रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर पहले चरण का चुनावी दंगल जारी है. इस बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ईवीएम में नोटा के ऑप्शन को लेकर बड़ा बयान दिया है. सीएम भूपेश बघेल ने ईवीएम में से नोटा के विकल्प को खत्म करने की बात कही है. उनका मानना है कि दो उम्मीदवारों के बीच जीत-हार के अंतर से ज्यादा वोट नोटा में पड़ जाते हैं.
नोटा विकल्प कैसे करता है चुनावों को प्रभावित: शनिवार को रायपुर हवाईअड्डे पर पत्रकारों से बातचीत में सीएम भूपेश बघेल ने कहा, "जो नागरिक किसी भी उम्मीदवार को वोट देने के इच्छुक नहीं हैं, उनके लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों पर नोटा का विकल्प खत्म कर दिया जाना चाहिए. कई बार ऐसा देखा गया है कि जीत-हार के अंतर से ज्यादा वोट नोटा को मिले हैं."
चुनाव आयोग द्वारा इस पर संज्ञान लेने की मांग: 2018 में नोटा पर पड़े वोट और यह विकल्प चुनावों को कैसे प्रभावित करता है. इस सवाल पर सीएम भूपेश ने कहा, "कई मतदाता यह सोंचकर नोटा का बटन दबाते हैं कि या तो उन्हें ऊपर या नीचे वाले पर बटन दबाना है. इसलिए नोटा को बंद किया जाना चाहिए. चुनाव आयोग को इसका संज्ञान लेना चाहिए." अपको बता दें कि इस बार 90 सदस्यीय छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए 7 और 17 नवंबर को दो चरणों में मतदान होने हैं.
इसलिए सियासी दलों के लिए नोटा बना सिरदर्द: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, 2013 में चुनाव आयोग ने वोटिंग पैनल पर अंतिम विकल्प के रूप में ईवीएम में 'उपरोक्त में से कोई नहीं' या 'नोटा' बटन जोड़ा गया था. नोटा का अपना प्रतीक मतपत्र है, जिस पर काला क्रॉस बना होता है. 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान छत्तीसगढ़ में 76.88 प्रतिशत मतदान हुआ. जिसमें कुल 1,85,88,520 मतदाताओं में से 1,42,90,497 ने मतदान किया. वहीं नोटा को 2,82,738 वोट मिले थे. वहीं 2019 के लोकसभा चुनावों में भी राज्य की 11 संसदीय सीटों पर 1.96 लाख से अधिक वोट नोटा को पड़े. तब पांच संसदीय क्षेत्रों बस्तर, सरगुजा, कांकेर, महासमुंद और राजनांदगांव में नोटा तीसरे स्थान पर रहा था.
शीर्ष अदालत के आदेश से पहले, जो लोग किसी भी उम्मीदवार को वोट देने के इच्छुक नहीं थे, उनके पास चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 49-ओ (मतदान न करने का निर्णय लेने वाले मतदाता) के तहत अपना निर्णय दर्ज करने का विकल्प था. लेकिन ईवीएम पर नोटा बटन मतपत्र की गोपनीयता सुनिश्चित करता है.
(पीटीआई)