रायपुर: हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री (Former CM of Himachal Pradesh) और कांग्रेस नेता वीरभद्र सिंह का 87 साल की उम्र में निधन (Virbhadra Singh passes away) हो गया. वीरभद्र सिंह के निधन से प्रदेश में शोक की लहर है.छत्तीसगढ़ के नेताओं ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लिखा कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता और मुख्यमंत्री के रूप में 6 बार हिमाचल की सेवा करने वाले लोकप्रिय नेता वीरभद्र सिंह जी के निधन का समाचार दुखद है. स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए एक भावुक संदेश ट्वीट किया है.
सिंहदेव ने लिखा है कि 'वीरभद्र जी मेरे मौसा थे. मैं उन्हें प्यार से मासा साहब कहता था. बचपन की अनेक यादें उनके साथ की हैं. बीते 65 साल वो मेरे लिये एक आदर्श पैत्रिक पुरुष रहे. अभिभावक रहे, सलाहकार रहे, मार्गदर्शक रहे. उनका हसमुख चेहरा, व्यक्तित्व, उनकी खिलखिलाती हंसी सब के अंतर्मन को छू जाती थी. सब के मन और चेहरे खिल उठते थे. वह बहुत ही संवेदनशील कोमल हृदय के व्यक्ति के साथ साथ गहरा ज्ञान, महिला समानता के जीते जागते उदाहरण थे. वे बहुत कुशल राजनीतिज्ञ और उससे भी ऊंचाइयों वाले राजनेता के साथ, आदर्श पति, पिता और अभिभावक थे.'
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वीरभद्र जी मेरे मौसा थे। मैं उन्हें प्यार से मासा साहब कहता था। बचपन की अनेक यादें उनके साथ की हैं। बीते 65 साल वो मेरे लिये एक आदर्श पैत्रिक पुरुष रहे, अभिभावक रहे, सलाहकार रहे, मार्गदर्शक रहे। pic.twitter.com/mS10iDyw7C
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— TS Singh Deo (@TS_SinghDeo) July 8, 2021वीरभद्र जी मेरे मौसा थे। मैं उन्हें प्यार से मासा साहब कहता था। बचपन की अनेक यादें उनके साथ की हैं। बीते 65 साल वो मेरे लिये एक आदर्श पैत्रिक पुरुष रहे, अभिभावक रहे, सलाहकार रहे, मार्गदर्शक रहे। pic.twitter.com/mS10iDyw7C
— TS Singh Deo (@TS_SinghDeo) July 8, 2021
टीएस सिंहदेव के अलावा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) ने भी ट्वीट कर वीरभद्र सिंह को श्रद्धांजलि दी है. उनके निधन से हिमाचल प्रदेश में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है.
हिमाचल प्रदेश के पूर्व CM वीरभद्र के निधन पर 3 दिन का राजकीय शोक
वीरभद्र सिंह पहली बार 1983 से 1985, दूसरी बार 1985 से 1990, तीसरी बार 1993 से 1998 तक सीएम रहे. चौथी बार 1998 में, पांचवी बार 2003 से 2007 और छठी बार 2012 से 2017 के बीच राज्य की कमान संभाली. वीरभद्र सिंह सांसद, केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री समेत कई अहम पदों पर रहे. लाल बहादुर शास्त्री जी की प्रेरणा से राजनीति में आए वीरभद्र सिंह ने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हा राव के साथ काम किया. अटल बिहारी वाजपेयी से भी उनके अच्छे संबंध रहे.
लाल बहादुर शास्त्री की सलाह पर वीरभद्र 1962 के लोकसभा चुनाव में खड़े हो गए थे. महासू सीट से उन्होंने चुनाव जीता और तीसरी लोकसभा में पहली बार सांसद बने. अगला चुनाव भी वीरभद्र सिंह ने महासू से ही जीता. फिर 1971 के लोकसभा चुनाव में भी वे विजयी हुए. यही नहीं, वीरभद्र सिंह सातवीं लोकसभा में भी सदस्य थे.
उन्होंने 1980 का लोकसभा चुनाव जीता. अंतिम लोकसभा चुनाव उन्होंने मंडी सीट से वर्ष 2009 में जीता और केंद्रीय इस्पात मंत्री बने. इस तरह वीरभद्र सिंह पांच बार सांसद रहे. वे पहली बार केंद्रीय कैबिनेट में वर्ष 1976 में पर्यटन व नागरिक उड्डयन मंत्री (Minister of Tourism and Civil Aviation) बने. फिर 1982 में उद्योग राज्यमंत्री (Minister of State for Industry) का पदभार संभाला था. वर्ष 2009 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद वे केंद्र में इस्पात मंत्री बने. बाद में उन्हें केंद्रीय सूक्ष्म, लघु व मध्यम इंटरप्राइजेज मंत्री बनाया गया था.
वीरभद्र सिंह के बिना सूनी हुई हिमाचल की राजनीति, राजनीतिक जीवन पर डालिए एक नजर...
बता दें कि वीरभद्र सिंह का जन्म 23 जून 1934 को शिमला जिले के सराहन में हुआ था. उनके पिता का नाम राजा पदम सिंह था. बुशहर रियासत के इस राजा ने आरंभिक स्कूली शिक्षा शिमला के विख्यात बिशप कॉटन स्कूल से की थी. उसके बाद दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से बीए (आनर्स) की डिग्री हासिल की थी.