रायपुर: पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों से महंगाई तो बढ़ ही गई है. अब सार्वजनिक परिवहन पर भी इसका असर दिखने लगा है. छत्तीसगढ़ यातायात महासंघ ने राजधानी में पंडरी बस स्टैंड से बसों की बारात निकालकर सरकार के प्रति अपनी नाराजगी जताई. बसों की रैली निकालने के बाद यातायात महासंघ ने परिवहन मंत्री और कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है. यातायात संघ का कहना है कि इनकी मांगे पूरी नहीं होती है तो 13 जुलाई से प्रदेश भर में अनिश्चितकाल के लिए बसों का संचालन बंद कर दिया जाएगा.
16 महीने से प्रभावित है यात्री बसों का संचालन
सरकार करीब 2 महीने से बस संचालकों की मांग को नजरअंदाज कर रही है. यातायात महासंघ का कहना है कि कोरोना और लॉकडाउन के कारण बस संचालकों की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो चुकी है. पिछले 16 महीने से यात्री बसों का संचालन नहीं के बराबर हो रहा है. यातायात महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष सैयद अनवर अली का कहना है कि साल 1997 में प्रति लीटर डीजल की कीमत 60 रुपए थी. जो आज बढ़कर 97 रुपए के पार हो गई है. जबकि दूसरे राज्यों में यात्री किराया में सरकार ने वृद्धि की है. छत्तीसगढ़ के बस संचालकों के हितों की ओर भी सरकार को ध्यान देने की जरूरत है.
छत्तीसगढ़ यातायात महासंघ ने की यात्री किराया बढ़ाने की मांग, 35 फीसदी तक बढ़ सकता है फेयर
10% बसों का हो रहा संचालन
पूरे प्रदेश में लगभग 12000 यात्री बस हैं. जिनका संचालन पूरी तरह से शुरू नहीं हो पाया है. पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों के चलते बस संचालक सरकार से यात्री बसों में लगभग 40% किराया बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. वर्तमान में प्रति किलोमीटर 1 रुपया किराया है. जिसको बढ़ाकर 1.40 रुपये करने की मांग कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ के बस मालिकों का कहना है कि डीजल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है. जिसके लिए केंद्र और राज्य सरकार जिम्मेदार है. यात्री किराया में वृद्धि की मांग पूरी नहीं होने के कारण छत्तीसगढ़ में लगभग 1000 बसों का ही संचालन हो रहा है.
बसों से जुड़ी है 1 लाख से ज्यादा लोगों की रोजी-रोटी
यात्री बस के व्यवसाय से जुड़े बस मालिक, ड्राइवर, कंडक्टर, हेल्पर और क्लीनर सहित लगभग 1 लाख 8 हजार लोगों की रोजी-रोटी प्रभावित हुई है. बस मालिकों का कहना है कि मध्यप्रदेश, ओडिशा, झारखंड, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में लगभग 30 से 35 प्रतिशत तक यात्री किराया बढ़ाया जा चुका है. लेकिन छत्तीसगढ़ में लंबे समय से यात्री किराया नहीं बढ़ाया गया. ऐसे में छत्तीसगढ़ में बसों का संचालन शुरू नहीं किया जा सकता.
क्या है बस ऑपरेटरों की मुख्य मांग
बस संचालकों की तीन प्रमुख मांग है. बस संचालक यात्री किराया बढ़ाए जाने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि डीजल के भाव के अनुपात में बस के किराए में वृद्धि नहीं हुई है. यातायात महासंघ की मांग है कि किराए वृद्धि के संबंध में स्थायी नीति बनाई जाए. नॉनयूज बसों के लिए 2 माह की समय सीमा को खत्म किया जाए.
क्या है बस ऑपरेटरों की समस्याएं
पूरे छत्तीसगढ़ में 12000 बस और 9000 बस संचालक हैं. छत्तीसगढ़ में 2500 बसों का किस्त जमा ना हो पाने के कारण फाइनेंसर ने बसों को सीज कर लिया. करीब 1000 बस संचालक ऐसे हैं जिनके परिवार में कोरोना हो जाने के कारण और एम फॉर्म न भरने की वजह से लाखों रुपए की टैक्स की मार पड़ी है. इसके साथ ही बसें भी कंडम हो गई है. छत्तीसगढ़ में 9000 बस ऑपरेटर बस व्यवसाय से जुड़े हैं. लेकिन लगातार घाटा होने के कारण 300 बस ऑपरेटर इस व्यवसाय को छोड़कर दूसरा व्यवसाय कर रहे हैं.
400 किलोमीटर बस चलाने पर 100 लीटर डीजल की खपत होती है. मिनी बस में इसके अतिरिक्त 3700 रुपये अधिक खर्च होते हैं. यह बस के शुद्ध आय से लगभग 2500 रुपए अधिक है. वहीं बड़ी बस में 400 किलोमीटर चलाने पर 130 लीटर डीजल की खपत होती है. जो शुद्ध आय से करीब 4810 रुपए अधिक है. वहीं 3 रुपये प्रति किलोमीटर टोल टैक्स की राशि खर्च हो रही है. 100 प्रतिशत थर्ड पार्टी इंश्योरेंस बढ़ चुका है. 12 प्रतिशत वेट टैक्स जीएसटी में बदल गया है. चेचिस, गाड़ी की बॉडी, टायर और बस के पार्ट्स में पहले 18 प्रतिशत जीएसटी था जो अब बढ़कर 28 प्रतिशत हो गया है. डीजल में 68 प्रतिशत वेट टैक्स लगता है जिसमें केंद्र सरकार को 43 प्रतिशत और राज्य सरकार को 25 प्रतिशत मिलता है.