रायपुर: छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण के नाम पर कई जगहों में हिंसक घटनाएं घटी है. जनवरी महीने के शुरुआती दिनों में बस्तर में हिंसक प्रदर्शन भी देखने को मिला. उसके बाद लगातार छत्तीसगढ़ में ईसाई समाज भी काफी मुखर नजर आ रहा है. बुधवार को कैथोलिक आर्च डायसिस के पूरे होने पर खास आयोजन रायपुर में किया गया. यहां कैथोलिक आर्च डायसिस के 50 साल पूरे होने पर देशभर से 20 धर्मप्रान्त के धर्माध्यक्ष पहुंचे. ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि ईसाई समाज ने इस कार्यक्रम के माध्यम से शक्ति प्रदर्शन किया, लेकिन समाज प्रमुखों ने इन बातों से इनकार किया और कहा कि यह सिर्फ कैथोलिक आर्च डायसिस के 50 वर्ष पूरे होने पर कार्यक्रम हुआ है.
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क्या कहते हैं राजनीतिक जानकर: वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक जानकर मृगेंद्र पांडे कहते हैं कि " छत्तीसगढ़ में पहली बार ईसाई समाज का ऐतिहासिक कार्यक्रम हुआ है. जिसमें 20 जगहों के बिशप पहुंचे. बड़ी संख्या में ईसाई समाज के लोग भी शामिल हुए हैं. जिस तरह से कार्यक्रम हुए हैं. उससे यह बात कहने कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि यह शक्ति प्रदर्शन है. चूंकि चुनावी साल है. मिशनरियों ने सीएम भूपेश समेत बीजेपी नेताओं को भी कार्यक्रम में आमंत्रित किया था, लेकिन बीजेपी से कोई नेता नहीं पहुंचा. ईसाई समाज इस आयोजन के माध्यम से यह बताना चाहते होंगे कि प्रदेश में हमारी भी संख्या बल अधिक है. धर्मांतरण को लेकर ईसाई समाज को घेरा जाएगा तो उसका जवाब चुनाव में दिया जा सकता है. हालांकि मिशनरी कांग्रेस का वोट बैंक है. यह बात सभी जानते हैं."
सीएम ने ईसाई समाज की तारीफ की : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि "छत्तीसगढ़ में ईसाई समाज ने शिक्षा, स्वास्थ और सेवा के क्षेत्र में बेहतर कार्य किया है. जब शिक्षण संस्थाओं का अभाव था, तब मसीही समुदाय ने स्कूल और हॉस्टल खोले. ग्रामीण और वनांचल क्षेत्रों में शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया. स्वास्थ्य और मानवता की सेवा के क्षेत्र में समाज द्वारा अनुकरणीय कार्य किए गए. कुष्ठ रोग पीड़ितों के इलाज के लिए ईसाई समाज ने अभनपुर, बैतलपुर समेत कई स्थानों पर अस्पताल और डिस्पेंसरी खोलें."
उन्होंने कहा कि प्रभु यीशु और संत माता मरियम की दया, करुणा, सेवा, क्षमा, प्रेम, त्याग की शिक्षा का यह समाज प्रचार-प्रसार कर रहा. वैश्विक महामारी कोरोना काल में भी समाज के लोगों ने मानवता की सेवा में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया.