रायपुर : छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने अविभाजित मध्यप्रदेश की पहली महिला सांसद मिनी माता को उनकी जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित की है. सीएम भूपेश ने अपने ट्वीट के जरिए मिनी माता के किए गए कार्यों को याद किया. उनके योगदान के लिए नमन भी किया.
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समर्पण एवं सेवा की प्रतिमूर्ति, कर्मठ समाजसेविका, छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला सांसद ममतामयी माँ मिनीमाता जी की जयंती पर हम सब पावन स्मरण करते हैं।
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) March 13, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
छुआछूत, अशिक्षा तथा पिछड़ापन दूर करने एवं दलितों और महिलाओं के उत्थान के लिए उनके प्रयास सदैव अविस्मरणीय रहेंगे।
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— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) March 13, 2023
छुआछूत, अशिक्षा तथा पिछड़ापन दूर करने एवं दलितों और महिलाओं के उत्थान के लिए उनके प्रयास सदैव अविस्मरणीय रहेंगे।समर्पण एवं सेवा की प्रतिमूर्ति, कर्मठ समाजसेविका, छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला सांसद ममतामयी माँ मिनीमाता जी की जयंती पर हम सब पावन स्मरण करते हैं।
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) March 13, 2023
छुआछूत, अशिक्षा तथा पिछड़ापन दूर करने एवं दलितों और महिलाओं के उत्थान के लिए उनके प्रयास सदैव अविस्मरणीय रहेंगे।
मिनी माता के सम्मान में जारी हो चुका है एनवेलप : संयुक्त मध्य प्रदेश से पहली महिला सांसद मिनी माता के सम्मान में डाक विभाग ने एक विशेष एनवेलप भी जारी किया है. मिनी माता की 50वीं पुण्यतिथि पर रायपुर में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस एनवेलप का विमोचन किया था. इस आयोजन में सतनामी समाज के प्रतिभाशाली बच्चों का सम्मान भी हुआ था. शहीद स्मारक भवन में मिनीमाता स्मृति दिवस एवं प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन किया गया था. जिसे गुरू घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी और प्रगतिशील छत्तीसगढ़ सतनामी समाज ने किया था.
इस समारोह में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि '' मिनीमाता का व्यक्तित्व अतुलनीय था. सरल और सहज व्यक्तित्व की धनी मिनीमाता ने अपना पूरा जीवन मानव सेवा के लिए समर्पित किया. दलितों के नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिये अस्पृश्यता निवारण अधिनियम को संसद में पारित कराने में उनके योगदान को भूला नहीं जा सकता है. बाल विवाह और दहेज प्रथा के विरोध में उन्होंने समाज से लेकर संसद तक अपनी आवाज बुलंद की.''
कौन थी मिनी माता : मिनी माता अविभाजित मध्यप्रदेश की पहली महिला सांसद थी. साल 1947 में भारत देश आजाद हुआ.इसके ठीक 4 साल बाद आम चुनाव हुए. जिसमें 1951 के पहले चुनाव में मिनीमाता संसद के तौर पर चुनकर आईं. मिनीमाता साल 1951 से 1971 तक लोकसभा की सदस्य थीं. मिनी माता अविभाजित मध्यप्रदेश में बिलासपुर-दुर्ग-रायपुर आरक्षित सीट से पहली बार लोकसभा के लिए चुनी गई थीं. परिसीमन के बाद वे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित जांजगीर लोकसभा क्षेत्र से चार बार चुनाव जीतीं.
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समाज के हर वर्ग के लिए किया काम : मिनीमाता ने समाज सुधार समेत हर वर्ग की उन्नति और बेहतरी के कार्यों में अपना योगदान दिया था. उन्हें असमिया, अंग्रेजी, बांग्ला, हिन्दी और छत्तीसगढ़ी भाषा में महारथ हासिल थी. उनका विवाह गुरू बाबा घासीदास के चौथे वंशज गुरू अगमदासजी से हुआ था. शादी के बाद उन्हें गुरूमाता की उपाधि मिली. गुरुमाता के रुप में ही वो असम से छत्तीसगढ़ आई. तब से उन्होंने छत्तीसगढ़ के विकास के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया.