रायपुर: जनजाति सुरक्षा मंच की डी लिस्टिंग की मांग के विरोध में शनिवार को रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में ईसाई आदिवासी महसभा ने विशाल सभा का आयोजन किया. इसमें प्रदेश के अलग-अलग जिलों से बड़ी संख्या में ईसाई आदिवासी समाज के लोग शामिल हुए. ईसाई आदिवासी महासभा के दौरान लोगों ने सामूहिक संविधान की प्रस्तवाना पढ़ी और संविधान की रक्षा करने का संकल्प लिया. इस दौरान आदिवासी नृत्य और गानों की प्रस्तुति भी दी गई.
आदिवासी परंपरा भी मानते हैं और बोली भाषा भी: ईसाई आदिवासी महासभा छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल किस्पोट्टा ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि "हम आदिवासी और ईसाई धर्म को मानते हैं. हम आदिवासी परंपरा के साथ ही बोली भाषा को भी मानते है. लेकिन जनजाति सुरक्षा मंच की ओर से निराधार आरोप लगाया जाता है. वे संविधान के खिलाफ बातें करते हैं. हम आदिवासी हैं और आदिवासी ही रहेंगे. हमारा अधिकार है कि हम किसी भी धर्म को मान सकते हैं. जनजाति सुरक्षा मंच मांग कर रहा है जो आदिवासी ईसाई धर्म को मानते है उन्हें अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर किया जाए. जो सुविधाएं मिल रही हैं, वह नहीं दिया जाए. उनकी ओर से की जा रही डी-लिस्टिंग की मांग के विरोध में प्रदेशभर से ईसाई आदिवासी समाज विरोध प्रदर्शन करने के लिए महासभा में आए हैं."
जन्म से मृत्यु तक परंपराओं का करते हैं पालन: ईसाई आदिवासी महासभा के महासचिव आनंद कुजूर के मुताबिक जन्म से लेकर मृत्यु तक हम पुरानी परंपराओं और मान्यताओं का पालन करते हैं. सप्ताह में 1 दिन एक घंटे के लिए चर्च जाते हैं. बाकी हम अपनी आदिवासी मान्यता पर ही जीते हैं. जब हम शादी करते हैं तब शादी के दौरान चर्च जाकर 1 घंटे की पूजा करते है. लेकिन हमारी शादी की रस्में शुरू से लेकर अंत तक पूरी अपनी परंपरा को कायम रखते हैं. यह कहना निराधार है कि हमने आदिवासी परंपरा और मान्यताएं छोड़ दी हैं.
जाति आधारित है आरक्षण: ईसाई आदिवासी महासभा के प्रवक्ता रिटायर्ड अधिकारी विक्रम सिंह लकड़ा के मुताबिक जनजाति सुरक्षा मंच का कहना है कि ऐसे आदिवासी जिन्होंने ईसाई धर्म या मुस्लिम धर्म अपना लिया है उनसे आरक्षण की सुविधा वापस ले ली जाए. पूरे देश के लोग जानते हैं कि संविधान में आरक्षण जाति आधारित है न कि धर्म आधारित. भारत धर्मनिरपेक्ष देश है. यहां के हर व्यक्ति को किसी भी धर्म को मानने की आजादी है.
दोहरे आरक्षण के लाभ पर कही ये बात: विक्रम सिंह लकड़ा ने दोहरे आरक्षण का लाभ लेने के आरोप पर कहा "आरक्षण तीन प्रकार के हैं. एक शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश को लेकर, एक रोजगार में आरक्षण और तीसरा राजनीतिक आरक्षण है. जनजाति सुरक्षा मंच का आरोप रहता है कि जिन्होंने ईसाई धर्म कबूल कर लिया है उनके हक में आरक्षण का ज्यादा लाभ रहता है लेकिन वे हमें आंकड़े बतला दें. अगर धर्म की वजह से आरक्षण का लाभ मिल रहा होता तो बहुत सारे ईसाई समाज के लोग बेरोजगार न रहते. नौकरी में जो आरक्षण मिला है वह उनके शैक्षणिक योग्यता के आधार पर दिया जा रहा है, धर्म के आधार पर नहीं. संविधान के अनुच्छेद 25 से लेकर 29 के बीच में प्रावधान है कि अल्पसंख्यक अपने शैक्षणिक संस्थाएं चला सकते हैं. इन शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश का द्वार सभी के लिए खुला हुआ है. जब सभी के लिए प्रवेश का द्वार खुला है तो अकेला ईसाई व्यक्ति वहां प्रवेश लेकर दोहरा लाभ ले रहा है, यह आरोप बिल्कुल निराधार है."
ईसाई समाज के लोगों पर हमले को बताया संवेदनशील: विक्रम सिंह लकड़ा ने ईसाई समाज के लोगों पर हो रहे हमले को एक संवेदनशील मामला बताया. उन्होंने सरकार सुरक्षा मुहैया कराए जाने की मांग की.
मांग समाप्त होने तक करेंगे विरोध: ईसाई आदिवासी महासभा के प्रदेश अध्यक्ष अनिल किस्पोट्टा ने महासभा के जरिए डी-लिस्टिंग के खिलाफ बड़ी शुरुआत कर दी है. आने वाले दिनों में ईसाई आदिवासी समाज सड़क से लेकर संसद तक आवाज उठाएंगे और तब तक विरोध करेंगे जब तक डी-लिस्टिंग की मांग समाप्त ना हो जाए.