रायपुर: आधुनिक भागदौड़ की जिंदगी में अनेक दंपतियों को संतान प्राप्ति में बहुत सारी बाधाएं आती है. आजकल पति और पत्नी दोनों ही जीविकोपार्जन करते हैं. व्यस्ततम और भागदौड़ भरी जिंदगी के साथ ही महत्वाकांक्षा और आगे निकलने की दौड़ में कई बार संतान सुख से वंचित रह जाते हैं. ऐसे दंपतियों को वास्तु शास्त्र का सहारा लेकर संतान प्राप्ति में आने वाली बाधा को दूर किया जा सकता है. वास्तु शास्त्र में संतान प्राप्ति के लिए कौन से उपाय है, आइए जानते हैं...
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संतान का कारक देव गुरु बृहस्पति: वास्तु शास्त्री विनीत शर्मा का कहना है कि संतान का कारक मुख्य रूप से गुरु ग्रह होता है. देव गुरु बृहस्पति का वास्तु क्षेत्र उत्तर पूर्वी कोना माना गया है. जिसे ईशान कोण भी कहा जाता है. यह ईशान कोण किसी भी भवन में सर्वाधिक मायने रखता है. यह क्षेत्र अच्छी तरह से विकसित होना चाहिए. इस क्षेत्र में बोर जल, पानी की टंकी, भूतल के नीचे स्थित पानी की टंकी, भगवान का स्थान तुलसी और चौरा मंदिर आदि रखने की परंपरा है.
भगवान के बाल स्वरूप के फोटो लगाए: ऐसे स्थान पर भगवान को स्थापित कर संतान की कामना की जा सकती है. लड्डू गोपाल, बाल गोपाल अथवा कृष्ण जी के बाल स्वरूप की विधिवत विधानपूर्वक पूजा अर्चना, आराधना और आह्वान कर लड्डू गोपाल जी की स्थापना की जानी चाहिए. यह पूजन शुभ मुहूर्त सुबह बेला में किया जाना चाहिए. पति-पत्नी दोनों को ही इस वास्तु में रहते हुए गुरुवार का उपवास करना चाहिए.
बेडरूम की दीवारों पर लाइट कलर का उपयोग : बैडरूम की दीवारों को हल्के पीले रंग से रंगना चाहिए. सारे घर को लाइट कलर से पुताई की जानी चाहिए. ऐसे वास्तु में डार्क कलर का उपयोग कभी नहीं करना चाहिए. घर में मनोहर और मनोरम फोटो दीवार पर लगाई जानी चाहिए. युद्ध, शेर और जंगली जानवरों की फोटो ऐसे स्थान पर नहीं रहनी चाहिए. गौ माता खरगोश आदि मनोहर पशुओं की फोटो लगाई जा सकती है. ऐसे दंपत्ति गौ माता की भरपूर सेवा करें, जिससे उन्हें संतान की कामना जल्द पूर्ण हो सके.
संतान प्राप्ति के लिए कृष्ण के बालरूप की फोटो लगाए: ऐसे वास्तु क्षेत्र में श्री यंत्र की स्थापना की जानी चाहिए. तुलसी का चौरा उत्तर पूर्वी, पूर्वी या उत्तर क्षेत्र में स्थापित किया जाना चाहिए. सूर्य को नियमित रूप से अर्ध देना चाहिए. पति- पत्नी दोनों ही शांत सौम्यता और सुमति के साथ एक दूसरे से व्यवहार कर संतान की कामना कर सकते हैं. ऐसे घर में भगवान श्री कृष्ण की बाल रूप और माखन वाली फोटो अधिक संख्या में लगाई जा सकती है. बाल हनुमान, बाल श्री राम आदि की भी फोटो विधान पूर्वक रखी जा सकती है.
दिनचर्या संतुलित आहार विहार के साथ व्यतीत करना चाहिए: ऐसे दंपत्ति को दक्षिण पूर्वी कोने का विशेष ध्यान रखना चाहिए. इस क्षेत्र में रसोई की स्थापना होनी चाहिए ताकि महिला भोजन बनाते समय अधिकाधिक समय सूर्य की रोशनी में गुजार सकें, इसके साथ ही पानी की टंकी को भी स्थापित कर सकते हैं. ऐसे वास्तु में रहने वाले लोगों को संतुलित भोजन संतुलित आहार संतुलित विहार और नियमित दिनचर्या का अनुशासन से पालन करना चाहिए.
कुंडली में पितृ दोष होने पर शांति कराकर संतान लाभ: संतान गोपाल मंत्र का नियमित रूप से पाठ करना चाहिए. अनेक विद्वान हरिवंश पुराण को भी पढ़ने की सलाह देते हैं. यदि कुंडली में पितृदोष है. ऐसे दोषों की शांति कराकर संतान का लाभ लिया जा सकता है. निसंतान दंपत्ति को अपने वास्तु क्षेत्र में श्रद्धा और अनुशासन के साथ प्रणव, प्राणायाम, कपालभारती, अनुलोम विलोम ब्राह्मण और उद्गीथ प्राणायाम का अभ्यास भवन के उत्तर पूर्वी कोने में करने से भी अधिक मात्रा में लाभ देखने को मिलता है.