेश ने मिनीमाता को दी श्रद्धांजलि
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Published : Aug 11, 2022, 5:36 PM IST

रायपुर : राजधानी के शहीद स्मारक भवन (Shaheed Memorial Bhawan Raipur) में मिनीमाता स्मृति दिवस एवं प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन किया (CM Bhupesh pays tribute to Minimata) गया. जिसमें सीएम भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने शिरकत की. इस मौके पर उन्होंने प्रथम महिला सांसद मिनीमाता की 50वीं पुण्यतिथि पर डाक विभाग द्वारा जारी विशेष आवरण का विमोचन किया. कार्यक्रम का आयोजन गुरू घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, प्रगतिशील छत्तीसगढ़ सतनामी समाज की ओर से किया गया था. इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि '' मिनीमाता का व्यक्तित्व अतुलनीय था. सरल और सहज व्यक्तित्व की धनी मिनीमाता ने अपना पूरा जीवन मानव सेवा के लिए समर्पित कर दिया. दलितों के नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिये अस्पृश्यता निवारण अधिनियम को संसद में पारित कराने में उन्होंने महती भूमिका निभाई. बाल विवाह और दहेज प्रथा के विरोध में उन्होंने समाज से लेकर संसद तक अपनी आवाज उठाई.

मिनीमाता ने अस्मिता को दी नई ऊंचाई : मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में आगे कहा कि '' मिनीमाता ने महिला अस्मिता को एक नई ऊंचाई दी है. अपने प्रखर नेतृत्व क्षमता की बदौलत राष्ट्रीय नेताओं के बीच उनकी अलग पहचान थी. दलित शोषित समाज ही नहीं सभी वर्गाें ने उनके नेतृत्व को मान्य किया था. मिनीमाता समाज हितैषी कार्याें की वजह से लोकप्रियता के शीर्ष पर पहुंची. छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला सांसद (first woman MP of Chhattisgarh minimata ) के रूप में उन्हें दलितों एवं महिलाओं के उत्थान के लिए किए गए कार्यों के लिए सदा याद किया जाएगा.''

मिनीमाता का योगदान : मुख्यमंत्री ने कहा कि मिनीमाता ने समाज सुधार सहित सभी वर्गों की उन्नति और बेहतरी के कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. उन्हें असमिया, अंग्रेजी, बांग्ला, हिन्दी और छत्तीसगढ़ी भाषा का अच्छा ज्ञान था. वह सत्य, अहिंसा एवं प्रेम की साक्षात् प्रतिमूर्ति थीं. उनका विवाह गुरूबाबा घासीदास जी के चौथे वंशज गुरू अगमदास से हुआ. विवाह के बाद वे गुरूमाता के रूप में असम से छत्तीसगढ़ आई, तब से उन्होंने इस क्षेत्र के विकास के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. स्वतंत्रता पश्चात लोकसभा का प्रथम चुनाव 1951-52 में सम्पन्न हुआ. मिनीमाता सन् 1951 से 1971 तक सांसद के रूप में लोकसभा की सदस्य रहीं. अविभाजित मध्यप्रदेश में बिलासपुर-दुर्ग-रायपुर आरक्षित सीट से लोकसभा की प्रथम महिला सांसद चुनी गईं. इसके बाद परिसीमन में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित जांजगीर लोकसभा क्षेत्र से चार बार चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंचीं.

ये भी पढ़ें- छत्तीसगढ़ कांग्रेस नेता प्रमोद दुबे पर तिरंगे के अपमान का आरोप

सतनामी समाज के विद्यार्थियों का सम्मान : कार्यक्रम में नगरीय प्रशासन एवं श्रम मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सतनामी समाज की तरफ से गिरौदपुरी का नामकरण गुरू घासीदास गिरौदपुरी धाम किए जाने पर मुख्यमंत्री के प्रति आभार जताया. कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने सतनामी समाज के उत्कृष्ट कार्य करने वाले प्रतिभाशाली विद्यार्थियों और लोगों को सम्मानित भी किया. इस अवसर पर रायपुर ग्रामीण विधायक सत्यनारायण शर्मा, रायपुर महापौर एजाज ढेबर, चरौदा के महापौर निर्मल कोसले सहित बड़ी संख्या में सतनाम पंथ के अनुयायी उपस्थित थे.

रायपुर : राजधानी के शहीद स्मारक भवन (Shaheed Memorial Bhawan Raipur) में मिनीमाता स्मृति दिवस एवं प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन किया (CM Bhupesh pays tribute to Minimata) गया. जिसमें सीएम भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने शिरकत की. इस मौके पर उन्होंने प्रथम महिला सांसद मिनीमाता की 50वीं पुण्यतिथि पर डाक विभाग द्वारा जारी विशेष आवरण का विमोचन किया. कार्यक्रम का आयोजन गुरू घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, प्रगतिशील छत्तीसगढ़ सतनामी समाज की ओर से किया गया था. इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि '' मिनीमाता का व्यक्तित्व अतुलनीय था. सरल और सहज व्यक्तित्व की धनी मिनीमाता ने अपना पूरा जीवन मानव सेवा के लिए समर्पित कर दिया. दलितों के नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिये अस्पृश्यता निवारण अधिनियम को संसद में पारित कराने में उन्होंने महती भूमिका निभाई. बाल विवाह और दहेज प्रथा के विरोध में उन्होंने समाज से लेकर संसद तक अपनी आवाज उठाई.

मिनीमाता ने अस्मिता को दी नई ऊंचाई : मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में आगे कहा कि '' मिनीमाता ने महिला अस्मिता को एक नई ऊंचाई दी है. अपने प्रखर नेतृत्व क्षमता की बदौलत राष्ट्रीय नेताओं के बीच उनकी अलग पहचान थी. दलित शोषित समाज ही नहीं सभी वर्गाें ने उनके नेतृत्व को मान्य किया था. मिनीमाता समाज हितैषी कार्याें की वजह से लोकप्रियता के शीर्ष पर पहुंची. छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला सांसद (first woman MP of Chhattisgarh minimata ) के रूप में उन्हें दलितों एवं महिलाओं के उत्थान के लिए किए गए कार्यों के लिए सदा याद किया जाएगा.''

मिनीमाता का योगदान : मुख्यमंत्री ने कहा कि मिनीमाता ने समाज सुधार सहित सभी वर्गों की उन्नति और बेहतरी के कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. उन्हें असमिया, अंग्रेजी, बांग्ला, हिन्दी और छत्तीसगढ़ी भाषा का अच्छा ज्ञान था. वह सत्य, अहिंसा एवं प्रेम की साक्षात् प्रतिमूर्ति थीं. उनका विवाह गुरूबाबा घासीदास जी के चौथे वंशज गुरू अगमदास से हुआ. विवाह के बाद वे गुरूमाता के रूप में असम से छत्तीसगढ़ आई, तब से उन्होंने इस क्षेत्र के विकास के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. स्वतंत्रता पश्चात लोकसभा का प्रथम चुनाव 1951-52 में सम्पन्न हुआ. मिनीमाता सन् 1951 से 1971 तक सांसद के रूप में लोकसभा की सदस्य रहीं. अविभाजित मध्यप्रदेश में बिलासपुर-दुर्ग-रायपुर आरक्षित सीट से लोकसभा की प्रथम महिला सांसद चुनी गईं. इसके बाद परिसीमन में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित जांजगीर लोकसभा क्षेत्र से चार बार चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंचीं.

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सतनामी समाज के विद्यार्थियों का सम्मान : कार्यक्रम में नगरीय प्रशासन एवं श्रम मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सतनामी समाज की तरफ से गिरौदपुरी का नामकरण गुरू घासीदास गिरौदपुरी धाम किए जाने पर मुख्यमंत्री के प्रति आभार जताया. कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने सतनामी समाज के उत्कृष्ट कार्य करने वाले प्रतिभाशाली विद्यार्थियों और लोगों को सम्मानित भी किया. इस अवसर पर रायपुर ग्रामीण विधायक सत्यनारायण शर्मा, रायपुर महापौर एजाज ढेबर, चरौदा के महापौर निर्मल कोसले सहित बड़ी संख्या में सतनाम पंथ के अनुयायी उपस्थित थे.

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