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राजधानी रायपुर में बड़ी धूमधाम से मनाई गई क्रिसमस, शहर के गिरजाघर को लाइटों से सजाया गया - क्रिसमस के पहले दिन जागरण का महत्व

आज पूरे देश दुनिया में क्रिसमस का पर्व मनाया जा रहा है. ईसाई समुदाय के लोग गिरजाघर और अपने-अपने घरों में गौशाला बनाकर उसमें प्रभु यीशु का जन्मोत्सव को बड़े धूमधाम के साथ मना रहे हैं. प्रदेश की राजधानी रायपुर के गिरिजाघरों में भी बड़े धूमधाम के साथ क्रिसमस पर्व मनाया जा रहा है.

Christmas 2023
क्रिसमस 2023
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 25, 2023, 5:13 PM IST

रायपुर के गिरजाघर को लाइटों से सजाया गया

रायपुर: राजधानी रायपुर सहित पूरे देश और दुनिया में आज क्रिसमस पर्व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. गिरजाघर में लाइटिंग करने के साथ ही क्रिसमस ट्री और कैंडल भी जलाया गया है. साथ ही तमाम तरह की व्यंजन और केक काटकर लोग एक दूसरे को बधाई और शुभकामनाएं दे रह हैं. लोग धूमधाम के साथ प्रभु यीशु के जन्म दिवस क्रिसमस को सेलीब्रेट कर रहे हैं.

क्यों मनाया जाता है क्रिसमस पर्व: ईसाई धर्म की मान्यता अनुसार, प्रभु यीशु का जन्म 25 दिसंबर को हुआ था. जिसकी वजह से इस दिन को क्रिसमस के तौर पर मनाया जाता है. प्रभु यीशु का जन्म बेथलहम के एक गौशाला में हुआ था. इसलिए ईसाई समुदाय के लोग हर साल 25 दिसंबर क्रिसमस के अवसर पर गिरजाघरों और अपने घरों में गौशाला बनाते हैं. जिसमें लोग प्रभु यीशु का जन्म दिवस धूमधाम से मनाते हैं.

क्रिसमस के पहले दिन जागरण का महत्व: राजधानी रायपुर के बैरन बाजार स्थित सेंट जोसेफ चर्च शहर का सबसे बड़ा गिरिजाघर है. यहां के फादर जोस फिलिप ने बताया "क्रिसमस के 1 दिन पहले ईसाई समुदाय के लिए जागरण बेहद खास होता है. यानी कि 24 दिसंबर की रात गिरजाघर में रात 11 बजे से लेकर सुबह 3 बजे तक जागरण किया जाता है. प्रार्थना करने के साथ ही करोल गीत गाया जाता है. इस जागरण में मुख्य फादर के साथ ही दूसरे गिरजाघर के फादर भी शामिल होते हैं."

"इस 24 दिसंबर की रात गिरजाघर में जागरण के दौरान सभी की सुख समृद्धि के लिए प्रार्थना की गई. साथ ही देश दुनिया के लिए खुशहाली की कामना की गई. जागरण करने के बाद केक काटकर एक दूसरे को बधाइयां देते हैं और नाच गाकर क्रिसमस का पर्व मनाया गया." - जोस फिलिप, फादर, सेंट जोसेफ चर्च, रायपुर

प्रभु यीशु के जन्म की कहानी: ईसाई धर्म की मान्यता अनुसार, 25 दिसंबर को क्रिसमस का पर्व प्रभु यीशु मसीह के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है. यीशु मसीह का जन्म मरियम के घर में हुआ था. मान्यता है कि मरियम को एक सपना आया था. इस सपने में उन्हें प्रभु के पुत्र यीशु को जन्म देने की भविष्यवाणी की गई थी. इस सपने के बाद मरियम गर्भवती हुई और गर्भावस्था के दौरान उनको बेथलहम रहना पड़ा. एक दिन जब रात ज्यादा हो गई, तो मरियम को रुकने के लिए कोई सही जगह नहीं मिलने पर गौशाला में रुकना पड़ा. अगले दिन यानी 25 दिसंबर को मरियम ने यीशु मसीह को जन्म दिया था. लोगों का मानना था कि यीशु ईश्वर का पुत्र है और यह कल्याण के लिए पृथ्वी पर आया हुआ है. इसके बाद से हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस का पर्व मनाया जाता है.

रायपुर में क्रिसमस की धूम: राजधानी रायपुर में 7 प्रमुख बड़े गिरजाघर हैं. इसके अलावा शहर में छोटे-छोटे और भी कई गिरजाघर हैं. यहां 25 दिसंबर को क्रिसमस का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया गया. राजधानी के बैरन बाजार में सबसे बड़ा गिरजाघर सेंट जोसफ है. मोतीबाग चौक में गार्डन के सामने सेंट पॉल चर्च, अमलीडीह में सेंट टैरेसा चर्च, कापा के अवंती विहार में सेंट जॉन चर्च, टाटीबंध में सेंट मेरी चर्च, भनपुरी में सेंट फ्रांसिस चर्च और गुढ़ियारी में सेंट मैथ्यू चर्च आदि बड़े चर्च हैं. यहां बड़ी संख्या में ईसाई समुदाय के लोगों इकट्ठे होकर धूमधाम के साथ क्रिसमस का पर्व मना रहे हैं.

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रायपुर के गिरजाघर को लाइटों से सजाया गया

रायपुर: राजधानी रायपुर सहित पूरे देश और दुनिया में आज क्रिसमस पर्व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. गिरजाघर में लाइटिंग करने के साथ ही क्रिसमस ट्री और कैंडल भी जलाया गया है. साथ ही तमाम तरह की व्यंजन और केक काटकर लोग एक दूसरे को बधाई और शुभकामनाएं दे रह हैं. लोग धूमधाम के साथ प्रभु यीशु के जन्म दिवस क्रिसमस को सेलीब्रेट कर रहे हैं.

क्यों मनाया जाता है क्रिसमस पर्व: ईसाई धर्म की मान्यता अनुसार, प्रभु यीशु का जन्म 25 दिसंबर को हुआ था. जिसकी वजह से इस दिन को क्रिसमस के तौर पर मनाया जाता है. प्रभु यीशु का जन्म बेथलहम के एक गौशाला में हुआ था. इसलिए ईसाई समुदाय के लोग हर साल 25 दिसंबर क्रिसमस के अवसर पर गिरजाघरों और अपने घरों में गौशाला बनाते हैं. जिसमें लोग प्रभु यीशु का जन्म दिवस धूमधाम से मनाते हैं.

क्रिसमस के पहले दिन जागरण का महत्व: राजधानी रायपुर के बैरन बाजार स्थित सेंट जोसेफ चर्च शहर का सबसे बड़ा गिरिजाघर है. यहां के फादर जोस फिलिप ने बताया "क्रिसमस के 1 दिन पहले ईसाई समुदाय के लिए जागरण बेहद खास होता है. यानी कि 24 दिसंबर की रात गिरजाघर में रात 11 बजे से लेकर सुबह 3 बजे तक जागरण किया जाता है. प्रार्थना करने के साथ ही करोल गीत गाया जाता है. इस जागरण में मुख्य फादर के साथ ही दूसरे गिरजाघर के फादर भी शामिल होते हैं."

"इस 24 दिसंबर की रात गिरजाघर में जागरण के दौरान सभी की सुख समृद्धि के लिए प्रार्थना की गई. साथ ही देश दुनिया के लिए खुशहाली की कामना की गई. जागरण करने के बाद केक काटकर एक दूसरे को बधाइयां देते हैं और नाच गाकर क्रिसमस का पर्व मनाया गया." - जोस फिलिप, फादर, सेंट जोसेफ चर्च, रायपुर

प्रभु यीशु के जन्म की कहानी: ईसाई धर्म की मान्यता अनुसार, 25 दिसंबर को क्रिसमस का पर्व प्रभु यीशु मसीह के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है. यीशु मसीह का जन्म मरियम के घर में हुआ था. मान्यता है कि मरियम को एक सपना आया था. इस सपने में उन्हें प्रभु के पुत्र यीशु को जन्म देने की भविष्यवाणी की गई थी. इस सपने के बाद मरियम गर्भवती हुई और गर्भावस्था के दौरान उनको बेथलहम रहना पड़ा. एक दिन जब रात ज्यादा हो गई, तो मरियम को रुकने के लिए कोई सही जगह नहीं मिलने पर गौशाला में रुकना पड़ा. अगले दिन यानी 25 दिसंबर को मरियम ने यीशु मसीह को जन्म दिया था. लोगों का मानना था कि यीशु ईश्वर का पुत्र है और यह कल्याण के लिए पृथ्वी पर आया हुआ है. इसके बाद से हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस का पर्व मनाया जाता है.

रायपुर में क्रिसमस की धूम: राजधानी रायपुर में 7 प्रमुख बड़े गिरजाघर हैं. इसके अलावा शहर में छोटे-छोटे और भी कई गिरजाघर हैं. यहां 25 दिसंबर को क्रिसमस का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया गया. राजधानी के बैरन बाजार में सबसे बड़ा गिरजाघर सेंट जोसफ है. मोतीबाग चौक में गार्डन के सामने सेंट पॉल चर्च, अमलीडीह में सेंट टैरेसा चर्च, कापा के अवंती विहार में सेंट जॉन चर्च, टाटीबंध में सेंट मेरी चर्च, भनपुरी में सेंट फ्रांसिस चर्च और गुढ़ियारी में सेंट मैथ्यू चर्च आदि बड़े चर्च हैं. यहां बड़ी संख्या में ईसाई समुदाय के लोगों इकट्ठे होकर धूमधाम के साथ क्रिसमस का पर्व मना रहे हैं.

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