रायपुर: प्रदेश में 128 निगम मंडल हैं, जिसमें अब तक कांग्रेस सरकार के द्वारा 8 महीने बीत जाने के बाद भी किसी की नियुक्ति नहीं की गई है. इन निगम मंडल आयोगों में नियुक्ति के पाने लिए सत्ता दल के हजारों नेता कार्यकर्ता कांग्रेस भवन से मंत्री निवास और मुख्यमंत्री निवास तक चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अब तक किसी का एलान नहीं किया गया है.
कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस इन पदों पर नगरीय निकाय चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने वाले नेताओं को बैठा सकती है. यही वजह है कि अब तक कांग्रेस प्रदेश में निगम मंडल आयोग अध्यक्षों की सूची जारी नहीं की है.
दूसरी तरफ अब इनकी नियुक्ति पर हो रहे खर्च को लेकर सवाल उठने लगे हैं. जानकारों की मानें तो इन अध्यक्षों को ज्यादा अधिकार प्राप्त नहीं होते हैं, जिसकी वजह से यह विभागों में किसी काम को करने की घोषणा या उसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं. बावजूद इसके इस कुर्सी को पाने काफी संख्या में लोग लालायित हैं.
बीजेपी ने क्या कहा-
बीजेपी का आरोप है कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और ऐसी खस्ता हालत में यदि आने वाले समय में निगम मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति की जाती है तो इससे सरकार के खजाने पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा जिसका असर प्रदेश के विकास में बाधा के रूप में देखने को मिलेगा.
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने का कहना है कि कांग्रेस भवन में निगम मंडल को लेकर आवेदनों का दौर लगातार जारी है बीच-बीच में कुछ लिस्ट भी प्रकाशित होती रही है. कांग्रेस में निगम मंडल अध्यक्ष की पहल हो रही है लेकिन प्रदेश में जब से कांग्रेस सरकार आई है आर्थिक स्थिति खराब होती गई है और यह सरकार कर्ज में डूब गई है.
बीजेपी ने कहा कि प्रदेश में विकास कार्य रुक गया है लेकिन कांग्रेस केवल अपने कार्यकर्ताओं को खुश करने में जुटी हुई है और यही वजह है कि आने वाले दिनों में निगम मंडलों अध्यक्षों की कुर्सी पर नियुक्ति कर करोड़ों रुपए खर्च करने की तैयारी में है.
कांग्रेस ने रखा पक्ष
वहीं कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि पिछली सरकार में बैठे निगम मंडल आयोग अध्यक्ष द्वारा सही तरीके से अपने दायित्वों का निर्वाह नहीं किया गया, जिसकी वजह से यह मंडल हो बीमार हो गए. सुशील आनंद का कहना है कि इनकी एक अपनी उपयोगिता है क्योंकि आजादी के बाद जनता के लिए किए जाने वाले कार्य में जन भागीदारी जरूरी है और इसके तहत इनकी नियुक्ति की जाती है.
वहीं फिजूलखर्ची के सवाल पर सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि इसके लिए ज्यादा फंड की आवश्यकता नहीं होती है.
क्या कहते हैं जानकार
वहीं वरिष्ठ पत्रकार ललित सुरजन जी का कहना है कि इस छोटे से राज्य में इतने ज्यादा निगम मंडल आयोग की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि निगम मंडल आयोग होना जरूरी है क्योंकि कई काम बिना उनके संभव नहीं होता है और यह वजह है इसकी एक अपनी उपयोगिता है. लेकिन इसमें भी सरकार द्वारा अनावश्यक रूप से ज्यादा संख्या में निगम मंडल आयोग बनाना उचित नहीं है. सरकार ज्यादा निगम मंडल आयोग अध्यक्ष नियुक्त कर अपने कार्यकर्ताओं को खुश करने का प्रयास करती है.
- प्रमुख निगम मंडल आयोग और उसका 2019-20 बजट-
- असंगठित श्रमिक कल्याण मंडल 38.50 करोड़.
- ठेका मजदूर घरेलू कामकाज महिला हम्माल कल्याण मंडल 15 करोड़.
- असंगठित सफाई कर्मचारी कल्याण मंडल 10 करोड़.
- मदरसा बोर्ड 7.52 करोड़.
- गौ सेवा ग्रामीण विकास आयोग 7 करोड़.
- खादी बोर्ड 6.60 करोड़.
- हस्तशिल्प विकास बोर्ड 2.50 करोड़.
- संस्कृत विद्या मंडल 2.50 करोड़.
- छत्तीसगढ़ योग आयोग 2 करोड़.
- मछुआ कल्याण बोर्ड 1.79 करोड़.
- माटी कला बोर्ड 1.75 करोड़.
- राज्य युवा आयोग 1.50 करोड़.
- छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग 1.32 करोड़.
- जैव विविधता बोर्ड 55.80 लाख.
- फिल्म विकास निगम 50 लाख.
राज्य बनने के बाद तय किया गया था कि छोटे राज्य में ज्यादा निगम मंडल न हो इसके बावजूद निगम मंडल आयोग और प्राधिकरण मिलाकर प्रदेश में लगभग 128 संस्थाएं बनाई गई, साथ ही योग्यता या अनुभव के बजाय वोट बैंक को ध्यान में रखकर इन जगह पर नियुक्तियां की गई. प्रशासनिक सुधार आयोग ने भी कई निगम आयोग मंडल को बंद करने की भी अनुशंसा की है.
कांग्रेस के पास हजारों की संख्या में निगम मंडल आयोग अध्यक्ष बनने आवेदन पहुंचा हुआ है और बीच में तो एक निगम मंडल आयोग अध्यक्ष की सूची भी वायरल कर दी गई थी. पार्टी ने उसे मात्र अफवाह बताया था. कयास लगाया जा रहा है कि नगरीय निकाय चुनाव के बाद बेहतर प्रदर्शन करने वाले नेता और कार्यकर्ताओं की इन पदों पर नियुक्ति की जाएगी.
इस नियुक्ति के पहले ही इस पर होने वाले खर्च को लेकर अब विवाद खड़ा होता नजर आ रहा है. एक अनुमान के मुताबिक पिछली सरकारों में इन निगम मंडल अध्यक्षों के लिए करीब 200 करोड़ की राशि खर्च की जाती रही है और यह राशि इस बार बढ़ने का अनुमान है क्योंकि इनकी संख्या में बढ़ोतरी हुई है.