रायपुर: शून्यकाल के दौरान सबसे ज्यादा चिटफंड का मामला गूंजा. भाजपा लगातार राज्य सरकार पर हमलावर रही. भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा कि "चिटफंड निवेशकों के सिर्फ 32 करोड़ रुपये ही वापस हुए हैं. सरकार कार्रवाई के नाम पर बंदरबांट कर रही है. हजार करोड़ की राशि फंसी है." इस बीच मंत्रियों के टोका टाकी पर भाजपा विधायकों ने आपत्ति जताई. भाजपा विधायकों की संपत्ति पर मंत्री शिव कुमार डहरिया ने कहा कि "सरकार से प्रश्न है तो जवाब भी सरकार ही देगी. गलत बोलेंगे तो हस्तक्षेप तो करना होगा."
विपक्ष का हमला लगातार जारी रहा: शिवरतन शर्मा के बाद बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर ने भी सदन में अपनी बात रखी. अजय चंद्राकर ने कहा कि "शून्यकाल में कांग्रेसी सदस्य हमारे जवाब के बीच टोकेंगे तो हम नहीं बोलेंगे. आसंदी ने व्यवस्था देते हुए कहा कि सभी सहयोग करें. जिन सदस्य का नाम हो केवल वही बोलें. जितनी कार्रवाई होनी थी. वह नहीं हो रही है." जिस पर विधायक सौरभ सिंह ने कहा कि "यूपीए सरकार में चिटफंड कंपनियों की शुरुआत हुई. आज निवेशक सरकार की ओर आंख फाड़ कर देख रहे हैं." विधायक धर्मजीत सिंह ने भी सरकार को घेरते हुए कहा कि "दोषी कौन है यह सरकार को तय करना है. जांच करें, चिटफंड कंपनियों के प्रभावितों को राशि लौटाएं." इस बीच नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने भी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि "एक कंपनी का 3000 करोड़ फंसा हुआ है. सरकार जांच नहीं करा रही है."
भाजपा विधायकों ने स्थगन पर चर्चा कराने की मांग रखी. भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा ने आरोप लगाते हुए कहा कि "इस मामले में लगभग 200 करोड की जमीन का बंदरबांट हुआ है." भाजपा के विधायकों के इन आरोप पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने आपत्ति जताई. इस बीच सदन में दोनों पक्षों के बीच नोंक झोंक ओर जमकर हंगामा हुआ. इस शोरगुल के बीच कांग्रेस के सदस्यों ने आरोप लगाया कि भाजपा नेताओं ने ही चिटफंड कंपनियों का उद्घाटन किया था.