रायपुर : कोरोना वायरस के चलते अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है. आर्थिक गतिविधियों को ट्रैक पर लाने के लिए काम किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में सरकार ने सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के प्रमोशन और वेतन वृद्धि पर रोक लगाने का फैसला लिया है. बताया जा रहा है कि सरकार ने मितव्ययिता अपनाते हुए यह फैसला लिया है.
कर्मचारियों और अधिकारियों के प्रमोशन और वेतन वृद्धि रोके जाने के फैसले से कर्मचारियों में मायूसी है. आदेश जारी करने के बाद से ही सरकार के इस फैसले से कर्मचारियों में नाराजगी है.
ETV भारत ने सरकार के इस फैसले को लेकर शासकीय कर्मचारियों, अधिकारी फेडरेशन से बातचीत की. शासकीय तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष राकेश साहू ने बताया कि इस फैसले से कर्मचारियों और अधिकारियों में असंतुष्टि है. शुरुआती दिनों में प्रदेश कोरोना के प्रकोप से बचा हुआ था, उस समय मुख्यमंत्री ने 1 दिन का वेतन देने अपील की थी. सभी कर्मचारियों ने अपना 1 दिन का वेतन दिया था. वहीं दूसरी बार जब मुख्यमंत्री ने इच्छानुसार एक दिन का वेतन सहयोग स्वरूप देने के लिए कहा था, उस दौरान भी कर्मचारियों ने स्वेच्छा से आर्थिक सहयोग किया.
राकेश साहू ने कहा कि वेतन वृद्धि रोके जाने के आदेश से कर्मचारियों में मायूसी है. सरकार ने कर्मचारियों से बिना पूछे ही फैसला ले लिया है. मुख्यमंत्री अगर कर्मचारियों से चर्चा करेंगे, तो सभी संकट के समय में सरकार का साथ देंगे. सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग देने के लिए भी सभी तैयार हैं. इस संबंध में कर्मचारियों का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से मुलाकात करेगा. साथ ही सरकार से आग्रह है कि कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखकर वो निर्णय वापस ले.
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'काली पट्टी लगाकर करेंगे विरोध-प्रदर्शन'
संचालनालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि सरकार के इस फैसले से वे खुश नहीं हैं. इस संबंध में सभी फेडरेशन की बैठक ली गई है. सरकार के इस फैसले को वापस लेने के लिए मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को ज्ञापन सौंपा जाएगा, साथ ही 10 दिनों के भीतर अगर फैसला वापस नहीं लिया गया, तो आने वाली 1 जुलाई को सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए काली पट्टी लगाकर एक दिन का अवकाश लेकर विरोध करेंगे.
'कर्मचारियों के हित में नहीं है यह फैसला'
शासकीय तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के महामंत्री सुखीराम घृतलहरे ने सरकार के इस फैसले पर कहा कि सरकार का निर्णय कर्मचारी हितैषी नहीं है, कर्मचारियों के लिए आर्थिक रूप से यह नुकसान देने वाला फैसला है. सरकार को आदेश वापस लेना चाहिए. कर्मचारी अपनी पदोन्नति का इंतजार कर रहे हैं. कई कर्मचारी रिटायर होने वाले हैं, ऐसे में उनका पेंशन भी प्रभावित होगा. केंद्र सरकार की तुलना में 9 परसेंट डीए पीछे चल रहा है, सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए.