रायपुर: पिछले 15 साल में प्रदेश में खेल संघों में तो बेतहाशा इजाफा हुआ, सूबे का खिलाड़ी अभी भी खुद को उपेक्षित महसूस कर रहा है. सरकार ने कुछ जमीन तो कुछ कागज पर कोशिश जरूर की, लेकिन इसका नजीता उतना बेहतर नहीं रहा, जितनी उम्मीद थी.
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छत्तीसगढ़ में रायपुर और राजनांदगांव में अंतरराष्ट्रीय स्तर के एस्ट्रोटर्फ वाले हॉकी स्टेडियम तो तैयार किए गए, लेकिन पांच साल पहले हुई वर्ल्ड हॉकी लीग के आयोजन के बाद यहां कभी भी इंटरनेशनल मैच नहीं हुआ. कुछ यही हाल रायपुर में मौजूद शहीद वीर नारायण सिंह क्रिकेट स्टेडियम का भी है. यह स्टेडियम आज भी पहले अंतरराष्ट्रीय मैच का आयोजन करने की राह देख रहा है. कुछ साल पहले यहां IPL के मुकाबले हुए थे, लेकिन 2016 के बाद BCCI ने इस स्टेडियम में कोई मैच नहीं कराया है.
अभी तक नहीं हुआ इंटरनेश्नल मैच
इंटरनेशनल मैच नहीं होने की प्रमुख वजह इस मैदान का खेल विभाग के कब्जे में होना है, जबकि ICC उस स्टेडियम में ही मैच कराती है, जो मैदान BCCI अंडरटेकिंग में है.
राज्य और क्रिकेट बोर्ड के बीच सामंजस्य नहीं बनने की वजह से 134 करोड़ की लागत से बना स्टेडियम अक्सर वीरान रहता है.
अब बात करते हैं शहर के बीचो-बीच मौजूद बलबीर सिंह जूनेजा इंडोर स्टेडियम की. इस स्टेडियम में खेलों का आयोजन कम, कल्चरल प्रोग्राम या बिजनेस फेयर ज्यादा लगते हैं. इसके अलावा यहां प्रवचन भी आयोजित होते रहते हैं.
खेल छोड़ होते हैं बाकी आयोजन
अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी नीता डुमरे ने बताया कि खेल मैदानों को लगातार सिर्फ खेल के लिए आरक्षित किए जाने की मांग लोगों द्वारा लंबे समय से की जाती रही है, बावजूद इसके इन जगहों पर खेल को छोड़ बाकी सारे आयोजन किए जाते हैं.
खिलाड़ियों को नहीं मिल रहा फायदा
इस दौरान नीता ने शासन प्रशासन द्वारा खिलाड़ियों को जरूरी संसाधन और सुविधाएं मुहैया ना कराने की बात भी कही. खिलाड़ियों और कोचों का मानना है कि, अगर इन इनफ्रास्ट्रक्चर्स का पूरा इस्तेमाल होता तो प्रदेश में खेल को लेकर एक अलग तरह का माहौल होता. लेकिन आपसी खींचतान और उदासीन रवैया की वजह से करोड़ों खर्च के बाद भी खेल औऱ खिलाड़ी इसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं.
खेल मंत्री ने दिलाया भरोसा
हालांकि प्रदेश के खेल मंत्री उमेश पटेल ने भरोसा दिलाया है कि सरकार जल्द खेल प्राधिकरण बना रही है इसके बाद स्टेडियम और अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर का बेहतर इस्तेमाल हो सकेगा. ज्यादातर मामलों में छत्तीसगढ़ की तुलना इसके साथ ही अस्तित्व में उत्तराखंड और झारखंड के साथ किया जाता है अगर यहीं तुलना खेल के लिए की जाए तो ये दोनों राज्य नेशनल गेम्स के प्रदर्शन के आधार पर छत्तीसगढ़ से काफी आगे हैं.