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यूक्रेन से लौटे बच्चों के चेहरे पर खुशी लेकिन नहीं भुला पा रहे तबाही का आलम

यूक्रेन से लौटे बच्चों के चेहरे पर खुशी है लेकिन तबाही का आलम नहीं भूल पा रहे हैं. वहीं छात्रों का कहना है कि यूक्रेन से निकलकर हम काफी सेफ महसूस कर रहे हैं. यूक्रेन की स्थिति काफी भयावह है.

student returned from ukraine
यूक्रेन से लौटे छत्तीसगढ़ के छात्र
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Published : Mar 2, 2022, 9:54 PM IST

Updated : Mar 2, 2022, 11:03 PM IST

रायपुर: यूक्रेन में रूस के हमले का सातवां दिन है. लगातार यूक्रेन में रुसी सेना तबाही मचा रही है. यूक्रेन में इस वक्त बेहद भयावह स्थिति है. यूक्रेन से लौटे छात्र बुधवार सुबह दिल्ली पहुंचे हैें. जिसके बाद बच्चे दिल्ली से 2 बजे की फ्लाइट से 4 बजे छत्तीसगढ़ पहुंचे हैं. वहीं छात्रों का कहना है कि यूक्रेन से निकलकर हम काफी सेफ महसूस कर रहे हैं. यूक्रेन की स्थिति काफी भयावह है. लेकिन वेस्टर्न यूक्रेन में जहां मैं पढ़ाई कर रही थी. वह जगह अभी बहुत ज्यादा सेफ है. बाकी पूरे यूक्रेन में काफी दर्दनाक स्थिति बनी हुई है और मेरी फ्लाइट भारत के लिए 22 फरवरी को कीव से थी. जब मैं वहां पहुची तो वहां काफी दर्दनाक स्थिति थी और वहां जाकर हम फंस गए. पूरे ट्रांसपोर्टेशन बंद हो चुके था. बड़ी मुश्किल से हमने कैब की और विदेश मंत्रालय की सहायता से हम उनके पास तक पहुंचे. स्थिति इतनी गंभीर थी कि हमें पीने के लिए टैप वाटर इस्तेमाल करना पड़ रहा था. खाने तक के लिए हमें परेशानी हो रही थी. यूक्रेन से लौटे छात्रों ने आपबीती सुनाई.

यूक्रेन से लौटे बच्चों के चेहरे पर खुशी

यह भी पढ़ें: झीरम घाटी हत्याकांड: NIA की अपील खारिज, अब राज्य की जांच एजेंसी जांच के लिए स्वतंत्र

यूक्रेन में बंकर के आसपास लगातार बमबारी हो रही है. हमारे साथ कई छात्र थे. ट्रांसपोर्टेशन ना होने की वजह से हमें यात्रा करने के लिए गाड़ी की काफी समस्या हो रही थी. कम से कम 3 से 4 ट्रेन छोड़ने के बाद हमें ट्रेन मिली. जिससे हम हंगरी पहुंचे. उसके बाद हंगरी से फ्लाइट के माध्यम से हम दिल्ली आए. छात्रों ने बताया कि कीव में इतनी भयावह स्थिति थी कि जो वहां रह रहे थे वह भी शहर को छोड़कर भाग रहे थे. हम एमबीसी के पास एक स्कूल में रुके हुए थे और स्कूल से 2 किलोमीटर दूर ही बमबारी हो रही थी. जिससे हम काफी ज्यादा डरे हुए थे. खाने पीने को हम मोहताज होते जा रहे थे और जब हम वहां पर खाने और पीने के लिए दुकान भी जा रहे थे. हमे घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ रहा था. उसके बाद भी सिर्फ हमें एक पानी की बोतल मिल पा रही थी. यहां तक कि हंगरी बॉर्डर आने के बाद भी 24 घंटे हमें बॉर्डर क्रॉस करने में लगे.

यूक्रेन में फंसे बच्चों के अभिभावकों के आंखों से आंसू नहीं रुक रहा. जिनके बच्चे घर वापस आ चुके हैं. वह खुश हैं. सभी अभिभावक जिनके बच्चे यूक्रेन में पढ़ने के लिए गए थे और अभी वहां फंसे हुए हैं. सभी काफी घबराए हुए हैं. हमारी बात अभी बहुत सारे पैरेंट्स से हो रही है. जिनके बच्चे वहां फंसे हुए हैं. अभी तक नहीं लौटे हैं. सभी काफी डरे हुए हैं. लगातार वहां पर बमबारी हो रही है. जिसको देखकर लोग सहम गए है और दिन भर हम अपने बच्चों से मोबाइल पर बात करने की कोशिश करते थे. लेकिन यूक्रेन में बच्चों के मोबाइल चार्ज करने की व्यवस्था तक बहुत मुश्किल से हो पाती है. इस वजह से हम दिन भर टीवी के सामने बैठे रहते हैं. सिर्फ इतना जानने के लिए कि हमारे बच्चे सेफ है.

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में पैंगोलिन का शिकार, देश-विदेश में पैंगोलिन की तस्करी से छत्तीसगढ़ के जंगलों पर संकट


आज तक बच्चों ने ऐसा दृश्य नहीं देखा जैसे उन्हें यूक्रेन में देखने को मिल रहा. हम केंद्र सरकार और राज्य सरकार को धन्यवाद देते हैं जिनकी कोशिश से हमारे बच्चे आज अपने घर लौट आए हैं. लेकिन अभी भी ऐसे बहुत सारे बच्चे भारत के वहां फंसे हुए हैं. उनको बचाने की जरूरत है. केंद्र सरकार और राज्य सरकार अपनी तरफ से कोशिश कर रही है. लेकिन उनको थोड़ी और कोशिश करने की जरूरत है. क्योंकि सभी अभिभावक डरे हुए हैं. उनके बच्चे छोटे हैं.

रायपुर: यूक्रेन में रूस के हमले का सातवां दिन है. लगातार यूक्रेन में रुसी सेना तबाही मचा रही है. यूक्रेन में इस वक्त बेहद भयावह स्थिति है. यूक्रेन से लौटे छात्र बुधवार सुबह दिल्ली पहुंचे हैें. जिसके बाद बच्चे दिल्ली से 2 बजे की फ्लाइट से 4 बजे छत्तीसगढ़ पहुंचे हैं. वहीं छात्रों का कहना है कि यूक्रेन से निकलकर हम काफी सेफ महसूस कर रहे हैं. यूक्रेन की स्थिति काफी भयावह है. लेकिन वेस्टर्न यूक्रेन में जहां मैं पढ़ाई कर रही थी. वह जगह अभी बहुत ज्यादा सेफ है. बाकी पूरे यूक्रेन में काफी दर्दनाक स्थिति बनी हुई है और मेरी फ्लाइट भारत के लिए 22 फरवरी को कीव से थी. जब मैं वहां पहुची तो वहां काफी दर्दनाक स्थिति थी और वहां जाकर हम फंस गए. पूरे ट्रांसपोर्टेशन बंद हो चुके था. बड़ी मुश्किल से हमने कैब की और विदेश मंत्रालय की सहायता से हम उनके पास तक पहुंचे. स्थिति इतनी गंभीर थी कि हमें पीने के लिए टैप वाटर इस्तेमाल करना पड़ रहा था. खाने तक के लिए हमें परेशानी हो रही थी. यूक्रेन से लौटे छात्रों ने आपबीती सुनाई.

यूक्रेन से लौटे बच्चों के चेहरे पर खुशी

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यूक्रेन में बंकर के आसपास लगातार बमबारी हो रही है. हमारे साथ कई छात्र थे. ट्रांसपोर्टेशन ना होने की वजह से हमें यात्रा करने के लिए गाड़ी की काफी समस्या हो रही थी. कम से कम 3 से 4 ट्रेन छोड़ने के बाद हमें ट्रेन मिली. जिससे हम हंगरी पहुंचे. उसके बाद हंगरी से फ्लाइट के माध्यम से हम दिल्ली आए. छात्रों ने बताया कि कीव में इतनी भयावह स्थिति थी कि जो वहां रह रहे थे वह भी शहर को छोड़कर भाग रहे थे. हम एमबीसी के पास एक स्कूल में रुके हुए थे और स्कूल से 2 किलोमीटर दूर ही बमबारी हो रही थी. जिससे हम काफी ज्यादा डरे हुए थे. खाने पीने को हम मोहताज होते जा रहे थे और जब हम वहां पर खाने और पीने के लिए दुकान भी जा रहे थे. हमे घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ रहा था. उसके बाद भी सिर्फ हमें एक पानी की बोतल मिल पा रही थी. यहां तक कि हंगरी बॉर्डर आने के बाद भी 24 घंटे हमें बॉर्डर क्रॉस करने में लगे.

यूक्रेन में फंसे बच्चों के अभिभावकों के आंखों से आंसू नहीं रुक रहा. जिनके बच्चे घर वापस आ चुके हैं. वह खुश हैं. सभी अभिभावक जिनके बच्चे यूक्रेन में पढ़ने के लिए गए थे और अभी वहां फंसे हुए हैं. सभी काफी घबराए हुए हैं. हमारी बात अभी बहुत सारे पैरेंट्स से हो रही है. जिनके बच्चे वहां फंसे हुए हैं. अभी तक नहीं लौटे हैं. सभी काफी डरे हुए हैं. लगातार वहां पर बमबारी हो रही है. जिसको देखकर लोग सहम गए है और दिन भर हम अपने बच्चों से मोबाइल पर बात करने की कोशिश करते थे. लेकिन यूक्रेन में बच्चों के मोबाइल चार्ज करने की व्यवस्था तक बहुत मुश्किल से हो पाती है. इस वजह से हम दिन भर टीवी के सामने बैठे रहते हैं. सिर्फ इतना जानने के लिए कि हमारे बच्चे सेफ है.

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आज तक बच्चों ने ऐसा दृश्य नहीं देखा जैसे उन्हें यूक्रेन में देखने को मिल रहा. हम केंद्र सरकार और राज्य सरकार को धन्यवाद देते हैं जिनकी कोशिश से हमारे बच्चे आज अपने घर लौट आए हैं. लेकिन अभी भी ऐसे बहुत सारे बच्चे भारत के वहां फंसे हुए हैं. उनको बचाने की जरूरत है. केंद्र सरकार और राज्य सरकार अपनी तरफ से कोशिश कर रही है. लेकिन उनको थोड़ी और कोशिश करने की जरूरत है. क्योंकि सभी अभिभावक डरे हुए हैं. उनके बच्चे छोटे हैं.

Last Updated : Mar 2, 2022, 11:03 PM IST
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