बिलासपुर: बिलासपुर अनुकंपा नियुक्ति के मामले में हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि शिक्षाकर्मी शासकीय सेवा नहीं है. इसलिए दूसरा भाई अनुकंपा नियुक्ति पाने का अधिकार रखता है. कोर्ट ने 30 दिन के अंदर अनुकंपा नियुक्ति नीति के तहत कार्रवाई करने का आदेश दिया है.
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जानिए क्या है पूरा मामला:भाई के शिक्षाकर्मी होने के आधार पर याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति से वंचित करने के आदेश को हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है. कोर्ट ने आदेश किया है कि शिक्षाकर्मी शासकीय सेवक नहीं है. इस कारण उक्त आधार पर अनुकंपा नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता. सितेश कुमार साहू के पिता तिहारु राम साहू जनपद पंचायत मगरलोड जिला धमतरी में विस्तार अधिकारी के पद पर कार्यरत थे. उनकी मृत्यु 29 अक्टूबर 2017 को हो गई थी. पुत्र सितेश कुमार साहू की अनुकंपा नियुक्ति का आवेदन यह कहते हुए निरस्त कर दिया गया कि उनके भाई थानेद्र कुमार साहू शिक्षाकर्मी वर्ग 3 के पद पर कार्यरत हैं. उन्हें कहा गया कि यदि परिवार में कोई शासकीय सेवक है तो उस परिवार के सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा सकती.
इस आदेश के विरुद्ध सितेश कुमार ने अधिवक्ता अजय श्रीवास्तव के माध्यम से हाईकोर्ट में शासन के आदेश को चुनौती दी. कोर्ट को बताया कि पूर्व में निर्णय हो चुका है कि शिक्षाकर्मी शासकीय सेवक नहीं है, इसलिए उसे अनुकंपा नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता, जबकि सरकार की ओर से जवाब में यह बताया गया कि याचिकाकर्ता के भाई का 1 जुलाई 2018 को शिक्षा विभाग में संविलियन हो गया है. वह शासकीय सेवक बन चुका है. इस कारण याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा सकती.
उस समय याचिकाकर्ता का भाई थानेंद्र कुमार साहू शिक्षाकर्मी नहीं था. जो शासकीय सेवक की श्रेणी में नहीं आता. संविलियन 1 जुलाई 2018 को हुआ यानी अनुकंपा नियुक्ति नीति के तहत भाई अपने पिता की मृत्यु दिनांक को शासकीय सेवक नहीं था. इसलिए याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता. इसी आधार पर कोर्ट ने अपात्र घोषित करने का आदेश निरस्त कर दिया. साथ ही आदेश दिया है कि 30 दिन के अंदर अनुकंपा नियुक्ति से संबंधित नीति के अनुसार निर्णय लिया जाए.