रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज अपने निवास कार्यालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से छत्तीसगढ़-ओडिशा के बीच महानदी जल विवाद के मुद्दे पर लीगल टीम से चर्चा की. मुख्यमंत्री ने टीम के सदस्यों को महानदी के जल के उपयोग के संबंध में प्रदेश का पक्ष मजबूती से रखने कहा. उन्होंने कहा कि महानदी छत्तीसगढ़ की जीवन रेखा है. छत्तीसगढ़ में खेती, उद्योग और अर्थव्यस्था में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है. ऐसे में महानदी का पानी छत्तीसगढ़ के लिए बहुत जरूरी है.
कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे, अपर मुख्य सचिव अमिताभ जैन और सुब्रत साहू, जल संसाधन विभाग के सचिव अविनाश चंपावत के साथ मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रूचिर गर्ग इस दौरान उपस्थित रहे. लीगल टीम के सदस्य एके गांगुली, किशोर लाहिड़ी और जगजीत सिंह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये चर्चा में शामिल हुए थे.
दरअसल, ओडिशा और छत्तीसगढ़ सरकार के बीच महानदी जल बंटवारा विवाद काफी लंबे समय से चल रहा है. इसे सुलझाने के लिए एक ट्रिब्यूनल का भी गठन किया गया है. जिसके माध्यम से इस विवाद का हल निकालने की बात कही जा रही है. मामले में कई बार ट्रिब्यूनल में सुनवाई भी हुई है. बताते हैं, ओडिशा सरकार छत्तीसगढ़ के निर्माणाधीन सिंचाई प्रोजेक्ट पर स्टे लेने की है. इसके लिए वे ओडिशा सरकार ने कई तर्क भी दिए हैं.
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दरअसल, महानदी पर 1947 में हीराकुंड बांध बना था. उस समय जितने सिंचाई के लिए बांध डिजाइन की गई थी, उससे कहीं अधिक क्षेत्र में अब सिंचाई हो रही है. वहीं पहले इस प्रोजेक्ट्स से उद्योगों को पानी देने का कोई प्रावधान नहीं था. जबकि अब 35 प्रतिशत पानी का उपयोग ओडिशा सरकार उद्योगों के लिए कर रही है. जिसके कारण गर्मी में पानी की किल्लत हो जाती है. जबकि छत्तीसगढ़ सरकार का कहना है कि, छत्तीसगढ़ खेती प्रधान राज्य है, ऐसे में उन्हें महानदी के पानी की ज्यादा जरूरत है.