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पबजी और ब्लू व्हेल से बच्चे बन रहे आक्रामक, अपराध को दे रहे अंजाम - पबजी

PUBG and Blue Whale Online Game आजकल हर बच्चे के हाथ में स्मार्टफोन आम बात हो गया है.लेकिन इसका बच्चों के दिमाग पर गहरा असर पड़ रहा है.फोन के जरिए जो गेम्स बच्चे खेलते हैं,वो कभी-कभी उनके जीवन के लिए भी घातक साबित हो सकता है.आज हम जानेंगे ऑनलाइन गेम्स बच्चों के लिए कितने खतरनाक हो सकते हैं.

PUBG and Blue Whale Online Game
पबजी और ब्लू व्हेल से बच्चे बन रहे आक्रामक
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 6, 2024, 7:18 PM IST

पबजी और ब्लू व्हेल से बच्चे बन रहे आक्रामक

रायपुर : स्मार्टफोन ने हमारे जीवन को आसान बना दिया है.लेकिन इससे छोटे बच्चे भी अछूते नहीं है. कम उम्र में ही बच्चों के हाथों में स्मार्ट फोन पहुंच चुका है.जिसमें वो कई तरह के ऑनलाइन गेम्स खेलते हैं. इन गेम्स की आदत के कारण बच्चों के मानसिक स्तर पर काफी असर पड़ा है.फोन के कारण बच्चों का बाहर जाकर खेलना कम हो गया है.जिसके कारण बच्चे आलसी होते जा रहे हैं.

बच्चों में बढ़ रही आक्रमकता : ऑनलाइन गेम बच्चों के मनोरंजन के अलावा उनमें आक्रामकता और गुस्से के स्वभाव को बढ़ा रहा है. इस बात को स्वयं मनोरोग विशेषज्ञ और साइबर एक्सपर्ट ने भी माना है. पबजी, ब्लू व्हेल जैसे आक्रामक गेम को खेलने से भगवान स्वरूप बच्चे अब हैवान बनते जा रहे हैं. जिनके कारण वो अपराध को अंजाम दे रहे हैं. पबजी और ब्लू व्हेल जैसे गेम बच्चों में अपराधिक गतिविधियों को बढ़ाने लगे हैं. यही कारण है कि इन्हें विश्व स्तर पर बैन किया गया है. लेकिन आज भी पब जी और ब्लू व्हेल जैसे कई गेम बच्चों को आसानी से इंटरनेट उपलब्ध करा रहा है.


गेम में होता है एडिश्कनल पोटेंशियल : डॉ भीमराव अंबेडकर अस्पताल की मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुरभि दुबे का कहना है" जो इंटरनेट पर गेम्स आते हैं उसमें एडिक्शनल पोटेंशियल होता है. इसे खेलते वक्त आपके ब्रेन में डोपामाइन नाम का एक केमिकल रिलीज होता है. जो हमें हल्का फील कराता है. किसी भी लत को जरूरत से ज्यादा करने से हमें अग्रेशन आने लगता है. ऐसे गेम में वायलेंस को देखते हुए हमारे में वैसा ही बिहेवियर आने लगता है.

''जो बच्चे ज्यादा समय ऑनलाइन गेम्स खेलने में बिताते हैं. आइसोलेटेड रहते हैं. घर के अंधेरे कमरे में बैठकर सिर्फ गेम खेलते हैं. तो मारधाड़ और वायलेंस को देखकर उनके दिमाग भी वही फीड होता है."


ऑनलाइन गेम्स में हथियारों का इस्तेमाल : साइबर एक्सपर्ट मोनाली गुहा का कहना है कि " कुछ ऐसे गेम्स होते हैं जिसमें वेपंस का इस्तेमाल कराया जाता है. इस तरह के गेम्स खेलना बच्चों के सेहत के लिए हानिकारक होता है. इन गेम्स में बच्चों को वेपंस का इस्तेमाल कैसे करना है यह सिखाया जाता है. बुलेट्स का इस्तेमाल कैसे करें बुलेट्स कितने डिस्टेंस में फायर करेगी. इस तरह की बातें बच्चों को सिखाई जाती है. यह ट्रेनिंग मिलिट्री परसन के लिए सही होती है. यदि कोई आम नागरिक या बच्चा इन चीजों को चलाना सीख रहा है तो निश्चित तौर पर जब उसके हाथ में वेपंस आएंगे तो वह उसका इस्तेमाल जरूर करेगा."

ऑनलाइन गेम्स के कारण बच्चे बन रहे अपराधी : पबजी गेम लांच होने के बाद इसका क्रेज इतना बढ़ा कि बच्चों से लेकर युवा तक इस गेम को खेलने में व्यस्त रहने लगे. इसके बाद पब्जी खेलने वाले बच्चों ने कई अपराध भी किए. साल 2019 में कर्नाटक में 21 साल के युवक ने अपने ही पिता की हत्या कर दी थी. क्योंकि पिता ने बेटे को गेम खेलने से मना किया था. बंगाल में जुलाई 2021 में केवल पबजी गेम पर बहस की वजह से युवक ने अपने भाई की हत्या कर दी थी. वाशिंगटन में जनवरी 2022 में एक बच्चे ने अपनी मां के साथ तीन भाई बहनों की हत्या कर दी थी. ऐसे कई मामले देखने के बाद वैश्विक स्तर पर इस तरह के आक्रामक गेम्स को बंद किया गया है.

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पबजी और ब्लू व्हेल से बच्चे बन रहे आक्रामक

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बच्चों में बढ़ रही आक्रमकता : ऑनलाइन गेम बच्चों के मनोरंजन के अलावा उनमें आक्रामकता और गुस्से के स्वभाव को बढ़ा रहा है. इस बात को स्वयं मनोरोग विशेषज्ञ और साइबर एक्सपर्ट ने भी माना है. पबजी, ब्लू व्हेल जैसे आक्रामक गेम को खेलने से भगवान स्वरूप बच्चे अब हैवान बनते जा रहे हैं. जिनके कारण वो अपराध को अंजाम दे रहे हैं. पबजी और ब्लू व्हेल जैसे गेम बच्चों में अपराधिक गतिविधियों को बढ़ाने लगे हैं. यही कारण है कि इन्हें विश्व स्तर पर बैन किया गया है. लेकिन आज भी पब जी और ब्लू व्हेल जैसे कई गेम बच्चों को आसानी से इंटरनेट उपलब्ध करा रहा है.


गेम में होता है एडिश्कनल पोटेंशियल : डॉ भीमराव अंबेडकर अस्पताल की मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुरभि दुबे का कहना है" जो इंटरनेट पर गेम्स आते हैं उसमें एडिक्शनल पोटेंशियल होता है. इसे खेलते वक्त आपके ब्रेन में डोपामाइन नाम का एक केमिकल रिलीज होता है. जो हमें हल्का फील कराता है. किसी भी लत को जरूरत से ज्यादा करने से हमें अग्रेशन आने लगता है. ऐसे गेम में वायलेंस को देखते हुए हमारे में वैसा ही बिहेवियर आने लगता है.

''जो बच्चे ज्यादा समय ऑनलाइन गेम्स खेलने में बिताते हैं. आइसोलेटेड रहते हैं. घर के अंधेरे कमरे में बैठकर सिर्फ गेम खेलते हैं. तो मारधाड़ और वायलेंस को देखकर उनके दिमाग भी वही फीड होता है."


ऑनलाइन गेम्स में हथियारों का इस्तेमाल : साइबर एक्सपर्ट मोनाली गुहा का कहना है कि " कुछ ऐसे गेम्स होते हैं जिसमें वेपंस का इस्तेमाल कराया जाता है. इस तरह के गेम्स खेलना बच्चों के सेहत के लिए हानिकारक होता है. इन गेम्स में बच्चों को वेपंस का इस्तेमाल कैसे करना है यह सिखाया जाता है. बुलेट्स का इस्तेमाल कैसे करें बुलेट्स कितने डिस्टेंस में फायर करेगी. इस तरह की बातें बच्चों को सिखाई जाती है. यह ट्रेनिंग मिलिट्री परसन के लिए सही होती है. यदि कोई आम नागरिक या बच्चा इन चीजों को चलाना सीख रहा है तो निश्चित तौर पर जब उसके हाथ में वेपंस आएंगे तो वह उसका इस्तेमाल जरूर करेगा."

ऑनलाइन गेम्स के कारण बच्चे बन रहे अपराधी : पबजी गेम लांच होने के बाद इसका क्रेज इतना बढ़ा कि बच्चों से लेकर युवा तक इस गेम को खेलने में व्यस्त रहने लगे. इसके बाद पब्जी खेलने वाले बच्चों ने कई अपराध भी किए. साल 2019 में कर्नाटक में 21 साल के युवक ने अपने ही पिता की हत्या कर दी थी. क्योंकि पिता ने बेटे को गेम खेलने से मना किया था. बंगाल में जुलाई 2021 में केवल पबजी गेम पर बहस की वजह से युवक ने अपने भाई की हत्या कर दी थी. वाशिंगटन में जनवरी 2022 में एक बच्चे ने अपनी मां के साथ तीन भाई बहनों की हत्या कर दी थी. ऐसे कई मामले देखने के बाद वैश्विक स्तर पर इस तरह के आक्रामक गेम्स को बंद किया गया है.

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