रायपुर: छत्तीसगढ़ की संस्कृति में सालों से गांव-गांव में लोगों के घरों में बाड़ी का एक विशेष महत्व रहा है. घरों की बाड़ियों में ही सब्जियों के साथ ही अमरूद, सीताफल, जामुन और मुनगा जैसे पौधे लगाए जाते हैं. अब छत्तीसगढ़ सरकार ने वन विभाग के जरिए प्रदेश भर में मुनगा के पौधरोपण को लेकर एक बड़ा अभियान चलाया है. इसके तहत प्रदेश के तमाम सरकारी स्कूलों, आंगनबाड़ी केंद्रों और छात्रावास आश्रमों में मुनगा का ही पौधरोपण किया जाएगा.
ETV भारत ने पड़ताल की है कि आखिरकार तमाम तरह के पौधों के होते हुए भी केवल मुनगा के पौधों को लेकर अलग से अभियान चलाने की जरूरत क्यों पड़ी.
कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़ के तरफ सरकार की पहल
कैबिनेट मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ को कुपोषण मुक्त करने का सपना देखा है जिसे पूरा करने के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है. इसके तहत प्रदेश के तमाम सरकारी स्कूलों, आंगनबाड़ी केंद्रों और छात्रावास आश्रमों में मुनगा का पौधरोपण किया जा रहा है.
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कुपोषण के लिए रामबाण मुनगा
सहजन की पत्तियों में काफी मात्रा में विटामिन, कैल्शियम और फास्फोरस पाया जाता है. अति कोपोषित राज्य में सहजन की पत्तियों को कुपोषण दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. छत्तीसगढ़ को कुपोषण से बचाने के लिए मुनगा का पौधरोपण अभियान चलाया जा रहा है. मैजिक मोरिंगा के एमडी रजनीश अवस्थी ने बताया कि मुनगा स्वाद और पौष्टिकता से भरपूर पौधा है जिसे आयुर्वेद में भी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है.
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मुनगा डायबिटीज, एनीमिया और कुपोषण का रामबाण इलाज है. उन्होंने बताया कि मुनगा मल्टी विटामिन से भरपूर होता है. इसकी पत्तियों में प्रोटीन के साथ-साथ विटामिन बी-6, विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन ई पाया जाता है. इसके अलावा इसमें आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम और जिंक जैसे मिनरल भी पाए जाते हैं, जो गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद है.
छत्तीसगढ़ में पिछले कई साल से गांव-गांव में मुनगा का पौधा लगाया जा रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि मूनगा सिर्फ सब्जी के लिए नहीं बल्कि दवाई के रूप में भी काम आता है.
मुनगा की खासियत
- गुणों का खजाना है मुनगा
- इसका, फल, फूल और पत्तियां सब उपयोगी हैं.
- इसकी पत्तियों को सलाद की तरह खाया जा सकता है.
- इसकी पत्तियां मवेशियों के लिए भी लाभदायक हैं.
- मुनगा के बीज से तेल निकाला जा सकता है.
- मुनगा का पेड़ एक बार लगाए जाने के बाद 9 से 10 साल तक उत्पादन देता है.
- मुनगा में मौजूद पौष्टिक तत्व कुपोषण से जंग लड़ने के लिए रामबाण है.
- मुनगा 200 से ज्यादा रोगों के लिए संजीवनी का काम करता है.
- मुनगा की पौधरोपण के लिए जून का महीना सबसे ज्यादा सही होता है.
- गर्म प्रदेश में ज्यादा होता है उत्पादन.
- मुनगा की खेती के लिए ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है.
छत्तीसगढ़ में कुपोषण दूर करने को लेकर लंबे समय से तमाम तरह के अभियान चलाए जा रहे हैं लेकिन अब मुनगा अभियान से इसमें निश्चित तौर पर फायदा मिलने की उम्मीद जगी है. मुनगा का पौधा छत्तीसगढ़ की संस्कृति में पहले ही रचा बसा हुआ है. अब बस जरूरत है तो इस योजना के सही क्रियान्वयन करने की.